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सेहत के लिए वरदान है महुआ! बिस्किट से आत्मनिर्भर बन रहे आदिवासी

शहडोल जिले में बहुतायत में होने वाला महुआ किसानों के लिए वरदान सबित हो सकता है और एक अच्छी कमाई का जरिया बन सकता है. ऐसे ही एक तरीका फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन ने अपनाया है, जिससे ये ऑर्गेनाइजेशन अच्छी कमाई कर रहा हैं...

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Published : Feb 22, 2021, 5:04 PM IST

shahdol
सेहत के लिए वरदान है महुआ

शहडोल। जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां प्रचुर मात्रा में वन संपदा है, और यहां पर महुआ के पेड़ की भी काफी बहुलता है और महुआ के फूल के सीजन को यहां के आदिवासी उसे बड़ी ही उत्सुकता और एक त्यौहार की तरह लेते हैं और जमकर महुआ बटोरने का काम करते हैं, क्योंकि उससे थोड़ी बहुत कमाई भी हो जाती है. लेकिन अब एक फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन ने महुआ से बिस्किट बनाने का नवाचार किया है. ऑर्गनाइजेशन न केवल महुआ से बिस्किट बना रहा है बल्कि किसानों को भी इसे लेकर जागरूक कर रहा है, ट्रेनिंग दे रहा है. महुआ से बने हुए इस बिस्किट की डिमांड भी लोगों के बीच में काफी ज्यादा है. महुआ से बिस्किट बनाने का काम कम लागत में शुरू किया जा सकता है और ये आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में यहां बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

सेहत के लिए वरदान है महुआ

अब महुआ से बनेगा बिस्किट

एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि महुआ से बिस्किट बनाने का जो यह प्रोजेक्ट है वह फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के माध्यम से है. इसके माध्यम से वे लोग जो ऑर्गनाइजेशन के किसान मेंबर है, महिलाएं हैं, समूह की महिलाएं हैं उनसे साफ सुथरा महुआ लेते हैं और किसानों से साफ सुथरा महुआ लेते हैं. उनको प्रशिक्षित करते हैं फिर महुआ से बिस्किट बनाते हैं. गौरतलब है कि शहडोल संभाग में बहुत ज्यादा तादाद में महुआ होता है और फिर हमारे इस अंचल में महुआ का लाटा तो पहले भी फेमस रहा है, पहले भी घर-घर में महुआ का लाटा बनता रहा है, और लोग बड़े चाव से उसे खाते भी हैं, और इन्हीं कॉन्सेप्ट से प्रेरित होकर अब इसका उपयोग हम बहुत ही अच्छे तरीके से करना चाह रहे थे और इसीलिए हम लोगों ने महुआ से बिस्किट बनाने का एक तरीका निकाला जिसे सभी लोग पसंद भी कर रहे हैं फिर बच्चे हो बुजुर्गों बड़े हो हर कोई पसंद कर रहा है.

न्यूट्रीशन की भरमार

महुआ में न्यूट्रिशन की तादाद अच्छी खासी होती है और जब इससे बिस्किट बन जाता है तो और पौष्टिक हो जाता है, प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं कि महुआ में न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत ज्यादा है, इसमें प्रोटीन 5.9 ग्राम है, कार्बोहाइड्रेट 46.1 है, फैट 22.2 ग्राम है और फाइबर 0.9 है और जो कैलोरी है इसमें 408 ग्राम है.

Mahua
महुआ के बिस्किट
कुपोषण की लड़ाई में आ सकता है काम

महुआ में न्यूट्रिशन वैल्यू इतना ज्यादा है कि यह कुपोषण की लड़ाई में भी काम आ सकता है. वैसे भी शहडोल जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा है और ऐसे में कुपोषण की लड़ाई में महुआ से बनी यह बिस्किट बहुत ज्यादा काम आ सकती है, क्योंकि बिस्किट बच्चों को भी पसंद होती है, बड़ों को भी पसंद होती है और बुजुर्गों को भी पसंद होती है और जिस तरह से अब तक इसकी डिमांड रही है हर कोई इसे पसंद भी कर रहा है. ऐसे में इसे आंगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों को भी महुआ का बिस्किट खिलाया जा सकता है. इससे लोगों को रोजगार भी सृजित होगा.

Mahua
महुआ
किसानों को भी जोड़ रहे

एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि इससे किसानों को भी जोड़ने का काम किया जा रहा है, पहला तो किसानों से साफ सुथरा महुआ ही अच्छे दामों पर लिया जा रहा है. दूसरा आने वाले समय में अगर बिस्किट की डिमांड बढ़ती है और अगर इसकी उपयोगिता बढ़ती है तो किसानों से अच्छे रेट में साफ सुथरा महुआ लिया जाएगा. जिससे उनको अच्छे दाम मिल सकेंगे और इसमें न्यूट्रीशन वैल्यू इतना है, इससे पोषण मिलेगा. साथ ही इसके लिए अलग-अलग वर्कशॉप भी कर रहे हैं और लोगों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं कि वह घर में कैसे महुआ से बिस्किट बना सकते हैं और खुद भी रोजगार से जुड़ सकते हैं.

आदिवासियों में नहीं कोरोना का डर, संक्रमण से बचने के लिए खा रहे महुआ

ऐसे बनाएं महुआ से बिस्किट

महुआ से बिस्किट बनाने की विधि के बारे में प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि पहले साफ सुथरा महुआ ले ले उसे अच्छे से साफ कर लें, इसमें किसी तरह का कोई कंकर पत्थर ना रहे, नहीं तो टेस्ट खराब हो जाएगा. महुआ को पीस ले, पीसने के बाद उसमें और घी का लेप बनाकर, आटे(100 ग्राम) में मिलाकर डो बनाए, शक्कर स्वाद अनुसार ली जा सकती है. साथ ही एक चुटकी मीठा सोडा भी मिला लें. इस डो को सांचे में रखकरउसे ओवन में रख दें. लगभग आधे घंटे के लिए 180 डिग्री टेंपरेचर में रख देते हैं. इसके बाद पक जाने पर बिस्किट ब्राउन कलर का हो जाएगा, जो खाने के लिए तैयार होगा.

Mahua
फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन में बिस्किट का निर्माण
बाजार में है डिमांड

महुआ से बने बिस्किट की बाजार में अच्छी खासी डिमांड है, क्योंकि अभी तक जहां भी मेले में या किसी कार्यक्रम में या किसानों को ही बांटा गया है, वहां ये काफी पंसंद किया गया है, और इसकी और डिंमाड आ रही है. प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं कि लोग खरीद भी रहे हैं और आर्डर भी अच्छा खासा दे रहे हैं. क्योंकि इसका टेस्ट भी अच्छा है और इसमें न्यूट्रिशन तो है ही, साथ ही खाने में कुरकुरा भी है तो बच्चे भी खूब पसंद कर रहे हैं. अभी हाल ही में संभाग के सबसे बड़े मेले बाणगंगा मेला में इसे रखवाया गया था जहां इसकी काफी ज्यादा डिमांड रही. यहां तक कि आगे के लिए भी लोगों ने आर्डर दिया.

कम लागत में शुरू किया जा सकता है रोजगार

महुआ से बिस्किट बनाने का काम भी लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा साधन हो सकता है क्योंकि इसे कम लागत में ही शुरू किया जा सकता है. एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं की इसे 15 से 20 हज़ार की लागत से शुरू किया जा सकता है. किसान इसमें अपना रोजगार भी सृजित कर सकता है. ये कम पूंजी में शुरू किया जाने वाला बिजनेस है. ये प्रदीप सिंह बघेल तो यहां तक कहते हैं अगर कोई समूह या आदिवासी समाज का व्यक्ति या गरीब तबके के व्यक्ति इस स्वरोजगार को अपनाना चाहता है तो अपने घर में ही बना कर हमें भी प्रोडक्ट बेच सकता है, हम उसे टेस्ट करेंगे, उसकी पौष्टिकता को चेक करेंगे और अगर वह अच्छा रहता है तो हम उसे खुद ही खरीदेंगे. ऐसा करके आदिवासी समाज के लोग, गरीब तबके के लोग, बेरोजगार युवा महुआ से बिस्किट बनाकर खुद को रोजगार से जोड़ सकते हैं.

किसानों के अतिरिक्त आय के लिए पहल

संयुक्त संचालक जेएस पेन्द्रआम कहते हैं की इस अंचल में सर्वाधिक तादाद में महुआ के पौधे पाए जाते हैं और यहां पर महुआ का उत्पादन बहुतायत में होता है और महुआ में पोषक तत्व की भरमार भी है, अगर इसको खाने के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो निश्चित रूप से इससे पोषण से संबंधित कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए यहां पर एक कंपनी का निर्माण किया गया है ये मैकल ट्रेडीशन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी हैं. ये कंपनी महुआ से बिस्कुट बनाकर नवाचार कर रही हैं और उसे किसानों को उपलब्ध भी कराया जाएगा. महुआ से बिस्किट अलग-अलग जगह पर भी बनाया जा सकता है, इसके लिए किसानों को समूहों को ट्रेनिंग भी दी जा रही हैं जिससे वह भी महुआ बनाने काम सीख सकें, जिससे वह भी उत्पाद तैयार कर सकते हैं और साथ ही इस कंपनी को भी बेच सकते हैं.

पातालकोट के आदिवासियों की इम्युनिटी का राज है महुआ

आत्मनिर्भर बनने में हो सकता है कारगर

जहां इन दिनों आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की जा रही है और लोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर काम किया जा रहा है. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां पर महुआ जैसे उत्पादों से जो कि यहां बहुतायत में पाए जाते हैं, उससे प्रोडक्ट बनाकर आत्मनिर्भर बनने में ज्यादा मदद मिलेगी और जिस तरह से महुआ से बिस्किट बनाने का काम शुरू किया गया है ये इस अंचल के लोगों के लिए एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है. इससे रोजगार सृजित किया जा सकता है कोई भी व्यक्ति महुआ से बिस्किट बनाने का काम शुरू करके आत्मनिर्भर बन सकता है। मलतब अपने आय का साधन बना सकता है.

शहडोल। जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां प्रचुर मात्रा में वन संपदा है, और यहां पर महुआ के पेड़ की भी काफी बहुलता है और महुआ के फूल के सीजन को यहां के आदिवासी उसे बड़ी ही उत्सुकता और एक त्यौहार की तरह लेते हैं और जमकर महुआ बटोरने का काम करते हैं, क्योंकि उससे थोड़ी बहुत कमाई भी हो जाती है. लेकिन अब एक फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन ने महुआ से बिस्किट बनाने का नवाचार किया है. ऑर्गनाइजेशन न केवल महुआ से बिस्किट बना रहा है बल्कि किसानों को भी इसे लेकर जागरूक कर रहा है, ट्रेनिंग दे रहा है. महुआ से बने हुए इस बिस्किट की डिमांड भी लोगों के बीच में काफी ज्यादा है. महुआ से बिस्किट बनाने का काम कम लागत में शुरू किया जा सकता है और ये आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में यहां बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

सेहत के लिए वरदान है महुआ

अब महुआ से बनेगा बिस्किट

एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि महुआ से बिस्किट बनाने का जो यह प्रोजेक्ट है वह फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के माध्यम से है. इसके माध्यम से वे लोग जो ऑर्गनाइजेशन के किसान मेंबर है, महिलाएं हैं, समूह की महिलाएं हैं उनसे साफ सुथरा महुआ लेते हैं और किसानों से साफ सुथरा महुआ लेते हैं. उनको प्रशिक्षित करते हैं फिर महुआ से बिस्किट बनाते हैं. गौरतलब है कि शहडोल संभाग में बहुत ज्यादा तादाद में महुआ होता है और फिर हमारे इस अंचल में महुआ का लाटा तो पहले भी फेमस रहा है, पहले भी घर-घर में महुआ का लाटा बनता रहा है, और लोग बड़े चाव से उसे खाते भी हैं, और इन्हीं कॉन्सेप्ट से प्रेरित होकर अब इसका उपयोग हम बहुत ही अच्छे तरीके से करना चाह रहे थे और इसीलिए हम लोगों ने महुआ से बिस्किट बनाने का एक तरीका निकाला जिसे सभी लोग पसंद भी कर रहे हैं फिर बच्चे हो बुजुर्गों बड़े हो हर कोई पसंद कर रहा है.

न्यूट्रीशन की भरमार

महुआ में न्यूट्रिशन की तादाद अच्छी खासी होती है और जब इससे बिस्किट बन जाता है तो और पौष्टिक हो जाता है, प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं कि महुआ में न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत ज्यादा है, इसमें प्रोटीन 5.9 ग्राम है, कार्बोहाइड्रेट 46.1 है, फैट 22.2 ग्राम है और फाइबर 0.9 है और जो कैलोरी है इसमें 408 ग्राम है.

Mahua
महुआ के बिस्किट
कुपोषण की लड़ाई में आ सकता है काम

महुआ में न्यूट्रिशन वैल्यू इतना ज्यादा है कि यह कुपोषण की लड़ाई में भी काम आ सकता है. वैसे भी शहडोल जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा है और ऐसे में कुपोषण की लड़ाई में महुआ से बनी यह बिस्किट बहुत ज्यादा काम आ सकती है, क्योंकि बिस्किट बच्चों को भी पसंद होती है, बड़ों को भी पसंद होती है और बुजुर्गों को भी पसंद होती है और जिस तरह से अब तक इसकी डिमांड रही है हर कोई इसे पसंद भी कर रहा है. ऐसे में इसे आंगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों को भी महुआ का बिस्किट खिलाया जा सकता है. इससे लोगों को रोजगार भी सृजित होगा.

Mahua
महुआ
किसानों को भी जोड़ रहे

एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि इससे किसानों को भी जोड़ने का काम किया जा रहा है, पहला तो किसानों से साफ सुथरा महुआ ही अच्छे दामों पर लिया जा रहा है. दूसरा आने वाले समय में अगर बिस्किट की डिमांड बढ़ती है और अगर इसकी उपयोगिता बढ़ती है तो किसानों से अच्छे रेट में साफ सुथरा महुआ लिया जाएगा. जिससे उनको अच्छे दाम मिल सकेंगे और इसमें न्यूट्रीशन वैल्यू इतना है, इससे पोषण मिलेगा. साथ ही इसके लिए अलग-अलग वर्कशॉप भी कर रहे हैं और लोगों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं कि वह घर में कैसे महुआ से बिस्किट बना सकते हैं और खुद भी रोजगार से जुड़ सकते हैं.

आदिवासियों में नहीं कोरोना का डर, संक्रमण से बचने के लिए खा रहे महुआ

ऐसे बनाएं महुआ से बिस्किट

महुआ से बिस्किट बनाने की विधि के बारे में प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि पहले साफ सुथरा महुआ ले ले उसे अच्छे से साफ कर लें, इसमें किसी तरह का कोई कंकर पत्थर ना रहे, नहीं तो टेस्ट खराब हो जाएगा. महुआ को पीस ले, पीसने के बाद उसमें और घी का लेप बनाकर, आटे(100 ग्राम) में मिलाकर डो बनाए, शक्कर स्वाद अनुसार ली जा सकती है. साथ ही एक चुटकी मीठा सोडा भी मिला लें. इस डो को सांचे में रखकरउसे ओवन में रख दें. लगभग आधे घंटे के लिए 180 डिग्री टेंपरेचर में रख देते हैं. इसके बाद पक जाने पर बिस्किट ब्राउन कलर का हो जाएगा, जो खाने के लिए तैयार होगा.

Mahua
फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन में बिस्किट का निर्माण
बाजार में है डिमांड

महुआ से बने बिस्किट की बाजार में अच्छी खासी डिमांड है, क्योंकि अभी तक जहां भी मेले में या किसी कार्यक्रम में या किसानों को ही बांटा गया है, वहां ये काफी पंसंद किया गया है, और इसकी और डिंमाड आ रही है. प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं कि लोग खरीद भी रहे हैं और आर्डर भी अच्छा खासा दे रहे हैं. क्योंकि इसका टेस्ट भी अच्छा है और इसमें न्यूट्रिशन तो है ही, साथ ही खाने में कुरकुरा भी है तो बच्चे भी खूब पसंद कर रहे हैं. अभी हाल ही में संभाग के सबसे बड़े मेले बाणगंगा मेला में इसे रखवाया गया था जहां इसकी काफी ज्यादा डिमांड रही. यहां तक कि आगे के लिए भी लोगों ने आर्डर दिया.

कम लागत में शुरू किया जा सकता है रोजगार

महुआ से बिस्किट बनाने का काम भी लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा साधन हो सकता है क्योंकि इसे कम लागत में ही शुरू किया जा सकता है. एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं की इसे 15 से 20 हज़ार की लागत से शुरू किया जा सकता है. किसान इसमें अपना रोजगार भी सृजित कर सकता है. ये कम पूंजी में शुरू किया जाने वाला बिजनेस है. ये प्रदीप सिंह बघेल तो यहां तक कहते हैं अगर कोई समूह या आदिवासी समाज का व्यक्ति या गरीब तबके के व्यक्ति इस स्वरोजगार को अपनाना चाहता है तो अपने घर में ही बना कर हमें भी प्रोडक्ट बेच सकता है, हम उसे टेस्ट करेंगे, उसकी पौष्टिकता को चेक करेंगे और अगर वह अच्छा रहता है तो हम उसे खुद ही खरीदेंगे. ऐसा करके आदिवासी समाज के लोग, गरीब तबके के लोग, बेरोजगार युवा महुआ से बिस्किट बनाकर खुद को रोजगार से जोड़ सकते हैं.

किसानों के अतिरिक्त आय के लिए पहल

संयुक्त संचालक जेएस पेन्द्रआम कहते हैं की इस अंचल में सर्वाधिक तादाद में महुआ के पौधे पाए जाते हैं और यहां पर महुआ का उत्पादन बहुतायत में होता है और महुआ में पोषक तत्व की भरमार भी है, अगर इसको खाने के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो निश्चित रूप से इससे पोषण से संबंधित कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए यहां पर एक कंपनी का निर्माण किया गया है ये मैकल ट्रेडीशन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी हैं. ये कंपनी महुआ से बिस्कुट बनाकर नवाचार कर रही हैं और उसे किसानों को उपलब्ध भी कराया जाएगा. महुआ से बिस्किट अलग-अलग जगह पर भी बनाया जा सकता है, इसके लिए किसानों को समूहों को ट्रेनिंग भी दी जा रही हैं जिससे वह भी महुआ बनाने काम सीख सकें, जिससे वह भी उत्पाद तैयार कर सकते हैं और साथ ही इस कंपनी को भी बेच सकते हैं.

पातालकोट के आदिवासियों की इम्युनिटी का राज है महुआ

आत्मनिर्भर बनने में हो सकता है कारगर

जहां इन दिनों आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की जा रही है और लोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर काम किया जा रहा है. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां पर महुआ जैसे उत्पादों से जो कि यहां बहुतायत में पाए जाते हैं, उससे प्रोडक्ट बनाकर आत्मनिर्भर बनने में ज्यादा मदद मिलेगी और जिस तरह से महुआ से बिस्किट बनाने का काम शुरू किया गया है ये इस अंचल के लोगों के लिए एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है. इससे रोजगार सृजित किया जा सकता है कोई भी व्यक्ति महुआ से बिस्किट बनाने का काम शुरू करके आत्मनिर्भर बन सकता है। मलतब अपने आय का साधन बना सकता है.

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