शहडोल। आदिवासी बाहुल्य जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन शुरुआती लेवल पर ही बेसिक सुविधाओं का ना मिलना खिलाड़ियों (Players) की नींव को कमजोर करने जैसा है. जिले में भी एथलेटिक्स (Athletics) के कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें अगर बेहतर सुविधा और संसाधन मिले तो वह कमाल कर सकते हैं. लेकिन आलम यह है कि जिले में नेशनल खिलाड़ियों (National players) के डाइट (Diet) को पूरा करने के लिए उनके कोच (Coach) को चंदा मांगने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि खिलाड़ियों की डाइट पूरी नहीं हो पाती, जिसकी वजह से उन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को निखारने में कोच और जोर नहीं लगा पाते. साथ ही डाइट पूरी ना होने से खिलाड़ियों में भी इंजरी (Injury) का खतरा बना रहता है.
आरती तिवारी (Aarti tiwari) कराटे (Karate) की चैंपियन खिलाड़ी (Champion player) हैं. इनमें अपार प्रतिभा है. महज 15 साल की उम्र में ही आरती 4 नेशनल खेल चुकी हैं, जिसमें से तीन बार गोल्ड मेडल (Gold medal) जीता और एक बार ब्रॉन्ज मेडल (bronze medal) हाथ लगा है. आरती ने साल 2019 में स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया (School Federation of India) में हिस्सा लिया, कराटे एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Karate Association of India) की चैंपियनशिप में हिस्सा लिया, साल 2020 में ऑल इंडिया इंडिपेंडेंस कप (All India Independence Cup) में हिस्सा लिया, और फिर ऑल इंडिया विनर्स कप (All India Winners Cup) साल 2021 में हिस्सा लिया. कोच की माने तो आरती तिवारी में गजब की प्रतिभा है, और अगर उन्हें बेहतर सुविधा और बेसिक संसाधन मिलने लग जाए तो आरती ओलंपिक (Olympic) में भी मेडल जीत सकती हैं.
शहडोल की उड़नपरी हैं ये दोनों एथलीट
सपना कचेर (Sapna Kacher) और शालिनी तिवारी (Shalini tiwari) यह दोनों गजब की एथलीट हैं. पिछले कई सालों से दौड़ लगा रही है. दोनों ही शहडोल (Shahdol) की उड़न परी के नाम से मशहूर है, और उनके कोच (Coach) का मानना है कि अगर इन दोनों एथलीटों (Athletics) को बेसिक सुविधाएं और संसाधन मिलने लगे तो यह लड़कियां इंडिया में रनिंग में कई रिकॉर्ड ब्रेक करेंगी.
सपना कचेर
सपना कचेर बताती हैं की वो लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग (long-distance running) करती हैं, और अभी एसजीएफआई खेलने गई थी. कोरोना (Corona) से पहले उनके नेशनल (nationa) में तीन इवेंट थे. 1500 मीटर 3 किलोमीटर और क्रॉस कंट्री, उनका स्टेट में मेडल है, स्टेट प्रांतीय ओलंपिक (Olympic) खेलने गई थी. वहां पर गोल्ड मेडल (Gold medal) था, और भी काफी सारे मैराथन कर चुकी हैं, 5 किलोमीटर 10 किलोमीटर, छत्तीसगढ़ मैराथन में गई थी वहा थर्ड रैंक लगी थी. इसके अलावा सतना मैराथन वहां सेकंड रैंक आई. खजुराहो में भी इवेंट हुआ था वहां भी सेकंड रैंक आई थी.
शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी (Shalini Tiwari) बेस्ट रनर हैं और पिछले कई सालों से दौड़ लगा रही हैं. उनका सपना है कि वह देश के लिए मेडल (Medal) ला सके. इसीलिए भले ही उन्हें बेसिक संसाधन और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. और वे उसके लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन दौड़ने से पीछे नहीं रहती हैं. शालिनी तिवारी बताती हैं कि वो जूनियर नेशनल (Junior National) खेल चुकी हैं, पिछले 5 साल से इस ग्राउंड में प्रैक्टिस कर रही हैं, ओपन स्टेट में ब्रॉन्ज मेडल है, स्कूल नेशनल में मेडल है, जूनियर नेशनल में भी पार्टिसिपेशन कर चुकी हैं.
तीनों नेशनल खिलाड़ियों की एक समस्या डाइट
एक खिलाड़ी के लिए डाइट कितना अहम होता है. यह हर कोई जानता है. अगर प्रॉपर डाइट ना मिले तो खिलाड़ी परफॉर्म नहीं कर पाएगा. इंजरी हमेशा उसका पीछा करती रहेगी. आरती तिवारी, सपना कचेर और शालिनी तिवारी इन तीनों ही नेशनल खिलाड़ियों (national players) की एक ही समस्या है. ये तीनों ही नेशनल खिलाड़ी अपने खेल के प्रति जुनूनी हैं, हर दिन 5 से 6 घंटे अपने खेल के प्रति समर्पित भी रहती हैं. लेकिन इनके खेल और उनके सपनों के आड़े आ रही है प्रॉपर डाइट (Diet) ना हो पाना. ये तीनों ही खिलाड़ी इतने सक्षम नहीं है की एक एथलीट को जितनी डाइट चाहिए ये उस डाइट के खर्च को उटा सकें, जिसकी वजह से इनकी डाइट पूरी नहीं हो पाती. जिससे इनका प्रदर्शन प्रभावित होता है. इन खिलाड़ियों का कहना है टीम के कोच इधर-उधर से इनके डाइट की व्यवस्था तो करते हैं लेकिन यह कब तक चलेगा.
ओलंपिक तक पहुंच सकती है, बस सुविधाएं मिलें
आरती तिवारी कराटे चैंपियन के कोच रामकिशोर चौरसिया कहते हैं कि आरती में टैलेंट कूट-कूट कर भरा है. मेहनती भी बहुत है. खेल के प्रति जुनून भी हैं. 6 से 7 घंटे हर दिन अपने खेल को समय भी देती हैं. इस खिलाड़ी के सपनों के आड़े सिर्फ डाइट (Diet) आ रही है. कोच रामकिशोर चौरसिया आरती तिवारी की डाइट की समस्या को लेकर कहते हैं कि अभी एक महीने पहले ही उसे इंजरी (Injury) हुई थी. तो उसकी सबसे बड़ी वजह रही प्रॉपर डाइट न होना और मेहनत ज्यादा होना. इसके बाद लगभग 20 से 25 दिन बेड रेस्ट करना पड़ा, 6 से 7 घंटे ट्रेनिंग होती है प्रॉपर डाइट न होने से उसे कमजोरी आ गई थी. कोच ने कहा, डाइट की व्यवस्था के लिए मेरे से जितना हो पा रहा उतना कर रहा हूं.
सुविधाएं तो दो इंडिया का रिकॉर्ड ब्रेक कर देंगे
शालिनी तिवारी और सपना कचेर के कोच धीरेंद्र सिंह मानते हैं कि अगर बेसिक सुविधाएं मिलने लगे तो यह खिलाड़ी कई रिकॉर्ड ब्रेक कर सकती हैं, क्योंकि इनमें टैलेंट कूट कूट कर भरा है. कोच धीरेंद्र सिंह कहते है की यहां पर इनको ट्रेनिंग देते हुए 6 से 7 साल हो गए, ये प्रॉपर समय को फॉलो करती हैं. सुबह शाम दोनों का शेड्यूल है उस हिसाब से ट्रेनिंग करती हैं, और जहां तक मैंने महसूस किया इनका बहुत बढ़िया रिजल्ट है.
जिला स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं
जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी राजेश शाक्य जो कि शहडोल जिले के भी प्रभारी हैं. उनसे जब इस समस्या को लेकर चर्चा की तो उनका कहना था की प्रशासन की ये व्यवस्था है कि अभी हमारी एकेडमी के लिए टैलेंट सर्च (Talent Search) चल रहा है. पूरे मध्यप्रदेश (MP) में टैलेंट सर्च (Talent Search) करके उन्हें चयनित कर रहे हैं. अगर बच्चे में टैलेंट है और टैलेंट सर्च में अच्छा परफॉर्मेंस देता है, और स्टेट लेवल पर हमारी एकेडमी सिलेक्ट हो जाती है तो फिर तो खिलाड़ियों के रहने खाने पढ़ाई का पूरा खर्च खेल युवा कल्याण विभाग उठाएगा. लेकिन जिला लेवल के लिए हमारे विभाग में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.