शहडोल। मध्यप्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इसलिए यहां हर समय आदिवासियों की कोई न कोई अनोखी परंपरा देखने को मिल जाती है. एक ऐसी ही अनोखी और अद्भुत परंपरा है बेदरी पूजा की. जिसे जिले में आदिवासी समाज के लोग बरसात शुरू होने से पहले करते हैं. खास बात ये है कि जब तक इस पूजा को आदिवासी समाज के लोग नहीं कर लेते हैं, तब तक खेती के काम की शुरुआत नहीं करते. साथ ही इस पूजा के बाद मिट्टी के चार पत्थरों से लोग पूरे बरसात में किस तरह से बारिश होगी इसका भी अनुमान लगा लेते हैं.
चमत्कारी और अनोखी है परंपरा: बेदरी पूजा के लिए सबसे पहले घर-घर जाकर पूरे गांव के लोगों से चंदा इकट्ठा किया जाता है. पहले ग्राम देवता ठाकुर बाबा के पास पूजा की जाती है और मुर्गे को दाना चुगाया जाता है. फिर उसके बाद गांव के खेरवा के पास ले जाकर पूजा की जाती है और वहां भी मुर्गे को दाना चुगाया जाता है. उसके बाद पूजा पाठ करके अपने गांव और आसपास के गांव की खुशहाली, बीमारी से रक्षा और अच्छी बारिश की मन्नत मांगी जाती है. साथ ही गांव के बाहर उस मुर्गे को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है, जिससे गांव में किसी तरह की कोई बीमारी ना आए.
गांव की समृद्धि के लिए की जाती है पूजा: ईटीवी भारत ने जब आदिवासियों से जाना कि आखिर ये पूजा क्यों की जाती है तो इसके बारे में आदिवासी समाज के लोग बताते हैं यह पूजा गांव की समृद्धि, विकास, बरकत, साल भर गांव में किसी तरह की कोई महामारी ना आए, कोई अनहोनी न हो, अच्छी बारिश और फसल की पैदावार के लिए यह पूजा की जाती है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. पहले उनके पूर्वज किया करते थे और अब यह लोग कर रहे हैं और आने वाली पीढ़ी को सिखा भी रहे हैं.
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मिट्टी के चार पत्थरों से बारिश का अनुमान: ये पूजा बरसात शुरू होने से पहले की जाती है. इस पूजा को लेकर ग्रामीण छलकू बैगा ने एक अनोखी बात बताते हुए कहा कि पूजा से पहले ग्राम देवता ठाकुर बाबा में एक कलश स्थापित किया जाता है. उस कलश में पानी भरा जाता है, जिसे मिट्टी के चार पत्थरों के ऊपर रखा जाता है. उसके बाद धीरे-धीरे कुछ घंटे के बाद मिट्टी के वो पत्थर जितना भीगते हैं, उतनी ही बारिश का अनुमान भी लगाया जाता है. कलश के नीचे रखे जाने वाले चारों पत्थरों को स्थापित करते समय चार महीने का नाम दिया जाता है. जैसे असाढ़, सावन, भादों, कुमार. इस तरह से जो पत्थर जितना भीगता है, उस महीने में कितनी बारिश होगी इसका अनुमान लगाया जाता है. छलकू बैगा कहते हैं कि ये अनुमान हर साल काफी सटीक बैठता है. उनके पूर्वज बरसात से पहले इस तरह की परंपरा को निभाते आये हैं और ये प्रक्रिया वो भी करते आ रहे हैं.(Unique tradition of tribals in shahdol) (Bedri Puja of Shahdol Tribals) (Bedri Puja before rain in Shahdol) (Prediction of rain from mud stones in Shahdol)