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MP Seat Scan Jaisinghnagar: डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से यहां आदिवासियों की पहली पसंद BJP, क्या इस बार कांग्रेस लगा पाएगी सेंध

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे शहडोल जिले के जयसिंहनगर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से बीजेपी का कब्जा है. हर बार चुनाव में बीजेपी कांग्रेस को यहां से करारी शिकस्त देकर जीत का परचम लहराती है, हालांकि इस बार बीजेपी को लेकर जनता में नाराजगी देखने मिल रही है, देखने होगा बीजेपी के जीत का अभियान जारी रहेगा या कांग्रेस को जीत मिलेगी.

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Published : Jun 29, 2023, 6:15 AM IST

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं और तीनों ही विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. मतलब भारतीय जनता पार्टी के विधायक यहां काबिज हैं. कभी यह आदिवासी इलाका कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय हो गया है. अब यह इलाका बीजेपी का गढ़ बन चुका है और यहां सेंध लगाना कांग्रेस के लिए अब बड़ी चुनौती बन चुकी है. ऐसे में क्या आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कमाल कर पाएगी. क्या बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा पाएगी, क्योंकि यह इलाका विंध्य का अहम इलाका है. यहां पर सीधे-सीधे खुद शिवराज सिंह चौहान की नजर रहती है.

शहडोल में कितने विधानसभा: शहडोल जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं और तीनों ही विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र और ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र, यह 3 विधानसभा सीटें है. तीनों ही विधानसभा सीट आदिवासी सीट है. एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और तीनों ही सीटों पर बात करें तो जयसिंह नगर में जहां बीजेपी के जय सिंह मरावी विधायक हैं, तो जैतपुर में बीजेपी से मनीषा सिंह विधायक हैं, वहीं ब्यौहारी में भी भारतीय जनता पार्टी के शरद कोल विधायक हैं.

प्रकृति की खूबसूरती और खनिज संपदा का भंडार: शहडोल जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन अगर प्रकृति की खूबसूरती देखनी है तो शहडोल आइए खनिज संपदा का यहां अकूत भंडार पाया जाता है, कोयला की नगरी कही जाती है. इतना ही नहीं यहां पर रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी मीथेन गैस निकाल रही है, कोयला खनन के लिए कई बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां मौजूद हैं, इसके अलावा यहां ओपियम पेपर मिल एशिया का पहला कागज का कारखाना है. यह अपने आप में ही अद्भुत है. इतना ही नहीं इसके अलावा कई ऐसे छोटे-बड़े कारोबार यहां फल फूल रहे हैं. फिर भी यह बड़ा सवाल है कि इतने बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां बड़े-बड़े कारखाने कोयला का अकूत भंडार और उसके होने के बाद भी शहडोल में लोग रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं जो बड़ा सवाल है.

शहडोल को राजा विराट की नगरी कही जाती है. यहां का विराट शिव मंदिर अनोखा, अद्भुत और अलौकिक है. जिसे दूर-दूर से देखने के लिए लोग पहुंचते हैं.

जयसिंहनगर विधानसभा सीट: शहडोल जिले का जयसिंहनगर विधानसभा सीट हमेशा चर्चित रहता है, क्योंकि शहडोल जिला मुख्यालय भी इसी विधानसभा के अंतर्गत आता है. यहां पर हर बार काफी रोचक लड़ाई देखने को मिलती है, क्योंकि इस विधानसभा सीट में पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. हर बार यहां भारतीय जनता पार्टी मजबूत रही है. ऐसे में इस बार बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार कांग्रेस इस विधानसभा सीट पर सेंध लगा पाएगी. जयसिंह नगर विधानसभा सीट से वर्तमान में बीजेपी के मजबूत विधायक जय सिंह मरावी का कब्जा है. आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार क्या होगा इस पर सबकी नजर है.

पिछले तीन चुनाव में जयसिंहनगर: जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर नजर डालें तो इस सीट में 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विधायक जय सिंह मरावी ने जीत हासिल की थी. उनके मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के ध्यान सिंह मार्को थे. साल 2018 में जयसिंहनगर विधानसभा सीट में 2,33,383 टोटल वोटर थे, जिसमें से 1,13,704 महिला वोटर थीं, तो वहीं 1,19,678 पुरुष वोटर थे.

MP Seat Scan Jaisinghnagar
साल 2018 का रिजल्ट

साल 2013 विधानसभा चुनाव: साल 2013 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो जयसिंह नगर सीट में बीजेपी की प्रमिला सिंह जो कि बीजेपी विधायक प्रत्याशी थीं, जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी. उस चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी ध्यान सिंह थे जो कि कांग्रेस के ही प्रत्याशी थे और इस चुनाव में दोनों के बीच जीत का अंतर 13, 963 वोट का था.

साल 2008 विधानसभा चुनाव: साल 2008 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो जयसिंह नगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुंदर सिंह जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे. उनके मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कमला प्रसाद सिंह थे. इस चुनाव में सुंदर सिंह और कमला प्रसाद सिंह के बीच जीत का अंतर 12,284 वोट का था.

जयसिंहनगर विधानसभा में वोटर्स: जयसिंह नगर विधानसभा सीट में टोटल वोटर्स की संख्या पर नजर डालें तो वर्तमान में 2,44,226 टोटल वोटर हैं. जिसमें से 1,24,931 पुरुष वोटर्स हैं और 1,19,290 महिला वोटर हैं, तो वहीं 5 थर्ड जेंडर वोटर हैं. आगामी कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में इतने ही वोटर फैसला करेंगे, कि इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनेगी. बीजेपी का विधायक जीतेगा या फिर कई दशक के बाद कांग्रेस इस विधानसभा सीट पर सेंध लगाने में कामयाब हो पाएगी.

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जयसिंहनगर सीट का रिपोर्ट कार्ड

जयसिंहनगर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण: जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र आदिवासी आरक्षित सीट है. यहां पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां गौड़ समाज के वोटर्स की बहुलता है. उसके बाद बैगा समाज के वोटर्स की संख्या है और फिर तीसरे नंबर पर कोल समाज के वोटर्स पाए जाते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो यहां पर गौड़, बैगा और कोल समाज के लोगों की बहुलता है और विधायक बनाने में इस जाति वाले वोटर्स का बड़ा रोल रहता है.

ये रहेंगे बड़े मुद्दे: जयसिंहनगर विधानसभा सीट भले ही बीजेपी का गढ़ है, लेकिन इस बार के आगामी विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए भी आसान नहीं होगी, क्योंकि यहां कई ऐसे मुद्दे हैं, जो अब पिछले कई बार से जीतती आ रही पार्टी और उनके विधायकों के काम पर सवाल खड़े कर रहे हैं. जयसिंहनगर विधानसभा सीट में संभागीय मुख्यालय भी आता है, लेकिन आज भी यहां से रोजगार के लिए काफी संख्या में मजदूरों को देशभर के अलग-अलग जगहों पर रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है.

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जयसिंहनगर सीट का जातीय समीकरण

पलायन बड़ा मुद्दा: कोरोना काल के दौरान यह देखने भी मिला था कि क्षेत्र का कितना बड़ा मजदूर वर्ग रोजगार के लिए पलायन करते हैं. इतना ही नहीं क्षेत्र के पढ़े लिखे युवाओं को भी यहां से रोजगार के लिए दूर दराज महानगरों में जाना पड़ता है. छोटे-छोटे स्थानीय मुद्दों पर नजर डालें तो वह भी इस बार के चुनाव में बड़ा असर छोड़ेंगे. आज तक युवाओं को ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए बाहर जाना पड़ता है. जिससे उन्हें अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कई बार तो युवा इस बात का विरोध भी कर चुके हैं. इस बार के चुनाव में ऐसे छोटे छोटे मुद्दे भी बड़ा असर छोड़ सकते हैं, क्योंकि इस तरह के छोटे-छोटे कई मुद्दे हैं, जिसका असर देखने को मिल सकता है.

यहां पढ़े सीट स्कैन...

पंचायत और नगर चुनाव में दिखा ट्रेलर: बीजेपी के लिए खतरे की घंटी इस बार इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी भले ही इस विधानसभा सीट से पिछले कई पंचवर्षीय से लगातार जीतती आ रही है और उसका गढ़ भी बन गया है, लेकिन इस बार हवा कुछ और ही है. यह इस बात से समझा जा सकता है कि अभी हाल ही में पंचायत चुनाव हुए, नगर के चुनाव हुए जिसमें बीजेपी बैकफुट पर नजर आई. संभागीय मुख्यालय के नगर पालिका में कांग्रेस का नगर पालिका अध्यक्ष है. इसके अलावा भी नगर चुनाव में कई जगहों पर बीजेपी कांग्रेस से पीछे नजर आई. यहां भी कांटे की टक्कर दिखी और इसी को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

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जयसिंहनगर सीट के मतदाता

विधायकों के बेरुखी से पब्लिक नाराज: बीजेपी के लिए जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर इस बार मुश्किल इसलिए भी हो सकती है, क्योंकि क्षेत्र में विधायक पूरे 5 साल तक सक्रिय नजर नहीं आए है. यहां की जनता कोई भी कार्य लेकर जाती है, लेकिन उन विधायकों के मार्फत उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. क्षेत्र के काम के प्रति विधायकों की बेरुखी का असर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि इस बार यह हवा भी उठ रही है कि ऐसा विधायक किस काम का जो क्षेत्र के लिए कोई बड़ा काम ना करा सके. क्षेत्रवासी लगातार इतनी दिक्कतों से गुजरते रहते हैं, लेकिन विधायक की कोई सुनवाई नहीं होती, यह मुद्दा भी इस बार बड़ा बन सकता है.

चेहरा नहीं पार्टी होती है असरदार: जयसिंहनगर विधानसभा सीट की बात करें तो आदिवासी बहुल इलाका है, आदिवासी सीट है और यहां पर कोई भी ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है कि जिसे देखकर एक बड़ा वोटर्स का तबका उधर झुक जाए. देखा जाए तो इस सीट पर पार्टी को देखकर वोटिंग होती है और पार्टी के कामकाज को देखने के बाद ही लोग अपना वोट करते हैं. स्थानीय मुद्दों पर भी वोटिंग होती है और वोटर्स यह तय करते हैं कि वह किधर जाएंगे बीजेपी या फिर कांग्रेस.

हो सकती है कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर: गौरतलब है कि शहडोल जिले के जयसिंह नगर विधानसभा सीट पर भले ही भारतीय जनता पार्टी पिछले कई पंचवर्षीय से जीतती आ रही है. ये क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बन चुका है, लेकिन इस बार हवा कुछ और ही है. पंचायत चुनाव और निकाय के चुनाव में यह देखने को भी मिला है कि किस तरह से बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई है और जिस तरह की हवा इस बार अभी चल रही है और वर्तमान विधायकों को लेकर आम लोगों में जिस तरह का असंतोष है, यहां के स्थानीय मुद्दों को लेकर जिस तरह से जनता परेशान है, जिम्मेदारों से रूष्ट है, उसे देखते हुए इस बार भारतीय जनता पार्टी के इस गढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद की जा रही है.

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं और तीनों ही विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. मतलब भारतीय जनता पार्टी के विधायक यहां काबिज हैं. कभी यह आदिवासी इलाका कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय हो गया है. अब यह इलाका बीजेपी का गढ़ बन चुका है और यहां सेंध लगाना कांग्रेस के लिए अब बड़ी चुनौती बन चुकी है. ऐसे में क्या आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कमाल कर पाएगी. क्या बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा पाएगी, क्योंकि यह इलाका विंध्य का अहम इलाका है. यहां पर सीधे-सीधे खुद शिवराज सिंह चौहान की नजर रहती है.

शहडोल में कितने विधानसभा: शहडोल जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं और तीनों ही विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र और ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र, यह 3 विधानसभा सीटें है. तीनों ही विधानसभा सीट आदिवासी सीट है. एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और तीनों ही सीटों पर बात करें तो जयसिंह नगर में जहां बीजेपी के जय सिंह मरावी विधायक हैं, तो जैतपुर में बीजेपी से मनीषा सिंह विधायक हैं, वहीं ब्यौहारी में भी भारतीय जनता पार्टी के शरद कोल विधायक हैं.

प्रकृति की खूबसूरती और खनिज संपदा का भंडार: शहडोल जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन अगर प्रकृति की खूबसूरती देखनी है तो शहडोल आइए खनिज संपदा का यहां अकूत भंडार पाया जाता है, कोयला की नगरी कही जाती है. इतना ही नहीं यहां पर रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी मीथेन गैस निकाल रही है, कोयला खनन के लिए कई बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां मौजूद हैं, इसके अलावा यहां ओपियम पेपर मिल एशिया का पहला कागज का कारखाना है. यह अपने आप में ही अद्भुत है. इतना ही नहीं इसके अलावा कई ऐसे छोटे-बड़े कारोबार यहां फल फूल रहे हैं. फिर भी यह बड़ा सवाल है कि इतने बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां बड़े-बड़े कारखाने कोयला का अकूत भंडार और उसके होने के बाद भी शहडोल में लोग रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं जो बड़ा सवाल है.

शहडोल को राजा विराट की नगरी कही जाती है. यहां का विराट शिव मंदिर अनोखा, अद्भुत और अलौकिक है. जिसे दूर-दूर से देखने के लिए लोग पहुंचते हैं.

जयसिंहनगर विधानसभा सीट: शहडोल जिले का जयसिंहनगर विधानसभा सीट हमेशा चर्चित रहता है, क्योंकि शहडोल जिला मुख्यालय भी इसी विधानसभा के अंतर्गत आता है. यहां पर हर बार काफी रोचक लड़ाई देखने को मिलती है, क्योंकि इस विधानसभा सीट में पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. हर बार यहां भारतीय जनता पार्टी मजबूत रही है. ऐसे में इस बार बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार कांग्रेस इस विधानसभा सीट पर सेंध लगा पाएगी. जयसिंह नगर विधानसभा सीट से वर्तमान में बीजेपी के मजबूत विधायक जय सिंह मरावी का कब्जा है. आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार क्या होगा इस पर सबकी नजर है.

पिछले तीन चुनाव में जयसिंहनगर: जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर नजर डालें तो इस सीट में 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विधायक जय सिंह मरावी ने जीत हासिल की थी. उनके मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के ध्यान सिंह मार्को थे. साल 2018 में जयसिंहनगर विधानसभा सीट में 2,33,383 टोटल वोटर थे, जिसमें से 1,13,704 महिला वोटर थीं, तो वहीं 1,19,678 पुरुष वोटर थे.

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साल 2018 का रिजल्ट

साल 2013 विधानसभा चुनाव: साल 2013 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो जयसिंह नगर सीट में बीजेपी की प्रमिला सिंह जो कि बीजेपी विधायक प्रत्याशी थीं, जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी. उस चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी ध्यान सिंह थे जो कि कांग्रेस के ही प्रत्याशी थे और इस चुनाव में दोनों के बीच जीत का अंतर 13, 963 वोट का था.

साल 2008 विधानसभा चुनाव: साल 2008 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो जयसिंह नगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुंदर सिंह जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे. उनके मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कमला प्रसाद सिंह थे. इस चुनाव में सुंदर सिंह और कमला प्रसाद सिंह के बीच जीत का अंतर 12,284 वोट का था.

जयसिंहनगर विधानसभा में वोटर्स: जयसिंह नगर विधानसभा सीट में टोटल वोटर्स की संख्या पर नजर डालें तो वर्तमान में 2,44,226 टोटल वोटर हैं. जिसमें से 1,24,931 पुरुष वोटर्स हैं और 1,19,290 महिला वोटर हैं, तो वहीं 5 थर्ड जेंडर वोटर हैं. आगामी कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में इतने ही वोटर फैसला करेंगे, कि इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनेगी. बीजेपी का विधायक जीतेगा या फिर कई दशक के बाद कांग्रेस इस विधानसभा सीट पर सेंध लगाने में कामयाब हो पाएगी.

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जयसिंहनगर सीट का रिपोर्ट कार्ड

जयसिंहनगर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण: जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र आदिवासी आरक्षित सीट है. यहां पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां गौड़ समाज के वोटर्स की बहुलता है. उसके बाद बैगा समाज के वोटर्स की संख्या है और फिर तीसरे नंबर पर कोल समाज के वोटर्स पाए जाते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो यहां पर गौड़, बैगा और कोल समाज के लोगों की बहुलता है और विधायक बनाने में इस जाति वाले वोटर्स का बड़ा रोल रहता है.

ये रहेंगे बड़े मुद्दे: जयसिंहनगर विधानसभा सीट भले ही बीजेपी का गढ़ है, लेकिन इस बार के आगामी विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए भी आसान नहीं होगी, क्योंकि यहां कई ऐसे मुद्दे हैं, जो अब पिछले कई बार से जीतती आ रही पार्टी और उनके विधायकों के काम पर सवाल खड़े कर रहे हैं. जयसिंहनगर विधानसभा सीट में संभागीय मुख्यालय भी आता है, लेकिन आज भी यहां से रोजगार के लिए काफी संख्या में मजदूरों को देशभर के अलग-अलग जगहों पर रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है.

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जयसिंहनगर सीट का जातीय समीकरण

पलायन बड़ा मुद्दा: कोरोना काल के दौरान यह देखने भी मिला था कि क्षेत्र का कितना बड़ा मजदूर वर्ग रोजगार के लिए पलायन करते हैं. इतना ही नहीं क्षेत्र के पढ़े लिखे युवाओं को भी यहां से रोजगार के लिए दूर दराज महानगरों में जाना पड़ता है. छोटे-छोटे स्थानीय मुद्दों पर नजर डालें तो वह भी इस बार के चुनाव में बड़ा असर छोड़ेंगे. आज तक युवाओं को ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए बाहर जाना पड़ता है. जिससे उन्हें अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कई बार तो युवा इस बात का विरोध भी कर चुके हैं. इस बार के चुनाव में ऐसे छोटे छोटे मुद्दे भी बड़ा असर छोड़ सकते हैं, क्योंकि इस तरह के छोटे-छोटे कई मुद्दे हैं, जिसका असर देखने को मिल सकता है.

यहां पढ़े सीट स्कैन...

पंचायत और नगर चुनाव में दिखा ट्रेलर: बीजेपी के लिए खतरे की घंटी इस बार इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी भले ही इस विधानसभा सीट से पिछले कई पंचवर्षीय से लगातार जीतती आ रही है और उसका गढ़ भी बन गया है, लेकिन इस बार हवा कुछ और ही है. यह इस बात से समझा जा सकता है कि अभी हाल ही में पंचायत चुनाव हुए, नगर के चुनाव हुए जिसमें बीजेपी बैकफुट पर नजर आई. संभागीय मुख्यालय के नगर पालिका में कांग्रेस का नगर पालिका अध्यक्ष है. इसके अलावा भी नगर चुनाव में कई जगहों पर बीजेपी कांग्रेस से पीछे नजर आई. यहां भी कांटे की टक्कर दिखी और इसी को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

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जयसिंहनगर सीट के मतदाता

विधायकों के बेरुखी से पब्लिक नाराज: बीजेपी के लिए जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर इस बार मुश्किल इसलिए भी हो सकती है, क्योंकि क्षेत्र में विधायक पूरे 5 साल तक सक्रिय नजर नहीं आए है. यहां की जनता कोई भी कार्य लेकर जाती है, लेकिन उन विधायकों के मार्फत उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. क्षेत्र के काम के प्रति विधायकों की बेरुखी का असर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि इस बार यह हवा भी उठ रही है कि ऐसा विधायक किस काम का जो क्षेत्र के लिए कोई बड़ा काम ना करा सके. क्षेत्रवासी लगातार इतनी दिक्कतों से गुजरते रहते हैं, लेकिन विधायक की कोई सुनवाई नहीं होती, यह मुद्दा भी इस बार बड़ा बन सकता है.

चेहरा नहीं पार्टी होती है असरदार: जयसिंहनगर विधानसभा सीट की बात करें तो आदिवासी बहुल इलाका है, आदिवासी सीट है और यहां पर कोई भी ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है कि जिसे देखकर एक बड़ा वोटर्स का तबका उधर झुक जाए. देखा जाए तो इस सीट पर पार्टी को देखकर वोटिंग होती है और पार्टी के कामकाज को देखने के बाद ही लोग अपना वोट करते हैं. स्थानीय मुद्दों पर भी वोटिंग होती है और वोटर्स यह तय करते हैं कि वह किधर जाएंगे बीजेपी या फिर कांग्रेस.

हो सकती है कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर: गौरतलब है कि शहडोल जिले के जयसिंह नगर विधानसभा सीट पर भले ही भारतीय जनता पार्टी पिछले कई पंचवर्षीय से जीतती आ रही है. ये क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बन चुका है, लेकिन इस बार हवा कुछ और ही है. पंचायत चुनाव और निकाय के चुनाव में यह देखने को भी मिला है कि किस तरह से बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई है और जिस तरह की हवा इस बार अभी चल रही है और वर्तमान विधायकों को लेकर आम लोगों में जिस तरह का असंतोष है, यहां के स्थानीय मुद्दों को लेकर जिस तरह से जनता परेशान है, जिम्मेदारों से रूष्ट है, उसे देखते हुए इस बार भारतीय जनता पार्टी के इस गढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद की जा रही है.

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