शहडोल। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है. भारतीय जनता पार्टी ने इसकी शुरुआत तो कब से कर दी है और अब कांग्रेस भी अपने बिसात बिछाने शुरू कर दी है, अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल जिले के दौरे पर रहे जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया, आदिवासियों के साथ भोजन भी किया, चौपाल में हिस्सा भी लिया. अब राहुल गांधी शहडोल जिले के दौरे पर आ रहे हैं. जहां वह जनसभा को संबोधित करेंगे.
अब राहुल गांधी की होगी सभा: अभी कुछ दिन पहले ही 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल जिले का दौरा किया था. अब कांग्रेस भी अपने सबसे बड़े नेता कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का दौरा कराने जा रही है. शहडोल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया है कि "कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 8 अगस्त को ब्यौहारी आएंगे. जहां वो जनसभा को संबोधित करेंगे.'' कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता का कहना है कि "राहुल गांधी के ब्यौहारी आगमन पर कांग्रेस कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं."
शहडोल बना राजनीति का बड़ा केंद्र : यूं तो शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर यही शहडोल जिला देशभर में राजनीति का बड़ा अखाड़ा बनता नजर आ रहा है. शहडोल जिला आखिर राजनीति का बड़ा अड्डा क्यों बन रहा है, इसे ऐसे समझ सकते हैं अभी 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिले में लालपुर मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था. साथ ही उसके बाद जिले के पकरिया गांव में आम के बगीचे में चौपाल लगाया था, जिसमें अलग-अलग समूह के लोग शामिल हुए थे और उनसे पीएम मोदी ने चर्चा की थी. फिर आदिवासी समाज के लोगों के साथ भोजन भी किया था, जिसने काफी सुर्खियां भी बटोरी थीं.
ब्यौहारी में राहुल गांधी का दौरा तय: अब राहुल गांधी का शहडोल जिले के ब्यौहारी में दौरा तय हुआ है, जहां वो एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे, देखा जाए तो देश की राजनीति के बड़े शीर्ष नेताओं की जमघट अब इस शहडोल जिले में हो रही है. बड़े-बड़े नेता जिले में दौरे कर रहे हैं, फिर चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी पार्टी हो इन आदिवासी अंचल को आगामी विधानसभा चुनाव में अहम मान रही है और आगामी विधानसभा चुनाव में शहडोल भी अब राजनीति का बड़ा केंद्र बन रहा है.
शहडोल संभाग में 8 विधानसभा सीट: शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां 8 विधानसभा सीट हैं, जिसमें से 7 विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि एकमात्र अनूपपुर जिले की कोतमा विधानसभा सीट जनरल वर्ग के लिए है. आदिवासी बहुल क्षेत्र में सभी पार्टियों की नजर है, क्योंकि शहडोल के जिस ब्यौहारी में राहुल गांधी जनसभा करने जा रहे हैं, वहां से रीवा, सीधी, सिंगरौली भी नजदीक है. इसके अलावा शहडोल के बाजू से डिंडोरी और मंडला जो कि आदिवासी बहुल इलाका है यह भी करीब है, ऐसे में इस सभा का दूर तलक तक असर हो सकता है, जिसकी वजह से सभी पार्टियां शहडोल पर केंद्रित हो रही हैं और बड़ी-बड़ी जनसभाएं कर रही हैं और वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही हैं.
शहडोल में कांग्रेस की पोजिशन: पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो शहडोल जिले की 8 विधानसभा सीटों में से अनूपपुर जिले की 3 विधानसभा सीटों में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. हालांकि इसके बाद अनूपपुर विधानसभा सीट से बिसाहूलाल बीजेपी में शामिल हुए. फिर उपचुनाव में बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ते हुए बिसाहूलाल ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के पाले से वह सीट चली गई थी. इसके अलावा शहडोल जिले की बात की जाए तो ब्यौहारी और जैतपुर दो ऐसे विधानसभा सीट हैं, जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच जीत का मार्जिन बहुत कम था. इसीलिए इस बार कांग्रेस ब्यौहारी और जैतपुर पर भी विशेष फोकस कर रही है.
प्रियंका गांधी भी आ सकती हैं शहडोल: सूत्रों की मानें तो अभी राहुल गांधी ब्यौहारी में जनसभा करने जा रहे हैं, आने वाले समय में प्रियंका गांधी शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा सीट में जनसभा कर सकती हैं. मतलब कांग्रेस की नजर ब्यौहारी और जैतपुर जैसे सीटों पर भी है. जहां कांग्रेस पिछले चुनाव में कम मार्जिन से हारी थी. वहां इस बार ज्यादा फोकस कर रही है.
विन्ध्य पर होगा असर : राहुल गांधी के इस दौरे का असर विन्ध्य की राजनीति पर भी पड़ेगा. क्योंकि जिस ब्यौहारी में राहुल गांधी जनसभा करने जा रहे हैं. वहां से रीवा भी नजदीक पड़ता है, सीधी और सिंगरौली भी करीब है. कुल मिलाकर पूरे विन्ध्य क्षेत्र की राजनीति में एक अलग असर यह जनसभा छोड़ सकती है. साथ ही इस बार सभी पार्टियों की नजर चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस विन्ध्य क्षेत्र को साधने की चल रही है और इसीलिए लगातार बड़े-बड़े नेता यहां दौरे कर रहे हैं. फिर चाहे वो पीएम मोदी हों या कांग्रेस के राहुल गांधी.
आदिवासी सीट पर सभी का फोकस: ऐसा माना जा रहा है कि इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की जीत की चाबी आदिवासियों के पास है. इसीलिए बीजेपी हो या फिर कांग्रेस सभी आदिवासियों को साधने में लगे हुए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी ये बात देखने को मिली थी कि जिस पार्टी की सबसे ज्यादा आदिवासी सीटों पर जीत हुई थी. सत्ता में वही पार्टी काबिज होने में कामयाब भी हुई थी. पूरे मध्यप्रदेश में 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, और पिछले चुनाव में आदिवासियों के वोट बैंक के कारण ही कांग्रेस सत्ता में काबिज होने में सफल हो पाई थी.
2018 में कांग्रेस के खाते में आई थीं 30 सीटें: कांग्रेस ने पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटों में से 30 सीट जीतने में कामयाबी हासिल की थी और 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज भी हुई थी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दोनों बड़ी पार्टियां मध्यप्रदेश में चाहे फिर बीजेपी हो या कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को साधने में लगी हुई हैं. जिसके लिए उनके देश के शीर्ष नेता आदिवासी अंचलों में जनसभाएं कर रहे हैं. जिनमें से शहडोल जिला भी एक है.