शहडोल। मध्य प्रदेश में चुनावी शंखनाद हो चुका है. 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं, ऐसे में अब सभी राजनीतिक पार्टियां अपना पूरा जोर लगाना शुरू कर चुकी हैं. शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस एक बड़ा चुनावी सभा करने जा रही है, जिसमें उनके सबसे बड़े नेता राहुल गांधी सभा को संबोधित करेंगे. राहुल गांधी के इस दौरे को लेकर खासकर ब्यौहारी में ही जनसभा को लेकर कई मायने लगाए जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो राहुल गांधी के इस सभा के साथ ही कांग्रेस विंध्य में चुनावी शंखनाद तो कर ही रही है, साथ ही एक तीर से कई निशाने भी लगाने की कोशिश में है.
ब्यौहारी में गरजेंगे राहुल: 10 अक्टूबर मंगलवार के दिन शहडोल जिले के ब्यौहारी में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी सभा को संबोधित करेंगे. जिसमें काफी संख्या में लोगों के जुटने की उम्मीद है और उस हिसाब से कांग्रेस तैयारी भी कर रही है. देखा जाए तो मौजूदा विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की ये पहली और सबसे बड़ी चुनावी सभा है. जिसको सफल बनाने के लिए कांग्रेस के नेता पिछले कई दिन से कड़ी मेहनत कर रहे हैं. क्योंकि इस सभा के माध्यम से कांग्रेस विंध्य ही नहीं बल्कि महाकौशल क्षेत्र की भी कुछ सीटों को साधने की कोशिश में है, खासकर आदिवासी सीटों पर कांग्रेस की पैनी नजर है.
लाखों लोगों के जुटने की उम्मीद: कांग्रेस के जिला प्रवक्ता पीयूष शुक्ला बताते हैं कि ''राहुल गांधी की इस विशाल जनसभा में लाखों लोगों के जुटने की उम्मीद है, पूरे विंध्य क्षेत्र के 30 विधानसभा सीटों से तो लोग आएंगे ही, साथ ही महाकौशल क्षेत्र, मंडला, डिंडोरी जैसे आदिवासी बहुल इलाकों से भी लोग इस सभा में पहुंचेंगे और उसी हिसाब से पूरी तैयारी भी की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग आ सकें, और हमारे सबसे बड़े नेता को सुन सकें."
ब्यौहारी में ही सभा क्यों?: आखिर शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस इतनी बड़ी जनसभा क्यों कर रही है, राजनीतिक जानकार इसके कई मायने भी लगा रहे हैं. "विन्ध्य क्षेत्र की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मिश्रा कहते हैं, कि शहडोल संभाग के ब्यौहारी क्षेत्र में जो यह जनसभा हो रही है इसलिए भी अहम है क्योंकि ये शहडोल जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर स्थित है. वहीं से सीधी, सिंगरौली, रीवा, सतना भी करीब हैं. मतलब एक तरह से पूरे विंध्य क्षेत्र के बीचों-बीच में ब्यौहारी पड़ रहा है, इसे भी नजर अंदाज नहीं कर सकते. क्योंकि ब्यौहारी शहडोल का विधानसभा क्षेत्र जरूर है, लेकिन संसदीय सीट सीधी का है, और सीधी जिला मूत्र कांड' को लेकर पूरे देश भर में सुर्खियों में था. इसे कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा भी बनाया था. पिछले दिनों कांग्रेस ने आदिवासियों के मुद्दे को पेशाब कांड के दौरान भी आक्रामक तरीके से उठाया था. इसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को सीधी सीट से अपने कद्दावर सबसे मजबूत नेता केदारनाथ शुक्ला का टिकट काटना पड़ा, और जिनके विरोध का भी सामना बीजेपी को करना पड़ रहा है.
कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था शहडोल: इस क्षेत्र में राहुल गांधी की जनसभा को कांग्रेस का बड़ा ट्रम्प कार्ड भी कह सकते हैं. राहुल गांधी के इस सभा के साथ कांग्रेस आदिवासियों को भी साधने की कोशिश में है. क्योंकि इसी शहडोल में कुछ महीने पहले नरेंद्र मोदी भी चुनावी सभा कर चुके हैं, कभी यह इलाका कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर यहां अच्छी वापसी की है. लेकिन अब कांग्रेस इसकी भरपाई करना चाहेगी. शहडोल जिले के ब्यौहारी में चुनावी जनसभा को संबोधित कर राहुल गांधी मध्य प्रदेश के आदिवासी सीटों को भी साधना चाहेंगे.
एमपी में 47 विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. खास बात यह है कि राहुल गांधी लगातार आदिवासियों के साथ मोदी सरकार में भेदभाव के मुद्दे को उठाते रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस एक तरफ आदिवासी वोट बैंक को वापस हासिल करना चाहती है. यही वजह भी है कि उन्होंने जन आक्रोश यात्रा में राहुल गांधी के करीबी कमलेश्वर पटेल को प्रभारी बनाया. अब कांग्रेस अपने सबसे बड़े नेता की जनसभा के साथ ही एक तीर से कई निशाने लगाने के फिराक में है. क्योंकि विंध्य क्षेत्र के बीचों बीच होने वाले राहुल गांधी की इस सभा के साथ ही कांग्रेस पूरे विंध्य के 30 सीटों को तो कवर करना चाह ही रही है. इसके अलावा महाकौशल की भी कुछ सीटों पर सेंध लगाने के फिराक में है.
विंध्य में वापसी का कांग्रेस प्लान: अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस पिछले कुछ चुनाव से लगातार कमजोर होती रही है और इसके सीटों पर लगातार गिरावट भी देखने को मिली. ऐसे में राहुल गांधी की सभा के साथ ही कांग्रेस विंध्य में वापसी का भी बड़ा प्लान तैयार कर रही है. हर पांच वर्ष में कैसे कांग्रेस अपना जनाधार खोती रही, इन आंकड़ों से समझ सकते हैं.
- साल 2018 के विधानसभा चुनाव में विन्ध्य क्षेत्र की टोटल 30 विधानसभा सीट में बीजेपी को जहां 24 सीट मिली तो कांग्रेस को महज 6 सीट ही मिल सकी.
- 2013 के विधानसभा चुनाव में विन्ध्य क्षेत्र के 30 सीटों में भाजपा जहां 16 सीट जीतने में कामयाब रही जबकि कांग्रेस को 12 सीट मिली, 2003 के बाद कांग्रेस की यह सबसे ज्यादा सीट थी.
- इसके अलावा 2008 के विधानसभा चुनाव में विन्ध्य के 30 सीटों में 24 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की कांग्रेस जहां महज दो सीट ही जीत सकी, इसके अलावा कांग्रेस से ज्यादा बसपा को यहां सीट मिली उनके तीन प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहे.
राहुल की जनसभा से आदिवासी सीट पर नजर: विंध्य क्षेत्र के ब्यौहारी में हो रहे राहुल गांधी के इस चुनावी जनसभा से कांग्रेस की नजर प्रदेश की उन 47 आदिवासी विधानसभा सीटों पर भी हैं, जो आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. शहडोल संभाग पूरी तरह से आदिवासी बाहुल्य संभाग है. यहीं से लगा हुआ महाकौशल क्षेत्र का मंडला, डिंडोरी भी है वह भी पूरी तरह से आदिवासी बहुल इलाका है. शहडोल संभाग में 8 विधानसभा सीट हैं जिसमें से महज एक सीट ही जनरल वर्ग के लिए आरक्षित है, इसके अलावा सभी आदिवासी आरक्षित सीट हैं.
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटर्स को निर्णायक भूमिका में माना जा रहा है, इसलिए भारतीय जनता पार्टी तो लगातार आदिवासियों को साधने में लगी ही हुई है, इसके अलावा कांग्रेस भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीट कितनी अहम है और क्यों सत्ता की चाभी यहीं से गुजरती है इसे ऐसे समझ जा सकते हैं.
- मध्य प्रदेश में टोटल 47 आदिवासी आरक्षित विधानसभा सीट हैं और आदिवासियों के इसी वोट बैंक के कारण ही साल 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की फिर से सत्ता में वापसी हुई थी, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटों में से 30 सीट जीती थी.
- 2013 की विधानसभा चुनाव को देखें तो यहां प्रदेश की 47 आदिवासी आरक्षित सीटों में भाजपा को 31 सीट मिली थी और कांग्रेस के खाते में 15 सीट आई थी, तब यहां भाजपा ने जीत हासिल की थी.
- मतलब जो भी पार्टी आदिवासी सीटों पर बाजी मार लेती है वो सत्ता पर काबिज हो जाती है, और इसीलिए दोनों ही पार्टियां आदिवासी सीटों को साधने में जुटी हुई है.
आदिवासी सीटों को भी साधने की कोशिश: गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी शहडोल जिले के ब्यौहारी में हो रहे राहुल गांधी के इस चुनावी जनसभा से एक तीर से कई निशाने लगाने के फिराक में हैं. विंध्य की 30 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश तो है ही. इसके अलावा उन आदिवासी सीटों को भी साधने की कोशिश की जा रही है. जहां से माना जाता है कि प्रदेश में सत्ता की चाभी वहीं से होकर गुजरती है. अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी की यह सभा कितनी कामयाब हो पाती है, और इसका असर कितना होता है. विंध्य में राहुल और मोदी की सभाओं के बाद किस पार्टी को कितना फायदा होता है.