शहडोल। नवतपा खत्म हो चुका है और भीषण गर्मी अभी भी जारी है. वहीं आगामी 20 से 25 दिन के अंदर मानसून शुरू हो जाएगा. वहीं किसानों ने बरसात से पहले अपने खेती की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे बारिश होते ही वो फसलों की बुवाई शुरू कर सकें. बता दें जिले में मक्के की खेती प्रमुखता से होती है और जो किसान मक्के की खेती करते हैं उन्हें इस बार थोड़ी सजग रहने की हिदायत दी गई है, क्योंकि इस बार फसल में विशेष कीट के प्रकोप की संभावना है.
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह के मुताबिक 'फॉल ऑफ आर्मी वर्म' जिसे लोकल भाषा मे फौजी कीट भी कहते हैं, इस बार के फसल में इसके प्रकोप की ज्यादा संभावना है. हलांकि इसका प्रकोप वहां ज्यादा होता है, जहां रबी के सीजन में मक्के की फसल ली जाती है और हमारे क्षेत्र में रबी के सीजन में इसकी फसल नहीं ली जाती है. लेकिन इस बार जो चेतावनी इस कीट को लेकर दी जा रही है उसे देखते हुए थोड़ी सजग और सावधान रहने की जरूरत है. इसका प्रकोप यहां भी देखने को मिल सकता है.
ये कीट मक्के के अलावा भी कई फसलों को प्रभावित करता है. कृषि वैज्ञनिक बताते हैं कि ये कीट मक्के को नहीं, बल्कि खरीफ के फसलों में ज्वार, बाजरा, गन्ना और धान को भी प्रभावित करता है. ये कीट विशेष प्रकार का होता है जो कि पौधे में छिप जाता है. जिससे इसे कंट्रोल करने में काफी दिक्कत आती है. इससे बचाव ही इसका सबसे अच्छा उपाय है.
बचाव के तरीके
कृषि वैज्ञनिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस फौजी कीट से बचने के लिए पहले खेत की गहरी जुताई कर दें, जिससे अगर कीट सुसुप्ता अवस्था में है, या किसी और तरीके से उसके जिंदा होनें की संभावना है, तो गहरी जुताई से वो गर्मी में मर जायेगा. दूसरा तरीका है मक्के की सूखी बुवाई कर दें, बरसात के पहले मक्के की बुवाई कर दें, अगर बारिश हो जाये, तो उसमें 2 से 3 दिन बाद बीजोपचार करके ही बुवाई करें. फसल में कीड़े की प्रकोप की स्थिति में तुरन्त ही कृषि वैज्ञनिकों से संपर्क कर दवा का छिड़काव करें.