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Mohini Ekadashi 2023: इस बार मोहिनी एकादशी पर बन रहे 2 विशेष योग, जानें क्या करने से होगा लाभ - mohini ekadashi vrat tyohar

मोहिनी एकादशी 2023: वैशाख शुक्ल पक्ष 1 मई को मोहिनी एकादशी पड़ रही है. इस पर ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार मोहिनी एकादशी पर 2 योग के पड़ रहे हैं, एक जयप्रद योग है और दूसरा रवि योग है.

Mohini Ekadashi 2023
मोहिनी एकादशी 2023
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Published : Apr 9, 2023, 10:22 AM IST

ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री

शहडोल। मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने पूजा-पाठ करने का एक विशेष महत्व माना गया है. कई लोग मोहिनी एकादशी के दिन अलग-अलग तरह से व्रत करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार मोहिनी एकादशी वैशाख शुक्ल पक्ष 1 मई को पड़ रही है.

मोहिनी एकादशी में बन रहे दो विशेष योग: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार मोहिनी एकादशी इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस बार दो योग मोहिनी एकादशी के पड़ रही है, एक जयप्रद योग है और दूसरा रवि योग है.

दो योग बनने से होंगे ये लाभ: मोहनी एकादशी के दिन इस बार दो योग होने के कारण विशेष योग बन रहा है जयप्रद योग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस योग में जो व्यक्ति किसी उलझन में फंसे हैं. किसी मुकदमे में फंसे हैं या किसी काम के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो उसमें उन्हें विजय श्री की प्राप्ति होगी शर्त ये है की मोहिनी एकादशी का व्रत उन्हें जरूर करना पड़ेगा. तब जयप्रद योग का विशेष लाभ उन जातकों को होगा. दूसरा योग रवि योग है रवि योग में सूर्य की विशेष कृपा उस दिन रहती है, उस दिन जो मोहिनी एकादशी का व्रत करते हैं और सूर्य भगवान को अर्घ देते हैं. सूर्यताप करते हैं यानी जब धूप रहता है उस धूप में दो-चार मिनट जाकर खड़े होकर सूर्य भगवान की प्रार्थना करते हैं, तो शरीर में किसी भी तरह का रोग नहीं होता, उससे छुटकारा मिलता है. इसलिए रवि योग विशेष महत्वपूर्ण बन जाता है और वो आदमी निरोगी हो करके पूर्ण आयु का भोग करता है.

मोहिनी एकादशी इसलिए विशेष: मोहिनी एकादशी को इसलिए विशेष माना जाता है, क्योंकि इस एकादशी के दिन भगवान मोहिनी रूप धारण किए थे और अपनी लीला दिखाई थी. इसलिए मोहिनी एकादशी के दिन जो भी जातक व्रत करते हैं, उनके लिए बहुत फलदाई होगा, जो इस एकादशी के दिन व्रत करता है. शाम के समय फलाहार करता है और जो प्रसाद बांटता है वह अमृत बन जाता है यानी जो देवताओं को अमृत बंटा था, वही प्रसाद अमृत बन जाता है, इसलिए मोहिनी एकादशी के दिन जो लोग प्रसाद पाते हैं वह अमर हो जाते हैं यानी कि पूर्ण आयु का भोग करते हैं. इसलिए मोहिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए.

ये भी पढ़ें:-

मोहिनी एकादशी व्रत के फायदे: मोहिनी एकादशी व्रत करने के नियम भी हैं उस दिन प्रातः कालीन उठें स्नान करें. साथ में जल लेकर संकल्प करें कि आज हम मोहिनी एकादशी का व्रत कर रहे हैं, उस दिन निराहार यानी जल का भी सेवन ना करें. शाम के समय भगवान विष्णु जी का या शिवजी का वहां पर मूर्ति रखकर पूजन अर्चन करें और उनको भोग लगाएं. विशेष सावधानी यह रखना है कि कोई भी व्यक्ति व्रत रहे या ना रहे उस दिन चावल का उपयोग ना करें, उस दिन अन्न में गेहूं है जौ है बाजरा है इसका उपयोग जो व्रत नहीं हैं वो कर सकते हैं, लेकिन चावल से बनी खीर है या चावल है या चावल की रोटी है. ऐसा उपयोग करने के लिए मनाही है, जो व्यक्ति यह गलती कर देता है तो शास्त्रों में लिखा है वह कीटाणु का भक्षण करता है. इसलिए इससे सावधान रहें, इसलिए अधिक से अधिक लोगों को हो सके तो मोहिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए. मोहिनी एकादशी के दिन इस दो विशेष योग होने के कारण जयप्रद और रवि योग होने के कारण विशेष लाभ होगा, किसी भी तरह के रोग का संचार नहीं होगा शरीर स्वस्थ रहेगा और साथ-साथ पूरे घर का कल्याण भी होगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री

शहडोल। मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने पूजा-पाठ करने का एक विशेष महत्व माना गया है. कई लोग मोहिनी एकादशी के दिन अलग-अलग तरह से व्रत करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार मोहिनी एकादशी वैशाख शुक्ल पक्ष 1 मई को पड़ रही है.

मोहिनी एकादशी में बन रहे दो विशेष योग: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार मोहिनी एकादशी इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस बार दो योग मोहिनी एकादशी के पड़ रही है, एक जयप्रद योग है और दूसरा रवि योग है.

दो योग बनने से होंगे ये लाभ: मोहनी एकादशी के दिन इस बार दो योग होने के कारण विशेष योग बन रहा है जयप्रद योग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस योग में जो व्यक्ति किसी उलझन में फंसे हैं. किसी मुकदमे में फंसे हैं या किसी काम के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो उसमें उन्हें विजय श्री की प्राप्ति होगी शर्त ये है की मोहिनी एकादशी का व्रत उन्हें जरूर करना पड़ेगा. तब जयप्रद योग का विशेष लाभ उन जातकों को होगा. दूसरा योग रवि योग है रवि योग में सूर्य की विशेष कृपा उस दिन रहती है, उस दिन जो मोहिनी एकादशी का व्रत करते हैं और सूर्य भगवान को अर्घ देते हैं. सूर्यताप करते हैं यानी जब धूप रहता है उस धूप में दो-चार मिनट जाकर खड़े होकर सूर्य भगवान की प्रार्थना करते हैं, तो शरीर में किसी भी तरह का रोग नहीं होता, उससे छुटकारा मिलता है. इसलिए रवि योग विशेष महत्वपूर्ण बन जाता है और वो आदमी निरोगी हो करके पूर्ण आयु का भोग करता है.

मोहिनी एकादशी इसलिए विशेष: मोहिनी एकादशी को इसलिए विशेष माना जाता है, क्योंकि इस एकादशी के दिन भगवान मोहिनी रूप धारण किए थे और अपनी लीला दिखाई थी. इसलिए मोहिनी एकादशी के दिन जो भी जातक व्रत करते हैं, उनके लिए बहुत फलदाई होगा, जो इस एकादशी के दिन व्रत करता है. शाम के समय फलाहार करता है और जो प्रसाद बांटता है वह अमृत बन जाता है यानी जो देवताओं को अमृत बंटा था, वही प्रसाद अमृत बन जाता है, इसलिए मोहिनी एकादशी के दिन जो लोग प्रसाद पाते हैं वह अमर हो जाते हैं यानी कि पूर्ण आयु का भोग करते हैं. इसलिए मोहिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए.

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मोहिनी एकादशी व्रत के फायदे: मोहिनी एकादशी व्रत करने के नियम भी हैं उस दिन प्रातः कालीन उठें स्नान करें. साथ में जल लेकर संकल्प करें कि आज हम मोहिनी एकादशी का व्रत कर रहे हैं, उस दिन निराहार यानी जल का भी सेवन ना करें. शाम के समय भगवान विष्णु जी का या शिवजी का वहां पर मूर्ति रखकर पूजन अर्चन करें और उनको भोग लगाएं. विशेष सावधानी यह रखना है कि कोई भी व्यक्ति व्रत रहे या ना रहे उस दिन चावल का उपयोग ना करें, उस दिन अन्न में गेहूं है जौ है बाजरा है इसका उपयोग जो व्रत नहीं हैं वो कर सकते हैं, लेकिन चावल से बनी खीर है या चावल है या चावल की रोटी है. ऐसा उपयोग करने के लिए मनाही है, जो व्यक्ति यह गलती कर देता है तो शास्त्रों में लिखा है वह कीटाणु का भक्षण करता है. इसलिए इससे सावधान रहें, इसलिए अधिक से अधिक लोगों को हो सके तो मोहिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए. मोहिनी एकादशी के दिन इस दो विशेष योग होने के कारण जयप्रद और रवि योग होने के कारण विशेष लाभ होगा, किसी भी तरह के रोग का संचार नहीं होगा शरीर स्वस्थ रहेगा और साथ-साथ पूरे घर का कल्याण भी होगा.

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