शहडोल। क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसकी दीवानगी अपने देश में देखते ही बनती है. क्रिकेट के खेल में जिस तरह से जगह-जगह से खिलाड़ी आ रहे हैं, उसे देखते हुए इसमें कम्पटीशन कितना ज्यादा है, ये किसी से छिपा नहीं है. इसके बाद भी शहडोल जिले के युवा खिलाड़ी फिर चाहे वह लड़के हों या फिर लड़कियां कमाल कर रही हैं. वे हर जगह अपने खेल का लोहा मनवा रहे हैं, जिसे देखकर यही कहा जा रहा है कि अब तो शहडोल क्रिकेट का गढ़ बनता जा रहा है. यहां के युवा क्रिकेटर छा जाने को तैयार हैं.
क्रिकेट का गढ़ बनता जा रहा ये अंचल
ग्राउंड के चारों ओर बड़े ही अनुशासित तरीके से वार्मअप कर रहे इन छोटे क्रिकेटर्स के लगन को देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां क्रिकेट का कितना क्रेज है. यही असल वजह भी है जो शहडोल जिला भले ही एक छोटा सा आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन क्रिकेट को लेकर अब धीरे धीरे पूरे प्रदेश की नज़र यहां रहती है. कोई साल ऐसा नहीं होता जब शहडोल जिले से अलग-अलग उम्र वर्ग में एमपी की टीम में खिलाड़ी सेलेक्ट न हों. महिला क्रिकेट में शहडोल की पूजा वस्त्राकार तो भारतीय टीम से खेल रही हैं.
शहडोल के खिलाड़ियों का फिर दिखा जलवा
अभी हाल ही में इंदौर में माधवराव सिंधिया वनडे की सीनियर ट्रॉफी खेली गई. ये ट्रॉफी पुरुष वर्ग में अंतर संभागीय होती है. जहां प्रदेशभर की संभाग की टीमें हिस्सा ले रही थीं. यहां शहडोल के लड़कों ने कमाल कर दिया. फाइनल तक का सफर तय करते हुए, इंदौर जैसी मजबूत टीम को पटखनी दे दी और फाइनल जीता. इतना ही नहीं जेएस आनंद ट्रॉफी गर्ल्स के लिए खेली गई, यह भी वनडे फॉर्मेट का ही टूर्नामेंट था. यहां शहडोल की लड़कियों ने कमाल का खेल दिखाया और न केवल फाइनल तक का सफर तय किया बल्कि इस वर्ग में भी लड़कियों ने इंदौर को हराकर फाइनल ट्रॉफी भी जीती.
माधवराव सिंधिया और जेएस ट्राफी शहडोल टीम ने अपने नाम की
इन दोनों ही टूर्नामेंट में खास बात ये रही की ट्रॉफी में महिला और पुरुष वर्ग दोनों में शहडोल की टीम ने कमाल किया. साथ ही दोनों ने फाइनल में इंदौर को हराया. इतना ही नहीं पहली बार शहडोल की टीम माधवराव सिंधिया और जेएस आनंद ट्रॉफी जीतने में कामयाब रही. जो अपने आप में शहडोल के लिए एक रिकॉर्ड है. पूरे टूर्नामेंट के दौरान शहडोल के लड़के और लड़कियां छाईं रहीं या यूं कहें कि सुर्खियों में बनी रही.
अच्छे प्रदर्शन का इनाम शहडोल संभाग के खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन का ही नतीजा है कि इस टूर्नामेंट के बाद विजय हजारे ट्रॉफी के लिए शहडोल से तीन खिलाड़ियों का सिलेक्शन हुआ. जिसमें हिमांशु जो कि विकेटकीपर बल्लेबाज हैं, कुमार कार्तिकेय लेफ्ट आर्म स्पिनर, बल्लेबाज और ऑलराउंडर हैं. तो वहीं अक्षय सिंह को पहली बार इस तरह के किसी बड़े टूर्नामेंट में चुना गया. यह मीडियम पेसर खिलाड़ी हैं. साथ ही बल्लेबाज़ी भी कर लेते हैं, जो शहडोल संभागीय क्रिकेट के लिए एक बड़ी कामयाबी रही.
शहडोल की महिला क्रिकेट टीम ने भी कमाल किया तो इन्हें भी इसका इनाम मिला. महिलाओं के सीनियर वर्ग के लिए जो प्रदेश की टीम बनी उसमें शहडोल की पूजा वस्त्रकार, पूनम सोनी, दीक्षा सिंह और रीना यादव को चुना गया. इसमें रीना यादव पहली बार इस तरह की टीम में सेलेक्ट हुईं, जो शहडोल संभागीय क्रिकेट के लिए एक बड़ी अचीवमेंट रही.
भारतीय टीम से रणजी तक दबदबा
शहडोल के क्रिकेटर्स का दबदबा भारतीय टीम से लेकर रणजी ट्रॉफी तक है. भारतीय महिला टीम में पूजा वस्त्रकर जैसे खिलाड़ी पिछले कुछ साल से खेल रही हैं. तो वहीं मध्य प्रदेश की रणजी टीम में शहडोल से एक नहीं बल्कि तीन से चार लड़के खेलते हैं. अपने आप में शहडोल क्रिकेट के लिए ये एक बड़ी अचीवमेंट है. संभागीय क्रिकेट संघ के सचिव अजय द्विवेदी कहते हैं अभी हाल ही में जो एमपीसीए की अंतर संभागीय सीनियर वर्ग की प्रतियोगिताएं समाप्त हुई. उसमें महिला और पुरुष दोनों वर्ग में हमारी टीम विजेता रही. यह हमारे लिए बड़े अचीवमेंट की बात थी, क्योंकि हमने दोनों ही वर्गों में इंदौर जैसी संभाग की मजबूत टीम को हराया. उसका नतीजा यह रहा कि 4 लड़के व 4 लड़कियां विजय हजारे ट्रॉफी के लिए और दो लड़कियां सीनियर विमेंस ट्रॉफी के लिए सिलेक्ट हुईं. रणजी ट्रॉफी के लिए भी तीन से चार लड़के हमेशा सहभागिता करते रहते हैं. प्रदेश की टीम में अपना स्थान बनाते हैं. आने वाले समय में हो सकता है कि एक दो खिलाड़ी आईपीएल में आपको देखने मिल सकते हैं. स्थानीय स्तर से ही जो छोटे लेवल से इन खिलाड़ियों पर काम किया जा रहा है और उस छोटी उम्र से उन खिलाड़ियों के लगन और मेहनत, उनके कई सालों के तपस्या का नतीजा है.
संभागीय क्रिकेट संघ के सचिव अजय द्विवेदी कहते हैं कि लगातार जब कई सालों से ऊंचे स्तर पर किसी एक खिलाड़ी का चयन होता है, तो एक तरह से रोल मॉडल बन जाता है. जैसे लड़कियों में पूजा वस्त्रकार, पूनम सोनी. इसी तरह से रणजी ट्रॉफी में पहले जब हम रीवा संभाग में खेलते थे तो उसमें जफर अली सेलेक्ट हुए थे. उसी समय से लड़कों के मन में था कि हमें कुछ बड़ा करना है. आज हमारे पास चार-चार रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी हो चुके हैं. हमारी खुद की शहडोल की सम्भागीय टीम है. अब ये लोग एक रोल मॉडल के तौर पर प्रस्तुत हुए हैं. उनको देखकर के यहां के सारे बच्चों में और उत्साह बढ़ा है.
सफलता के पीछे फिटनेस का भी बड़ा रोल
खिलाड़ियों की सफलता के पीछे कहीं ना कहीं फिटनेस का भी बड़ा रोल होता है. इसीलिए यह जानने के लिए ईटीवी भारत संभागीय क्रिकेट संघ के ट्रेनर सोनू रॉबिंसन के पास पहुंचा. सोनू पिछले 16 साल से इन क्रिकेटर्स को ट्रेंड करते आ रहे हैं. सोनू रॉबिंसन बताते हैं कि फिटनेस सबसे अहम है हर एक गेम को लेकर अब फिटनेस अहम हो चुका है. फिटनेस के माध्यम से आज खिलाड़ी अलग-अलग लेवल से अपनी प्रतिभा का जौहर दिखा रहे हैं. हमने भी अपने खिलाड़ियों के फिटनेस के लिए एक विशेष क्राइटेरिया बनाकर रखा हुआ है. जिसमें 8 साल से लेकर के 25 साल तक के बच्चे हमारे अवेलेबल हैं. संभागीय क्रिकेट संघ में हर किसी का फिटनेस क्राइटेरिया अलग-अलग है. तो सबसे पहले तो हम एक छोटे से ही एक्टिविटी से स्टार्ट करते हैं. फिटनेस और क्रिकेट की ट्रेनिंग को लेकर यहां पर बच्चों का रुझान बहुत अच्छा रहता है. हम लोग भी कोशिश करते हैं कि फिटनेस को लेकर जो फिटनेस एक्टिविटीज है, उसमें कुछ फन एक्टिविटीज भी डाल कर रखे हुए हैं. जिसमें थोड़ा सा वह अपने आप को मनोरंजन के हिसाब से करते हैं.
गौरतलब है कि साल दर साल शहडोल क्रिकेट को लेकर बड़ा गढ़ बनता जा रहा है, क्योंकि यहां से खेलने वाले लड़के और लड़कियां बड़े लेवल पर भी लगातार कमाल कर रहे हैं और अपनी प्रतिभा की छाप हर जगह छोड़ रहे हैं. यही वजह भी है की अब शहडोल की पहचान क्रिकेट की वजह से भी हो रही है.