शहडोल। ग्रामीण क्षेत्रों में आप जहां भी जाएंगे महुआ का पेड़ बड़ी ही आसानी दिख जाएगा. लेकिन क्या आपको पता है यह महुआ का पेड़ किसी की भी जिंदगी बदल सकता है. कैसे महुआ के पेड़ से लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं. इतना ही नहीं अगर सही तरीके से और एक सिस्टम से महुआ पर फोकस किया जाए तो आने वाले समय में महुआ लोगों के लिए एक बड़ा पेंशन प्लान(Mahua Pension yojna) भी साबित हो सकता है.
महुआ की बढ़ रही डिमांड
देखा जाए तो महुआ एक ऐसा पेड़ है जिसका हर हिस्सा उपयोगी है. तने से लेकर जड़ तक, फूल से लेकर फल तक सब कुछ उपयोगी है. (mahua tree farming) इतना ही नहीं बदलते वक्त के साथ जैसे-जैसे इसके नए नए प्रोडक्ट बनते जा रहे हैं , इसकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है.इसके रेट भी साल दर साल बढ़ रहे हैं. महुआ का फूल 70 से ₹80 किलो तक बिकता है. इसका फल जिसे लोकल भाषा में डोरी कहा जाता है, वह भी अच्छे खासे महंगे दामों में बिकता है. उसका तेल भी काफी उपयोगी माना जाता है.
ग्रामीणों के लिए महुआ अनमोल
महुआ ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही बहुत अनमोल माना जाता रहा है. हालांकि आज भी उसकी कीमत उतनी ही है. लेकिन बदलते समय के साथ आगे उसकी कीमत कितनी रहती है. ग्रामीणों का कहना है कि कई ऐसे मर्ज होते थे ( maximum benefit of mahua tree) जिसमें महुआ के छाल, पत्ते, तना, जड़, फूल और फल सभी का इस्तेमाल करके कई बीमारियों को भी ठीक किया जाता था. हालांकि आज का युवाओं को औषधीय महत्व का ज्ञान कम हुआ है.
महुआ के पकवान
अभी हाल ही में शहडोल जिले में कुछ एनजीओ ने महुआ से बिस्किट बनाने का भी काम शुरू करवाया था. जिसे लोगों ने काफी पसंद भी किया था.अब तो महुआ से तरह-तरह के पकवान भी बनाने की तैयारी चल रही है .महुआ की बड़ी, महुआ की पूरियां और महुआ के लड्डू बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
जानिए महुआ में क्या-क्या पाया जाता है ?
एक्सपर्ट्स की मानें तो महुआ में कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन के साथ ही कैल्शियम फास्फोरस आयरन केरोटिन और विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
कितने साल में तैयार होता है महुआ का पेड़
महुआ का पेड़ लगभग 20 से 25 साल में फूल और फल देने लगता है. कई सालों तक यह फलता फूलता रहता है . आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक बार महुआ का पेड़ लगा देने से आप कब तक कमाई पा सकते हैं. यह आपकी दूसरी पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है. एक बार महुआ का पेड़ तैयार हो जाने के बाद सैकड़ों सालों तक फूलता फलता रहता है.
महुआ के पेड़ का सब कुछ उपयोगी
जिस अनुपात में महुए का फायदा है जिस तरीके से महुए की डिमांड मार्केट में बढ़ी है. उस लिहाज से जो सप्लाई होनी चाहिए थी वैसी सप्लाई नहीं हुई. कहीं ना कहीं डेवलपमेंट के नाम पर महुए के पेड़ की संख्या गांव में भी कम होती गई. लेकिन गांव की जनसंख्या पिछले 30 से 35 सालों में डबल से ज्यादा हुई. जिस तरीके से गांव में कमाई के अन्य स्रोत और खेती की लागत जिस तरीके से बढ़ी है, उसके अनुपात में महुआ का जो रखरखाव है वो बहुत सस्ता पड़ता है .
ऐसे बन सकता है महुआ पेंशन योजना!
बायोडायवर्सिटी एक्सपर्ट संजय पयासी बताते हैं कि महुआ आम लोगों के लिए एक पेंशन योजना जैसा काम भी कर सकता है. मतलब महुआ पेंशन योजना आज महुआ लगाइए और कल बंपर कमाई पाइये.
संजय पयासी आगे कहते हैं, कोई भी व्यक्ति नौकरी करता है तो सोचता है कि 25 से 30 साल बाद वह जब रिटायर होगा तो उसके पास एक मुस्त कोई राशि होगी जिससे वह अपने जीवन यापन का निर्वाह बहुत अच्छे से कर सकता है. उसी तरीके से महुआ 15 से 20 साल से बीच में सबसे अच्छे फल देना शुरू करता है. अगर कोई व्यक्ति आज एक महुए का पेड़ रोपता है, तो आज से 15- 20 साल बाद अगर आप आज देखेंगे तो एक किलो महुए की कीमत ₹70 से 80 रुपये के लगभग बाजार में है. आज से 20 साल बाद अगर किसी ने महुआ लगाया है और उसके खेत या फिर जहां उसकी जमीन है, उसमें 100 पेड़ अगर कोई लगा देता है, आने वाले समय में इसके तैयार हो जाने के बाद मान के चलिए कि 5 लाख रुपये तक की कमाई उसकी महुए से हो सकती है. महुआ साल में एक बार जरूर फल देता है. लेकिन इसकी उपयोगिता इस तरीके से है कि उसको साल भर भंडारण करके रखा जा सकता है .
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एक्सपर्ट संजय पयासी बताते हैं कि देश में कुछ जगहों पर कुटीर उद्योग चलाकर फ्लेवर्ड वाइन भी बनाया जा रहा है. एक गरीब आदमी से लेकर एक लक्जरियस लाइफ जीने वाले विलासिता वाला जीवन जीने वाले लोगों के बीच भी महुए की अच्छी खासी डिमांड है.