ETV Bharat / state

Mahalakshmi Vrat 2022: संतान प्राप्ति, धन के लिए करें मां महालक्ष्मी का व्रत, जानें व्रत की पूजा विधि शुभ मुहूर्त

यूं तो शुक्रवार के दिन मां महालक्ष्मी के पूजन का महत्व है. इस साल महालक्ष्मी व्रत 3 सितंबर से शुरु हो रहा है जो 17 सितंबर तक चलेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार महालक्ष्मी का पूजन करने से मां प्रसन्न होंगी. घर में धन वर्षा होगी. आज से महालक्ष्मी व्रत शुरु हो रहा है लिहाजा इस दिन लक्ष्मी पूजन (Maa MahaLaxmi Pujan) से धन की प्राप्ति होती है. इसलिए वे लोग जो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे होते हैं आज के दिन मां महालक्ष्मी का पूजन करें, व्रत भी रख सकते हैं. इस बार का योग यह भी है कि आज ही संतान सप्तमी भी है लिहाजा जो लोग संतान सुख चाहते हैं आज माता का व्रत कर सकते हैं. (mahalaxmi pujan vidhi katha) (mahalaxmi vrat ki pooja vidhi shubh muhurt) (santan saptmi kaise karen) (Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat )

Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat
महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ पूजन विधि कथा
author img

By

Published : Sep 3, 2022, 7:50 AM IST

Updated : Sep 3, 2022, 11:45 AM IST

शहड़ोल। हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Fast) की बहुत मान्यताएं हैं. इस व्रत के रखने से मां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. महालक्ष्मी व्रत हर साल भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी से शुरू होता है, और 15 दिनों तक चलता है. इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना (Mahalaxmi Worship) की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मान्यता हैं कि जिस घर की महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उस घर में पारिवारिक शांति हमेशा बनी रहती है. (mahalaxmi pujan vidhi katha) (mahalaxmi vrat ki pooja vidhi shubh muhurt)

इस बार महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ शनिवार, 3 सितंबर 2022 से हो रहा है. 15 दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होगा. 17 सितंबर 2022 दिन शनिवार को व्रत का समापन होगा. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत के 15 दिन पूरे होने के बाद 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है. जो लोग पूरे 15 दिन व्रत नहीं कर सकते कुछ दिन का व्रत का संकल्प लेंगे तो भी भी फायदा होगा.

महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहुर्त: महालक्ष्मी व्रत आज यानि शनिवार, 3 सितंबर 2022 से शुरु हो रहा है और व्रत शुरु करने का शुभ मुहुर्त आज दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से शुरु होगा और कल यानि 4 सितबर दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक का है. व्रति इसकी शुरुआत अष्टमी तिथि खत्म होने से पहले भी करें. (santan saptmi kaise karen) (Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat )

महालक्ष्मी व्रत कथा (Mahalaxmi Vrat Katha): एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह हर दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की अराधना करता था. एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और ब्राह्मण से एक वरदान मांगने के लिए कहा. तब ब्राह्मण ने उसके घर मां लक्ष्मी का निवास होने की इच्छा जाहिर की. तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया. भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहां आकर उपले थापती है. तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना वह मां लक्ष्मी हैं.

भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा कि जब मां लक्ष्मी स्वयं तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धान्य से भर जाएगा. यह कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए. अगले दिन ब्राह्मण सुबह-सुबह ही मंदिर के पास बैठ गया. लक्ष्मी मां उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे घर आने का निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर माता लक्ष्मी समझ गईं कि यह विष्णुजी के कहने पर ही हुआ है.

लक्ष्मी मां ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन तुम्हें पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा. 16 दिन तक व्रत करने और 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी. ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत किया और मां लक्ष्मी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके पुकारा. इसके बाद मां लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया. माना जाता है कि तभी से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई थी.

धन की देवी है मां महालक्ष्मी: पौराणिक कथाओं के अनुसार लक्ष्मी समुद्र-मंथन में निकली हैं. मंथन से पहले सभी देवता निर्धन थे. समुद्र मंथन में लक्ष्मी के प्रकट होने के बाद इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की. इसके बाद महालक्ष्मी के वरदान से उन्हें धन प्राप्त हुआ. मान्यता है कि ऋषि विश्वामित्र के कठोर आदेश अनुसार ही लक्ष्मी साधना को गोपनीय और दुर्लभ रखा जाता है. मान्यता है कि समुद्र से मां का जन्म हुआ और इन्होंने विष्णु से विवाह किया. इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है, साथ ही वैभव भी मिलता है. अगर लक्ष्मी रुष्ट हो जाएं, तो घोर दरिद्रता का सामना करना पड़ता है.

महालक्ष्मी पूजन विधि कथा : इनकी पूजा करने से केवल धन ही नहीं, बल्कि नाम, यश भी मिलता है. मां की उपासना से दाम्पत्य जीवन भी बेहतर होता है. कितनी भी धन की समस्या हो, अगर विधिवत लक्ष्मीजी की पूजा की जाए, तो धन मिलता ही है.

मां महालक्ष्मी की पूजा में रखें नियमों का ध्यान: मां लक्ष्मी की पूजा के कुछ नियम है. अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए, तो मां नाराज भी हो जाती हैं. मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए. मध्य रात्रि इनकी पूजा का उत्तम समय होता है. मां लक्ष्मी के उस प्रतिकृति की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वह गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों. साथ ही उनके हाथों से धन बरस रहा हो. मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना चाहिए.

इन मंत्रों से मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न (laxmi Puja Mantra)

लक्ष्मी बीज मंत्र-

ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः, ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमःमहालक्ष्मी मंत्र-

ओम श्रीं श्रीं कमले, कमलालये प्रसीद प्रसीद,

ओम श्रीं श्रीं, महालक्ष्मीये नमःलक्ष्मी गायत्री मंत्र-

ऊं श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ऊं

कुछ टोटके (Laxmi Ji Ke Totke): आज के दिन घर के मुख्य द्वार पर बाहर की तरफ जमीन पर रोली या लाल रंग से माता लक्ष्मी के पैरों के निशान बनाएं. माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो को ईशान कोण या फिर पूर्व दिशा में रखकर ही पूजा करें. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीयंत्र पर कमल का फूल चढ़ाएं और श्री सूक्त का पाठ करें.

माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें: माता लक्ष्मी के साथ भगवान श्री नारायण की भी पूजा करें. लक्ष्मी और नारायण, दोनों की पूजा करने से (Maa Laxmi Pujan) सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहेगा और धन संबंधी बाधाएं दूर होंगी.आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें और उसकी प्रतिदिन पूजा करें. महालक्ष्मी यंत्र को कैश बॉक्स या फिर तिजोरी में रखने से धन लाभ होता है. (mahalaxmi pujan vidhi katha) (mahalaxmi vrat ki pooja vidhi shubh muhurt) (santan saptmi kaise karen) (Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat )

शहड़ोल। हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Fast) की बहुत मान्यताएं हैं. इस व्रत के रखने से मां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. महालक्ष्मी व्रत हर साल भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी से शुरू होता है, और 15 दिनों तक चलता है. इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना (Mahalaxmi Worship) की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मान्यता हैं कि जिस घर की महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उस घर में पारिवारिक शांति हमेशा बनी रहती है. (mahalaxmi pujan vidhi katha) (mahalaxmi vrat ki pooja vidhi shubh muhurt)

इस बार महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ शनिवार, 3 सितंबर 2022 से हो रहा है. 15 दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होगा. 17 सितंबर 2022 दिन शनिवार को व्रत का समापन होगा. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत के 15 दिन पूरे होने के बाद 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है. जो लोग पूरे 15 दिन व्रत नहीं कर सकते कुछ दिन का व्रत का संकल्प लेंगे तो भी भी फायदा होगा.

महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहुर्त: महालक्ष्मी व्रत आज यानि शनिवार, 3 सितंबर 2022 से शुरु हो रहा है और व्रत शुरु करने का शुभ मुहुर्त आज दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से शुरु होगा और कल यानि 4 सितबर दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक का है. व्रति इसकी शुरुआत अष्टमी तिथि खत्म होने से पहले भी करें. (santan saptmi kaise karen) (Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat )

महालक्ष्मी व्रत कथा (Mahalaxmi Vrat Katha): एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह हर दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की अराधना करता था. एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और ब्राह्मण से एक वरदान मांगने के लिए कहा. तब ब्राह्मण ने उसके घर मां लक्ष्मी का निवास होने की इच्छा जाहिर की. तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया. भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहां आकर उपले थापती है. तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना वह मां लक्ष्मी हैं.

भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा कि जब मां लक्ष्मी स्वयं तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धान्य से भर जाएगा. यह कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए. अगले दिन ब्राह्मण सुबह-सुबह ही मंदिर के पास बैठ गया. लक्ष्मी मां उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे घर आने का निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर माता लक्ष्मी समझ गईं कि यह विष्णुजी के कहने पर ही हुआ है.

लक्ष्मी मां ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन तुम्हें पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा. 16 दिन तक व्रत करने और 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी. ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत किया और मां लक्ष्मी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके पुकारा. इसके बाद मां लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया. माना जाता है कि तभी से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई थी.

धन की देवी है मां महालक्ष्मी: पौराणिक कथाओं के अनुसार लक्ष्मी समुद्र-मंथन में निकली हैं. मंथन से पहले सभी देवता निर्धन थे. समुद्र मंथन में लक्ष्मी के प्रकट होने के बाद इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की. इसके बाद महालक्ष्मी के वरदान से उन्हें धन प्राप्त हुआ. मान्यता है कि ऋषि विश्वामित्र के कठोर आदेश अनुसार ही लक्ष्मी साधना को गोपनीय और दुर्लभ रखा जाता है. मान्यता है कि समुद्र से मां का जन्म हुआ और इन्होंने विष्णु से विवाह किया. इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है, साथ ही वैभव भी मिलता है. अगर लक्ष्मी रुष्ट हो जाएं, तो घोर दरिद्रता का सामना करना पड़ता है.

महालक्ष्मी पूजन विधि कथा : इनकी पूजा करने से केवल धन ही नहीं, बल्कि नाम, यश भी मिलता है. मां की उपासना से दाम्पत्य जीवन भी बेहतर होता है. कितनी भी धन की समस्या हो, अगर विधिवत लक्ष्मीजी की पूजा की जाए, तो धन मिलता ही है.

मां महालक्ष्मी की पूजा में रखें नियमों का ध्यान: मां लक्ष्मी की पूजा के कुछ नियम है. अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए, तो मां नाराज भी हो जाती हैं. मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए. मध्य रात्रि इनकी पूजा का उत्तम समय होता है. मां लक्ष्मी के उस प्रतिकृति की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वह गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों. साथ ही उनके हाथों से धन बरस रहा हो. मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना चाहिए.

इन मंत्रों से मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न (laxmi Puja Mantra)

लक्ष्मी बीज मंत्र-

ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः, ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमःमहालक्ष्मी मंत्र-

ओम श्रीं श्रीं कमले, कमलालये प्रसीद प्रसीद,

ओम श्रीं श्रीं, महालक्ष्मीये नमःलक्ष्मी गायत्री मंत्र-

ऊं श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ऊं

कुछ टोटके (Laxmi Ji Ke Totke): आज के दिन घर के मुख्य द्वार पर बाहर की तरफ जमीन पर रोली या लाल रंग से माता लक्ष्मी के पैरों के निशान बनाएं. माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो को ईशान कोण या फिर पूर्व दिशा में रखकर ही पूजा करें. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीयंत्र पर कमल का फूल चढ़ाएं और श्री सूक्त का पाठ करें.

माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें: माता लक्ष्मी के साथ भगवान श्री नारायण की भी पूजा करें. लक्ष्मी और नारायण, दोनों की पूजा करने से (Maa Laxmi Pujan) सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहेगा और धन संबंधी बाधाएं दूर होंगी.आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें और उसकी प्रतिदिन पूजा करें. महालक्ष्मी यंत्र को कैश बॉक्स या फिर तिजोरी में रखने से धन लाभ होता है. (mahalaxmi pujan vidhi katha) (mahalaxmi vrat ki pooja vidhi shubh muhurt) (santan saptmi kaise karen) (Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat )

Last Updated : Sep 3, 2022, 11:45 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.