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कवर्धा से पीलीभीत के लिए साइकिल पर निकले मजदूर, कहा-कोई रुकने भी नहीं देता

लॉकडाउन में मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कवर्धा से यूपी के पीलीभीत जा रहे 34 मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की तो उनका दर्द झलक पड़ा. मजदूरों ने कहा कि पिछले 3 दिनों से पैदल चल रहे हैं. लेकिन उनकी मदद कोई नहीं कर रहा है. जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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लॉकडाउन में परेशान हो रहे मजदूर
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Published : May 8, 2020, 7:47 PM IST

शहडोल। कोरोना काल में मजदूरों का हाल बेहाल है, सरकारें कह रही हैं कि मजदूरों को उनके घर लाया जाएगा. बावजूद इसके मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही लौटने को मजबूर है. शहडोल जिले से भी हर दिन मजदूर अपने घर के लिए निकल रहे हैं. कोई पैदल ही जा रहा है तो कोई साइकिल के सहारे अपनी मंजिल तक पहुंचने की जद्दोजहद में लगा है. ईटीवी भारत ने भी ऐसे ही कुछ मजदूरों से बात की, तो उनका दर्द फूट पड़ा. मजदूरों ने कहा कि मुश्किल के इस दौर में हमारी कोई नहीं सुन रहा है.

लॉकडाउन में परेशान हो रहे मजदूर

शहडोल से छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला हाई-वे से गुजर रहे मजदूरों ने बताया कि वो छत्तीसगढ़ के कवर्धा से चले हैं और उन्हें उत्तरप्रदेश के लखनऊ और फिर वहां से पीलीभीत जाना है. 34 से 35 मजदूरों की यह टोली लगातार चलती जा रही है. लेकिन इन्हें कोई मदद नहीं मिल रही. सभी मजदूर साइकिल से जा रहे हैं. गर्मी के चलते साइकिल लगातार पंचर हो रही है. इसलिए पंचर बनाने का सामान भी साथ में ही लेकर जा रहे हैं.

बार-बार पंचर हो रही साइकिल
बार-बार पंचर हो रही साइकिल

रोजगार छिन गया, पैसे भी खत्म हो गए

मजदूरों का कहना था कि लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन गया, धीरे-धीरे पैसे भी खत्म होने लगे. ऐसे में क्या करते घर के लिए जाना ही थी. इसलिए जो पैसे बचे थे उनसे साइकिल खरीदी वो भी ज्यादा दाम पर और निकल पड़े घर के लिए. हर दिन रास्ते में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्या करें खाने का संकट होने लगा था. इसलिए घर तो जाना ही था. एक मजदूर ने कहा कि सरकारें सिर्फ बड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं, गरीबों की कोई नहीं सुन रहा है. कई बार लखनऊ में सरकारी अधिकारियों को फोन किया लेकिन किसी ने फोन भी नहीं उठाया. घर भेजना तो दूर की बात है.

लॉकडाउन में बढ़ी मजदूरों की परेशानी
लॉकडाउन में बढ़ी मजदूरों की परेशानी

रास्ते में कोई पैसा नहीं लेता, रुकने नहीं देते

मजदूरों ने कहा कि 3 दिन से लगातार चल रहे हैं, रास्ते में कोई खाने को दे देता है तो ठीक नहीं तो भूखे ही रह जाते हैं. मजदूरों के साथ एक और मुश्किल है, वो बताते हैं कि जैसे ही दुकानदारों को पता चलता है कि बाहर से आ रहे हैं. तो सामान भी नहीं देते. गांवों में लोग रुकने नहीं देते. बड़ी मुश्किल है साहब क्या करें. एक तरफ सरकारें कह रही हैं कि हम मजदूरों और गरीबों को घर वापसी करा रहे हैं. तो दूसरी ओर हर दिन बेबस लाचार मज़दूर, गरीब अपने घर जाने के लिए पैदल ही जा रहे हैं.

साइकिल से जा रहे मजदूर
साइकिल से जा रहे मजदूर

शहडोल। कोरोना काल में मजदूरों का हाल बेहाल है, सरकारें कह रही हैं कि मजदूरों को उनके घर लाया जाएगा. बावजूद इसके मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही लौटने को मजबूर है. शहडोल जिले से भी हर दिन मजदूर अपने घर के लिए निकल रहे हैं. कोई पैदल ही जा रहा है तो कोई साइकिल के सहारे अपनी मंजिल तक पहुंचने की जद्दोजहद में लगा है. ईटीवी भारत ने भी ऐसे ही कुछ मजदूरों से बात की, तो उनका दर्द फूट पड़ा. मजदूरों ने कहा कि मुश्किल के इस दौर में हमारी कोई नहीं सुन रहा है.

लॉकडाउन में परेशान हो रहे मजदूर

शहडोल से छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला हाई-वे से गुजर रहे मजदूरों ने बताया कि वो छत्तीसगढ़ के कवर्धा से चले हैं और उन्हें उत्तरप्रदेश के लखनऊ और फिर वहां से पीलीभीत जाना है. 34 से 35 मजदूरों की यह टोली लगातार चलती जा रही है. लेकिन इन्हें कोई मदद नहीं मिल रही. सभी मजदूर साइकिल से जा रहे हैं. गर्मी के चलते साइकिल लगातार पंचर हो रही है. इसलिए पंचर बनाने का सामान भी साथ में ही लेकर जा रहे हैं.

बार-बार पंचर हो रही साइकिल
बार-बार पंचर हो रही साइकिल

रोजगार छिन गया, पैसे भी खत्म हो गए

मजदूरों का कहना था कि लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन गया, धीरे-धीरे पैसे भी खत्म होने लगे. ऐसे में क्या करते घर के लिए जाना ही थी. इसलिए जो पैसे बचे थे उनसे साइकिल खरीदी वो भी ज्यादा दाम पर और निकल पड़े घर के लिए. हर दिन रास्ते में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्या करें खाने का संकट होने लगा था. इसलिए घर तो जाना ही था. एक मजदूर ने कहा कि सरकारें सिर्फ बड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं, गरीबों की कोई नहीं सुन रहा है. कई बार लखनऊ में सरकारी अधिकारियों को फोन किया लेकिन किसी ने फोन भी नहीं उठाया. घर भेजना तो दूर की बात है.

लॉकडाउन में बढ़ी मजदूरों की परेशानी
लॉकडाउन में बढ़ी मजदूरों की परेशानी

रास्ते में कोई पैसा नहीं लेता, रुकने नहीं देते

मजदूरों ने कहा कि 3 दिन से लगातार चल रहे हैं, रास्ते में कोई खाने को दे देता है तो ठीक नहीं तो भूखे ही रह जाते हैं. मजदूरों के साथ एक और मुश्किल है, वो बताते हैं कि जैसे ही दुकानदारों को पता चलता है कि बाहर से आ रहे हैं. तो सामान भी नहीं देते. गांवों में लोग रुकने नहीं देते. बड़ी मुश्किल है साहब क्या करें. एक तरफ सरकारें कह रही हैं कि हम मजदूरों और गरीबों को घर वापसी करा रहे हैं. तो दूसरी ओर हर दिन बेबस लाचार मज़दूर, गरीब अपने घर जाने के लिए पैदल ही जा रहे हैं.

साइकिल से जा रहे मजदूर
साइकिल से जा रहे मजदूर
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