शहडोल। जिले में मौसम का मिजाज किसी को समझ नहीं आ रहा, कभी बादल, कभी पानी, कभी तेज़ धूप, कभी गर्मी. इस बदलते मौसम में फसलों का ख्याल रखना मुशकिल हो जाता है. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में किसानों को कई टिप्स दिए, जिनकी मदद से किसान अपनी फसलों का खयाल आसानी से रख सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि, मौसम में जो बदलाव आ रहा है, कभी ठंडी, कभी गर्मी बढ़ती है और कभी बादल आते हैं, तो इसका मतलब है की फसलों में कीट व्याधि का प्रकोप बढ़ेगा.
इस मौसम में फसलों का रखें विशेष ख्याल
जिले के अधिकतर रकबे में गेहूं की खेती होती है. दलहनी फसलें कम हैं. हलांकि इस तरह का मौसम दलहनी के फसलों को ज्यादा नुकसान करता है. गर्मी के वक्त सरसों में और सब्जियों में जैसे सेम, में माहू का प्रकोप बढ़ जाता है. अभी ठंड थी तो दिक्कत ज्यादा नहीं आई, लेकिन अगर गर्मी वाला मौसम रहा, तो इसका प्रकोप बढ़ेगा. साथ ही रबी सीजन की सब्जी वाली फ़सलों में कीड़े मकोड़े खासकर रस चूसने वाले कीड़ों का प्रकोप बढ़ेगा.
चने की फसल को ऐसे बचाएं इल्लियों से
चने की फसल की बात करें, तो चने की फसल में अभी टी आकार की खूटियां लगा दें जो पौधे से करीब 10 सेमी या 6 सेमी ऊंची हों जिसमें चिड़िया आकार बैठ सकें और इल्लियों को खा सकें. इसके अलावा फेरोमेन ट्रेप लगा दें. अगर ज्यादा इल्लियों दिखाई दें, तो फिर कीटनाशक का उपयोग करें. साथ में अगर फसलों में माहू का प्रकोप है तो फसलों पर जिस तरह से माहू का अटैक है उस हिसाब से उसका इलाज करना होगा.
जायद में ऐसे लगाएं सब्जियां
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं, जायद में जो किसान सब्जियों की खेती करते हैं इसकी तैयारी के लिए बहुत अच्छा समय है. अगर खेत खाली नहीं है तो किसान पॉलीथीन बैग में कद्दू वर्गीय सब्जियां जैसे कि लौकी, खीरा, तरबूज, खरबूज हो इनको पॉलिथीन बैग मे तैयार कर लीजिए. एक महीन के बाद पॉलिथीन को काटकर पौधों को रोप दें. इससे अर्ली फसल मिल जाएगी. अगर अपका खेत खाली नहीं है, तो इस तरह करने से जब खेत खाली होगा तो क्रॉपिंग मिल जाएगी.