ETV Bharat / state

अर्थशास्त्री के नजरिये से जानिए कैसा है आम बजट ? - शिक्षा के लिए बेहतर बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बजट पेश किया है. इस बजट को हर कोई अलग-अलग नजरिये से देख रहा है, वहीं अर्थशास्त्री सुशील सिंघल ने इस बजट को शिक्षा, महिला और कृषि के लिए बेहतर बजट बताया है.

Economist Sushil Singhal told the budget better
अर्थशास्त्री सुशील सिंघल ने बजट को बताया बेहतर
author img

By

Published : Feb 1, 2020, 8:07 PM IST

शहडोल। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. बजट में हर वर्ग पर फोकस किया गया है, साथ ही शिक्षा और मध्यम वर्ग के लोगों को इनकम टैक्स में काफी राहत दी गई है. अर्थशास्त्री सुशील सिंघल ने इस बजट को शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और कृषि के लिए बेहतर बजट बताया है.

अर्थशास्त्री सुशील सिंघल ने बजट को बताया बेहतर

शिक्षा के लिए बेहतर बजट
अर्थशास्त्री सुशील सिंघल इस बजट को लेकर कहते हैं की, देश में जो सीमित संसाधन हैं और उसे लेकर जो इस बजट में एलोकेशन किया गया है, उस हिसाब से इस बजट को एक बेहतर बजट कह सकते हैं, इस बजट में पहले से ही जैसा कि उम्मीद थी कि, महिला, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा को लेकर होगा. शिक्षा में पहली बार करीब एक लाख करोड़ रुपये बजट एलोकेट किया गया है, ये बहुत ही सराहनीय कदम है.

कृषि, महिलाओं के लिए अच्छा बजट

कृषि की बात करें तो हमेशा कृषक की समस्या बनी रहती है, किसानों के लिए करीब 1.2 लाख बजट दिया गया है. महिलाओं के लिए चाहे वो बच्चियां हों महिलाएं हों, उनके पढ़ाई, सुरक्षा और रोजगार के लिए भी बजट दिया गया है.
सुशील सिंघल कहते हैं कि, इस बजट के रिजल्ट बहुत ही बेहतर आने वाले हैं. डायरेक्ट एक्सेस की बात करें, तो डायरेक्ट एक्सेस के स्लैब जो पहले तीन स्लैब होते थे, उन्हें 6 कर दिया है, बहुत जल्दी में अगर समझना हो, तो हर ढाई लाख में एक स्लैब कर दिया है.

कॉरपोरेट टैक्स की दरें हुई कम
कॉरपोरेट टैक्स के दरों में काफी कमी कर दी है. पहले से ही काफी कम थी. टैक्स ऑडिट भी एक समस्या थी, छोटे सेक्टर वालों को उन्हें जाकर ऑडिट कराना पड़ता था, तो सरकार ने उसकी सीमा बढ़ाकर एक करोड़ से 5 करोड़ कर दी है.

बाजार की सुस्ती के बीच कैसा बजट ?
अर्थशास्त्री सुशील सिंघल कहते हैं, इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है कि बाजार की सुस्ती कुछ कम होती दिखती है, अल्टीमेटली ये आपका पैसा है, जो आपके ऊपर खर्च होता है. अगर हम जीएसटी के दरों को कम करने की बात करेंगे, टैक्सेस की दरों को कम करने की बात करेंगे, तो हमारा राजकोषीय घाटा बढ़ता चला जाएगा.

उन्होंने कहा भी है कि, राजकोषीय घाटा 3 से 4 परसेंट रहेगा, अगर यही स्थितियां रहीं तो सेक्टर कैसे डेवेलप होगा, बाजार की सुस्ती की बात करें, तो मुझे नहीं लगता कि, इस बजट से उसे कोई बूस्टअप मिलेगा, बाजार की सुस्ती खत्म हो जाएगी इस बजट से ऐसा मुझे नहीं लग रहा.

शहडोल। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. बजट में हर वर्ग पर फोकस किया गया है, साथ ही शिक्षा और मध्यम वर्ग के लोगों को इनकम टैक्स में काफी राहत दी गई है. अर्थशास्त्री सुशील सिंघल ने इस बजट को शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और कृषि के लिए बेहतर बजट बताया है.

अर्थशास्त्री सुशील सिंघल ने बजट को बताया बेहतर

शिक्षा के लिए बेहतर बजट
अर्थशास्त्री सुशील सिंघल इस बजट को लेकर कहते हैं की, देश में जो सीमित संसाधन हैं और उसे लेकर जो इस बजट में एलोकेशन किया गया है, उस हिसाब से इस बजट को एक बेहतर बजट कह सकते हैं, इस बजट में पहले से ही जैसा कि उम्मीद थी कि, महिला, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा को लेकर होगा. शिक्षा में पहली बार करीब एक लाख करोड़ रुपये बजट एलोकेट किया गया है, ये बहुत ही सराहनीय कदम है.

कृषि, महिलाओं के लिए अच्छा बजट

कृषि की बात करें तो हमेशा कृषक की समस्या बनी रहती है, किसानों के लिए करीब 1.2 लाख बजट दिया गया है. महिलाओं के लिए चाहे वो बच्चियां हों महिलाएं हों, उनके पढ़ाई, सुरक्षा और रोजगार के लिए भी बजट दिया गया है.
सुशील सिंघल कहते हैं कि, इस बजट के रिजल्ट बहुत ही बेहतर आने वाले हैं. डायरेक्ट एक्सेस की बात करें, तो डायरेक्ट एक्सेस के स्लैब जो पहले तीन स्लैब होते थे, उन्हें 6 कर दिया है, बहुत जल्दी में अगर समझना हो, तो हर ढाई लाख में एक स्लैब कर दिया है.

कॉरपोरेट टैक्स की दरें हुई कम
कॉरपोरेट टैक्स के दरों में काफी कमी कर दी है. पहले से ही काफी कम थी. टैक्स ऑडिट भी एक समस्या थी, छोटे सेक्टर वालों को उन्हें जाकर ऑडिट कराना पड़ता था, तो सरकार ने उसकी सीमा बढ़ाकर एक करोड़ से 5 करोड़ कर दी है.

बाजार की सुस्ती के बीच कैसा बजट ?
अर्थशास्त्री सुशील सिंघल कहते हैं, इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है कि बाजार की सुस्ती कुछ कम होती दिखती है, अल्टीमेटली ये आपका पैसा है, जो आपके ऊपर खर्च होता है. अगर हम जीएसटी के दरों को कम करने की बात करेंगे, टैक्सेस की दरों को कम करने की बात करेंगे, तो हमारा राजकोषीय घाटा बढ़ता चला जाएगा.

उन्होंने कहा भी है कि, राजकोषीय घाटा 3 से 4 परसेंट रहेगा, अगर यही स्थितियां रहीं तो सेक्टर कैसे डेवेलप होगा, बाजार की सुस्ती की बात करें, तो मुझे नहीं लगता कि, इस बजट से उसे कोई बूस्टअप मिलेगा, बाजार की सुस्ती खत्म हो जाएगी इस बजट से ऐसा मुझे नहीं लग रहा.

Intro:Note_ इंटरव्यू अर्थशास्त्री सुशील सिंघल का है।

जानिए अर्थशास्त्री के नजरिये से कैसा है ये बजट, क्या बाजार की सुस्ती में रामबाण साबित हो पाएगा ये बजट ?

शहडोल- केन्द्रीय बजट आ चुका है, आखिर ये बजट कैसा है क्या ये बजट बाजार की इस सुस्ती को खत्म कर पाएगा, एक अर्थशास्त्री की नजरिये से आखिर ये बजट कैसा है। इसे जानने के लिए हमने बात की अर्थशास्त्री सुशील सिंघल से।






Body:बजट को लेकर बोले अर्थशास्त्री

आर्थिक मामलों के जानकार अर्थशास्त्री सुशील सिंघल इस बजट को लेकर कहते हैं की देश में जो सीमित संसाधन है और उसे लेकर जो इस बजट में एलोकेशन किया गया है उस हिसाब से इस बजट को एक बेहतर बजट कह सकते हैं, इस बजट में पहले से ही जैसा कि उम्मीद थी कि महिला, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा को लेकर होगा तो शिक्षा में पहली बार करीब एक लाख करोड़ रुपये बजट शिक्षा के लिए एलोकेट किया गया है ये बहुत ही सराहनीय कदम है।

क्योंकि शिक्षा से ही सारी चीजें होती है और शिक्षा को बेहतर करने के लिए, बजट बढाया गया ये एक शानदार कदम है।

कृषि की बात करें तो हमेशा कृषक की समस्या बनी रहती है कहीं न कहीं कृषि को सिंचित करने और उसके अन्य कामों के लिए भी करीब 1.2 लाख बजट दिया गया है ये दोनों हो चीजे इस बजट में बेहतर हैं।

महिलाओं के लिए चाहे वो बच्चियां हो महिलाएं हों उनके पढ़ाई सुरक्षा के लिए उनके रोजगार उनके लिए भी डिफरेंट डिफरेंट तरीके से उसमें भी बेहतर बजट दिया गया है।

एक तरह से देखा जाए जो देश के लिए तीन चार चीजें जो होतीं हैं उन सबके लिए कुछ न कुछ प्रॉपर सरकार ने एलोकेट किया है।

सुशील सिंघल कहते हैं कि इस बजट के रिजल्ट बहुत ही बेहतर आने वाले हैं।

डायरेक्ट एक्सेस की बात करें तो डायरेक्ट एक्सेस के स्लैब जो पहले तीन स्लैब होते थे, उन्हें 6 कर दिया है, बहुत जल्दी में अगर समझना हो तो हर ढाई लाख में एक स्लैब कर दिया है। ढाई लाख निल है अगला ढाई लाख पांच परसेंट, अगला ढाई लाख 10 परसेंट अगला ढाई लाख 15 परसेंट अगला ढाई लाख 20 परसेंट कर दिया है फिर 25 है फिर 15 लाख के बाद उसकी दर डायरेक्ट 30 परसेन्ट कर दिया है।

हलाँकि सरकार् ने इसमें ये कहा है की इस तरह के नए स्लैब का इस्तेमाल करेंगे तो डिडक्शन ऑफ एक्जप्शन खत्म हो जायेंगे। लेकिन जब इसका इम्प्लीमेंटेशन होगा तो ये देखने वाला होगा।

कॉरपोरेट टैक्स के दरों में काफी कमी कर दी है पहले से ही काफी कम थी टैक्स ऑडिट भी एक समस्या थी, छोटे सेक्टर वालों को उन्हें जाकर ऑडिट कराना पड़ता था तो सरकार ने उसकी सीमा बढाकर एक करोड़ से 5 करोड़ कर दी है।


बाजार की सुस्ती के बीच कैसा बजट ?

अर्थशास्त्री सुशील सिंघल कहते हैं इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है कि बाजार की सुस्ती कुछ कम होती दिखती है क्योंकि देखिये अल्टीमेटली ये आपका पैसा है जो आपके ऊपर खर्च होता है अगर हम कारपोरेट टैक्स के दरों को कम कर देंगे, कॉर्पोरेटिव टैक्सेस की दर कम कर देंगे, इंडिविजुअल टैक्स की दर कम कर दें जीएसटी के दरों को कम करने की बात करेंगे तो टैक्सेस के दरों को कम करने की बात करेंगे तो हमारा राजकोषीय घाटा तो घटता चला जायेगा। उन्होंने कहा भी है कि राजकोशीय घाटा 3 से 4 परसेंट रहेगा, अगर यही स्थितियां रही तो सेक्टर कैसे डेवेलप होगा, बाजार के सुस्ती की बात करें तो मुझे नहीं लगता कि इस बजट से उसे कोई बूस्टअप मिल गया है कि बाजार की सुस्ती खत्म हो जाएगी इस बजट से ऐसा मुझे नहीं लग रहा।




Conclusion:बजट को गरीब, गांव और किसान का कहा जा सकता है क्या

सुशील सिंघल कहते हैं कह सकते हैं वाह वाही लेने के लिए ही बजट बढ़ा दिये हैं देखने को भी मिला बजट बढ़ा भी है। लेकिन मैं फिर से वही बात करूंगा अगर इम्प्लीमेंटेशन प्रॉपर हो जाये तो थोड़ी बजट कम भी हो चलता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.