ETV Bharat / state

आखिर क्या है 'लखबरिया केव्स' का इतिहास...जहां एक लाख गुफाओं में पांडवों ने काटा था अज्ञातवास

author img

By

Published : Oct 7, 2020, 10:09 AM IST

शहडोल के बुढ़ार तहसील में एक ऐसी जगह है जहां के बारे में कहा जाता है कि यहां महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव पहुंचे थे, और एक लाख गुफाओं का निर्माण किया था. जिसके बाद इसका नाम लखबरिया केव्स पड़ गया. पढ़ें इन अद्भुत गुफाओं की अनोखी कहानी...

lakhwariya caves
लखबरिया केव्स

शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में मौजूद पुरातत्व, प्राकृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक और कई ऐसे चमत्कारी-अद्भुत स्थल अनायास ही यहां आने वाले का मन मोह लेते हैं. लेकिन शहडोल में एक ऐसी अद्भुत जगह है 'लखबरिया केव्स' जहां एक साथ एक लाख गुफाएं मौजूद हैं. इन गुफाओं के बारे के कहा जाता है कि ये गुफाएं पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान बनाई थीं.

जानिए 'लखबरिया केव्स' का इतिहास

मैकल पर्वत की तराई क्षेत्र में हैं गुफाएं

जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बुढ़ार तहसील के दक्षिण में ग्राम लखबरिया है. जहां पांडवों की ऐतिहासिक और प्राचीन गुफाएं हैं. यह मैकल पर्वत की तराई क्षेत्र में है, जहां लाल बलुआ पत्थर की विस्तृत चट्टान है. पूर्व से पश्चिम करीब 300 मीटर और उत्तर से दक्षिण करीब 200 मीटर क्षेत्र में प्राचीन गुफा विद्यमान है, जो लखबरिया की गुफाएं या लखबरिया केव्स के नाम से मशहूर है.

lakhwariya caves
लखबरिया की गुफाएं

पांडवों ने कराया है निर्माण

इन गुफाओं के बारे में कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास में थे, तो उन्होंने ही इन ऐतिहासिक गुफाओं का निर्माण किया था, और अज्ञातवास का कुछ समय भी यहां गुजारा था. पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि लखबरिया की गुफाएं ऐतिहासिकता के साथ-साथ प्रसिद्धता भी लिए हुए है. महाभारत में पांडवों के अज्ञातवास को भी इससे जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि जब पांडव अज्ञातवास में थे तो उन्होंने राजा विराट के क्षेत्र में अज्ञातवास के लिए शरण ली थी. उसी अंतराल में उन्होंने लखबरिया में एक लाख गुफाओं का निर्माण किया था.

lakhwariya caves
जर्जर हो रही गुफाएं

बलुआ पत्थर से किया गया है गुफाओं का निर्माण

करीब 300 मीटर लंबी और 200 मीटर चौड़ी इन गुफाओं में जो बड़ी भारी ठोस चट्टानें हैं. वह लाल बलुआ पत्थर की है, जिनसे इन गुफाओं को निर्मित किया गया है. पांडु वंशी राजाओं ने दूसरी सदी में इसका निर्माण कार्य शुरू किया. और छठवीं सदी तक निर्माण कार्य निरंतर चलता रहा. उत्तर की ओर तीन गुफाएं हैं. पश्चिम की ओर भी लगभग सात गुफाएं हैं. जिनमें मंदिर है. वहां एक आश्रम भी है जहां बैठकर गुरु प्रवचन करते थे. और शिष्यों को पढ़ाते थे. दक्षिण की ओर भी तीन गुफाएं हैं, और पूर्व की ओर भी कुछ गुफाएं हैं जो आज भी अधूरी है. इन गुफाओं के पास एक तालाब भी है.

ashram
लखबरिया में मौजूद आश्रम

लखबरिया में दैवीय स्थल

लखबरिया की गुफाओं में कई दैवीय स्थल भी है. यहां अर्धनारेश्वर शिवलिंग है. ये शिवलिंग गुफा के अंदर खुदाई के दौरान निकली है. इसके अलावा यहां रामलला का दर्शन भी होत है. क्योंकि एक रामलला मंदिर भी है, जहां भगवान राम और जानकी विराजमान है. इनके बारे में भी ऐसी कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास में थे तो उस दौरान उन्होंने यहां कुछ समय गुजारा था. इसके अलावा यहां सीता माता की रसोई भी देखने को मिलती है. साथ ही राधा-कृष्ण मंदिर, शनिदेव समेत कई मंदिर हैं.

सरंक्षण के अभाव में गुफाएं

कई सदी पुरानी लखबरिया की गुफाएं जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. आज वही गुफाएं संरक्षण के अभाव में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. लखबरिया की गुफाएं अब धीरे-धीरे सरंक्षण के अभाव में जर्जर हो रही है. जो लाल बलुआ पत्थर से चट्टान से जो गुफाएं बनी है. वह भी झड़ रही हैं. उनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है, और जानकारों का तो यह भी कहना है कि अगर उसकी खुदाई कराई जाएगी तो वहां पर आसपास के क्षेत्र में तो कई और गुफाएं निकलेगी.

lakhwariya caves
प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

जानकारों का मानना है कि आज देश 21वीं सदी में जरूर पहुंच गया है लेकिन लखबरिया की गुफाएं आज भी अपने आप में इतिहास बयां कर रही है. लेकिन जल्द ही इन गुफाओं का संरक्षण नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब ये गुफाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएंगी.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस ने चार सीटों पर घोषित किए प्रत्याशी, यहां जानिए किसमें कितना है दम

लखबरिया में पर्यटन की अपार संभावनाएं

लखबरिया में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. क्योंकि यहां पर ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक और पुरातात्विक हर तरह की चीजें मौजूद है. यहां एक ही जगह पर पर्यटकों को कई चीजों के दर्शन लाभ मिल जाएंगे, और सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. लखबरिया की गुफाएं तो ऐतिहासिक हैं ही साथ ही कई मंदिरों की कई कथाएं भी जुड़ी हुई है. अगर इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाए तो निश्चित तौर पर लखबरिया की वजह से शहडोल का नाम दूर-दूर तक जाना जाएगा.

शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में मौजूद पुरातत्व, प्राकृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक और कई ऐसे चमत्कारी-अद्भुत स्थल अनायास ही यहां आने वाले का मन मोह लेते हैं. लेकिन शहडोल में एक ऐसी अद्भुत जगह है 'लखबरिया केव्स' जहां एक साथ एक लाख गुफाएं मौजूद हैं. इन गुफाओं के बारे के कहा जाता है कि ये गुफाएं पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान बनाई थीं.

जानिए 'लखबरिया केव्स' का इतिहास

मैकल पर्वत की तराई क्षेत्र में हैं गुफाएं

जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बुढ़ार तहसील के दक्षिण में ग्राम लखबरिया है. जहां पांडवों की ऐतिहासिक और प्राचीन गुफाएं हैं. यह मैकल पर्वत की तराई क्षेत्र में है, जहां लाल बलुआ पत्थर की विस्तृत चट्टान है. पूर्व से पश्चिम करीब 300 मीटर और उत्तर से दक्षिण करीब 200 मीटर क्षेत्र में प्राचीन गुफा विद्यमान है, जो लखबरिया की गुफाएं या लखबरिया केव्स के नाम से मशहूर है.

lakhwariya caves
लखबरिया की गुफाएं

पांडवों ने कराया है निर्माण

इन गुफाओं के बारे में कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास में थे, तो उन्होंने ही इन ऐतिहासिक गुफाओं का निर्माण किया था, और अज्ञातवास का कुछ समय भी यहां गुजारा था. पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि लखबरिया की गुफाएं ऐतिहासिकता के साथ-साथ प्रसिद्धता भी लिए हुए है. महाभारत में पांडवों के अज्ञातवास को भी इससे जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि जब पांडव अज्ञातवास में थे तो उन्होंने राजा विराट के क्षेत्र में अज्ञातवास के लिए शरण ली थी. उसी अंतराल में उन्होंने लखबरिया में एक लाख गुफाओं का निर्माण किया था.

lakhwariya caves
जर्जर हो रही गुफाएं

बलुआ पत्थर से किया गया है गुफाओं का निर्माण

करीब 300 मीटर लंबी और 200 मीटर चौड़ी इन गुफाओं में जो बड़ी भारी ठोस चट्टानें हैं. वह लाल बलुआ पत्थर की है, जिनसे इन गुफाओं को निर्मित किया गया है. पांडु वंशी राजाओं ने दूसरी सदी में इसका निर्माण कार्य शुरू किया. और छठवीं सदी तक निर्माण कार्य निरंतर चलता रहा. उत्तर की ओर तीन गुफाएं हैं. पश्चिम की ओर भी लगभग सात गुफाएं हैं. जिनमें मंदिर है. वहां एक आश्रम भी है जहां बैठकर गुरु प्रवचन करते थे. और शिष्यों को पढ़ाते थे. दक्षिण की ओर भी तीन गुफाएं हैं, और पूर्व की ओर भी कुछ गुफाएं हैं जो आज भी अधूरी है. इन गुफाओं के पास एक तालाब भी है.

ashram
लखबरिया में मौजूद आश्रम

लखबरिया में दैवीय स्थल

लखबरिया की गुफाओं में कई दैवीय स्थल भी है. यहां अर्धनारेश्वर शिवलिंग है. ये शिवलिंग गुफा के अंदर खुदाई के दौरान निकली है. इसके अलावा यहां रामलला का दर्शन भी होत है. क्योंकि एक रामलला मंदिर भी है, जहां भगवान राम और जानकी विराजमान है. इनके बारे में भी ऐसी कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास में थे तो उस दौरान उन्होंने यहां कुछ समय गुजारा था. इसके अलावा यहां सीता माता की रसोई भी देखने को मिलती है. साथ ही राधा-कृष्ण मंदिर, शनिदेव समेत कई मंदिर हैं.

सरंक्षण के अभाव में गुफाएं

कई सदी पुरानी लखबरिया की गुफाएं जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. आज वही गुफाएं संरक्षण के अभाव में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. लखबरिया की गुफाएं अब धीरे-धीरे सरंक्षण के अभाव में जर्जर हो रही है. जो लाल बलुआ पत्थर से चट्टान से जो गुफाएं बनी है. वह भी झड़ रही हैं. उनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है, और जानकारों का तो यह भी कहना है कि अगर उसकी खुदाई कराई जाएगी तो वहां पर आसपास के क्षेत्र में तो कई और गुफाएं निकलेगी.

lakhwariya caves
प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

जानकारों का मानना है कि आज देश 21वीं सदी में जरूर पहुंच गया है लेकिन लखबरिया की गुफाएं आज भी अपने आप में इतिहास बयां कर रही है. लेकिन जल्द ही इन गुफाओं का संरक्षण नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब ये गुफाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएंगी.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस ने चार सीटों पर घोषित किए प्रत्याशी, यहां जानिए किसमें कितना है दम

लखबरिया में पर्यटन की अपार संभावनाएं

लखबरिया में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. क्योंकि यहां पर ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक और पुरातात्विक हर तरह की चीजें मौजूद है. यहां एक ही जगह पर पर्यटकों को कई चीजों के दर्शन लाभ मिल जाएंगे, और सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. लखबरिया की गुफाएं तो ऐतिहासिक हैं ही साथ ही कई मंदिरों की कई कथाएं भी जुड़ी हुई है. अगर इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाए तो निश्चित तौर पर लखबरिया की वजह से शहडोल का नाम दूर-दूर तक जाना जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.