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कुपोषण खत्म करने कृषि केंद्र की पहल, '7 दिन 7 क्यारी' की थीम पर किया जा रहा काम

आदिवासी अंचल शहडोल कुपोषण को लेकर सुर्खियों में है. यहां मौजूद कुपोषण को कैसे दूर किया जा सकता है, इसे लेकर कृषि विज्ञान केंद्र '7 दिन 7 क्यारी' की थीम पर काम कर रहा है.

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Published : Jun 25, 2019, 12:53 PM IST

शहडोल। आदिवासी अंचल शहडोल कुपोषण को लेकर सुर्खियों में है. यहां बच्चों में कुपोषण काफी ज्यादा है, जिसे दूर करने के लिए अब तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र भी कुपोषण को दूर करने के लिए अपने तरीके से काम कर रहा है और ये पहल पिछले 2 साल से चल रही है.

कुपोषण खत्म करने की पहल


कुपोषण को कैसे गांव-गांव से दूर भगाया जा सकता है, इसे लेकर कृषि विज्ञान केंद्र '7 दिन 7 क्यारी' की थीम पर काम कर रहा है. जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र को महिला बाल विकास, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग और एक एनजीओ भी मदद कर रहा है. इसी को लेकर बीते दिन कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल में एक बार फिर से बैठक की गई. बैठक में आगे कैसे काम करना है, इस पर नई रणनीति तैयार की गयी है.

कुपोषण को दूर करने की नई पहल
कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल की गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा के मुताबिक कुपोषण संवेदनशील कृषि को लेकर पिछले 2 साल से काम किया जा रहा है, जिसमें हर साल 5 गांव और जिले के हर ब्लॉक से एक गांव को चिन्हित किया जाता है, जो अतिकुपोषित की श्रेणी में आते हैं. उन गांवों के कुपोषित परिवारों के घरों में लोगों को एक अलग तरह की खेती के लिए प्रेरित किया जाता है, जिसमें या तो अपने घर में बाड़ी में या फिर जहां भी जमीन हो, वहां उनको हेल्दी फूड के हिसाब से फसल लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है.

पहल का लाभ भी मिल रहा है
कुपोषण को लेकर ये भी बताया जाता है कि स्वादिष्ट तरीके से अपने खानपान में कैसे खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं और किस तरह से इसकी प्रोसेसिंग करें, जिससे इसके पोषक तत्व कम नहीं हों, वो भी इन्हें बताया जाता है. इसके लिए कई ट्रेनिंग की जा चुकी हैं और लगातार काम भी किया जा रहा है. साल दर साल इसी तरह से जिले के सभी ब्लॉक से एक अतिकुपोषित गांव को चिन्हित करके काम किया जा रहा है. इसका फायदा भी पिछले दो साल में खासा मिला है.

जानिये क्या है '7 दिन 7 क्यारी'
7 दिन 7 क्यारी के तहत ही कुपोषण को दूर भगाने के लिए असल लड़ाई लड़ी जा रही है. गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा के मुताबिक हफ्ते में 7 दिन होते हैं और 7 दिन 7 क्यारी के तहत किस तरह से अलग-अलग चीजें हम उगाएं, जो हमारे शरीर और सेहत के लिए पौष्टिक हों, इसे बताया जा रहा है.

मौजूदा और बीते साल के ये हैं 5 गांव
कुपोषण को दूर भगाने की पहल में जिले के हर ब्लॉक से एक गांव जो अतिकुपोषित हों, उन्हें सेलेक्ट किया जाता है. इस साल भी जिले के 5 ब्लॉक से 5 गांव सेलेक्ट किये गए हैं, जिसमें सोहागपुर ब्लॉक से जुगवारी, गोहपारू ब्लॉक से उमरिया, जयसिंहनगर ब्लॉक से देवरा, ब्योहारी ब्लॉक से खामदांड और बुढ़ार ब्लॉक से किसौरी गांव को सिलेक्ट किया गया है. पिछले साल जिन पांच गांवों को सेलेक्ट किया गया था, उसमें सोहागपुर ब्लॉक से कुअंरसेजा, गोहपारू ब्लॉक से देवगढ़, जयसिंहनगर ब्लॉक से चंदेला, ब्यौहारी ब्लॉक से तिखवा और बुढ़ार ब्लॉक से बिछिया गांव के शामिल किया गया था.

शहडोल। आदिवासी अंचल शहडोल कुपोषण को लेकर सुर्खियों में है. यहां बच्चों में कुपोषण काफी ज्यादा है, जिसे दूर करने के लिए अब तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र भी कुपोषण को दूर करने के लिए अपने तरीके से काम कर रहा है और ये पहल पिछले 2 साल से चल रही है.

कुपोषण खत्म करने की पहल


कुपोषण को कैसे गांव-गांव से दूर भगाया जा सकता है, इसे लेकर कृषि विज्ञान केंद्र '7 दिन 7 क्यारी' की थीम पर काम कर रहा है. जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र को महिला बाल विकास, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग और एक एनजीओ भी मदद कर रहा है. इसी को लेकर बीते दिन कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल में एक बार फिर से बैठक की गई. बैठक में आगे कैसे काम करना है, इस पर नई रणनीति तैयार की गयी है.

कुपोषण को दूर करने की नई पहल
कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल की गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा के मुताबिक कुपोषण संवेदनशील कृषि को लेकर पिछले 2 साल से काम किया जा रहा है, जिसमें हर साल 5 गांव और जिले के हर ब्लॉक से एक गांव को चिन्हित किया जाता है, जो अतिकुपोषित की श्रेणी में आते हैं. उन गांवों के कुपोषित परिवारों के घरों में लोगों को एक अलग तरह की खेती के लिए प्रेरित किया जाता है, जिसमें या तो अपने घर में बाड़ी में या फिर जहां भी जमीन हो, वहां उनको हेल्दी फूड के हिसाब से फसल लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है.

पहल का लाभ भी मिल रहा है
कुपोषण को लेकर ये भी बताया जाता है कि स्वादिष्ट तरीके से अपने खानपान में कैसे खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं और किस तरह से इसकी प्रोसेसिंग करें, जिससे इसके पोषक तत्व कम नहीं हों, वो भी इन्हें बताया जाता है. इसके लिए कई ट्रेनिंग की जा चुकी हैं और लगातार काम भी किया जा रहा है. साल दर साल इसी तरह से जिले के सभी ब्लॉक से एक अतिकुपोषित गांव को चिन्हित करके काम किया जा रहा है. इसका फायदा भी पिछले दो साल में खासा मिला है.

जानिये क्या है '7 दिन 7 क्यारी'
7 दिन 7 क्यारी के तहत ही कुपोषण को दूर भगाने के लिए असल लड़ाई लड़ी जा रही है. गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा के मुताबिक हफ्ते में 7 दिन होते हैं और 7 दिन 7 क्यारी के तहत किस तरह से अलग-अलग चीजें हम उगाएं, जो हमारे शरीर और सेहत के लिए पौष्टिक हों, इसे बताया जा रहा है.

मौजूदा और बीते साल के ये हैं 5 गांव
कुपोषण को दूर भगाने की पहल में जिले के हर ब्लॉक से एक गांव जो अतिकुपोषित हों, उन्हें सेलेक्ट किया जाता है. इस साल भी जिले के 5 ब्लॉक से 5 गांव सेलेक्ट किये गए हैं, जिसमें सोहागपुर ब्लॉक से जुगवारी, गोहपारू ब्लॉक से उमरिया, जयसिंहनगर ब्लॉक से देवरा, ब्योहारी ब्लॉक से खामदांड और बुढ़ार ब्लॉक से किसौरी गांव को सिलेक्ट किया गया है. पिछले साल जिन पांच गांवों को सेलेक्ट किया गया था, उसमें सोहागपुर ब्लॉक से कुअंरसेजा, गोहपारू ब्लॉक से देवगढ़, जयसिंहनगर ब्लॉक से चंदेला, ब्यौहारी ब्लॉक से तिखवा और बुढ़ार ब्लॉक से बिछिया गांव के शामिल किया गया था.

Intro:नोट- वर्ज़न शहडोल कृषि विज्ञान केंद्र की गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा की है।


कुपोषण को जड़ से दूर भगाने की अलग पहल, 7 दिन 7 क्यारी की थीम पर किया जा रहा काम

शहडोल- शहडोल जिला आदिवासी अंचल के अन्तर्गत आता है, और ये पूरा इलाका कुपोषण को लेकर भी ख़ासा सुर्खियों में है, यहां छोटे छोटे कुपोषित मासूमों की संख्या ज्यादा है जिसे दूर करने के लिए अब अलग अलग तरह के प्रयास किये जा रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र भी कुपोषण को दूर करने के लिए अपने ही तरीके से काम कर रहा है और ये पहल पिछले दो साल से चल रही है। कुपोषण को कैसे गांव गांव से घर घर से दूर भगाया जा सकता है इसे लेकर कृषि विज्ञान केंद्र 7 दिन 7 क्यारी की थीम पर काम कर रहा है। जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र को महिला बाल विकास, उद्यानिकी विभाग , कृषि विभाग, और एक एनजीओ भी मदद कर रहा है। इसी को लेकर आज कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल में एक बार फिर से बैठक की गई, और आगे कैसे काम करना है इसे लेकर रणनीति तैयार की गई।



Body:कुपोषण को दूर करने की नई पहल

कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल की गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा बताति हैं कि कुपोषण संवेदनशील कृषि को लेकर पिछले 2 साल से काम किया जा रहा है । जिसमें हर साल 5 गांव जिले के हर ब्लॉक से एक गांव को चिन्हित किया जाता है जो अतिकुपोषित की श्रेणी में आते हैं और उन गांवों के कुपोषित परिवारों के घरों में लोगों को एक अलग तरह की खेती के लिए प्रेरित किया जाता है । जिसमें या तो अपने घर में या बाड़ी में या फिर जहां भी जमीन हो वहां उनको हेल्दी फ़ूड के हिसाब से फसल लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है । इतना ही नहीं 7 दिन 7 क्यारी के तहत फसल तो उगाने के लिए कहा ही जाता है साथ ही इसे कैसे स्वादिष्ट तरीके से अपने खानपान में शामिल कर सकते हैं और किस तरह से इसकी प्रोसेसिंग करें जिससे इसके पोषक तत्व कम न हों वो भी इन्हें बताया जाता है। इसके लिए कई ट्रेनिंग की जा चुकी है और लगातार काम भी किया जा रहा है। साल दर साल इसी तरह से जिले के सभी ब्लॉक से एक अतिकुपोषित गांव को चिन्हित करके काम किया जा रहा है।और इसका फायदा भी पिछले दो साल में खासा मिला है।

जानिये क्या है 7 दिन 7 क्यारी

7 दिन 7 क्यारी के तहत ही कुपोषण को दूर भगाने के लिए असल लड़ाई लड़ी जा रही है। गृह वैज्ञानिक अल्पना शर्मा के मुताबिक हफ्ते मे 7 दिन होते हैं और 7 दिन 7 क्यारी के तहत किस तरह से अलग अलग चीजें हम उगाएं जो हमारे शरीर और सेहत के लिए पोषक हों, और कैसे उसे खाएं इस थीम पर काम किया जा रहा है और इसका फायदा भी मिल रहा है।


Conclusion:मौज़ूदा साल ये 5 गांव

कुपोषण को दूर भगाने के पहल में जिले के हर ब्लॉक से एक गांव जो अतिकुपोषित हों उन्हें सेलेक्ट किया जाता है इस साल भी जिले के 5 ब्लॉक से 5 गांव सेलेक्ट किये गए हैं जिसमें सोहागपुर ब्लॉक से जुगवारी गांव, गोहपारू ब्लॉक से उमरिया गांव, जयसिंहनगर ब्लॉक से देवरा गांव, ब्योहारी ब्लॉक से खामदांड गांव और बुढ़ार ब्लॉक से किसौरी गांव को सलेक्ट किया गया है।

पिछले साल ये गांव थे सेलेक्ट

वहीं पिछले साल इस प्रोजेक्ट के तहत जिन पांच गांवों को सेलेक्ट किया गया था उसमें सोहागपुर ब्लॉक से कुअंरसेजा गांव, गोहपारू ब्लॉक से देवगढ़ गांव, जयसिंहनगर ब्लॉक से चंदेला गांव ब्यौहारी ब्लॉक से तिखवा गांव, और बुढ़ार ब्लॉक से बिछिया गांव शामिल थे।
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