शहडोल। आदिवासी बहुल क्षेत्र शहडोल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सीटों का वर्चस्व देखने को मिलता है. इस बार भी यहां दोनों प्रमुख दलों के बीच घमासान होगा. 29 अप्रैल को यहां मतदान होना है, ऐसे में ईटीवी भारत ने बेरोजगारी और जातिवाद इस लोकसभा सीट के चुनाव को कितना प्रभावित करते हैं ये जानने के लिये यहां के मतदाताओं से बात की.
बेरोजगारी रहेगा अहम मुद्दा
युवा वोटर्स देश की असली ताकत हैं और इस बार के चुनाव में इनकी अहम भूमिका भी है. युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या भी है. इसी के चलते सबसे पहले शहडोल लोकसभा सीट के युवाओं से बात की और उनसे जानने की कोशिश की, क्या बेरोगारी इस बार के चुनाव को प्रभावित कर सकती है.
युवा उत्कर्ष नाथ गर्ग कहते हैं कि 'इस बार के चुनाव में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि युवा भविष्य के बारे में सोच ही नहीं पा रहा है और गुलाम की मानसिकता से जी रहा है. युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, अगर रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो सड़कों पर आना चाहिए, अपने रोजगार की बात करनी चाहिए' इसके अलावा भी कुछ ऐसे युवाओं जो पहली बार वोट देने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण काम करते हैं और फिर पढ़ाई करने जाते हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से मेहनत करके वो पढ़ाई कर रहे हैं ये वही जानते हैं. ऐसे में बेरोजगारी उनके लिये इस बार के चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा.
जातिवाद का चुनाव पर कितना असर..?
केशव कोल की माने तो यहां चुनाव में जातिवाद का यहां कोई असर नहीं पड़ता है, यहां जाती के आधार पर कोई मतदान नहीं करता है, केशव कहते हैं कि 'मैं खुद कोल समाज का हूं, कोल समाज की बैठकों में रहता हूं और समाज के बीच उठना बैठना भी होता है और में देखता हूं कि जाति के आधार पर वोट देने की कभी भी चर्चा नहीं होती, थोड़ा बहुत क्षेत्रीयता का असर जरूर होता है.'
शहडोल लोकसभा क्षेत्र में जातिवाद इतना प्रभाव नहीं डालेगा लेकिन इस बार बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहेगा और ऐसे में क्षेत्र के युवाओं के एक बड़े वर्ग का साफ कहना है कि वो रोजगार को ध्यान में रखकर ही वोट करेंगे.