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इस आदिवासी बहुल लोकसभा सीट को कितना प्रभावित करेंगे बेरोजगारी और जातिवाद जैसे मुद्दे

शहडोल लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस-बीजेपी में कौन सी पार्टी जीत जाए कोई नहीं जानता. कई चुनाव से ये देखने को भी मिला है कि यहां कब किस प्रत्याशी को जनता चुन लें इसका किसी को पता नहीं होता है. ईटीवी भारत ने मतदाताओं से उन मुद्दों पर बात की जो चुनाव पर प्रभाव डाल सकते हैं.

शहडोल क्षेत्र का युवा मतदाता
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Published : Apr 11, 2019, 9:45 PM IST

शहडोल। आदिवासी बहुल क्षेत्र शहडोल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सीटों का वर्चस्व देखने को मिलता है. इस बार भी यहां दोनों प्रमुख दलों के बीच घमासान होगा. 29 अप्रैल को यहां मतदान होना है, ऐसे में ईटीवी भारत ने बेरोजगारी और जातिवाद इस लोकसभा सीट के चुनाव को कितना प्रभावित करते हैं ये जानने के लिये यहां के मतदाताओं से बात की.

बेरोजगारी रहेगा अहम मुद्दा
युवा वोटर्स देश की असली ताकत हैं और इस बार के चुनाव में इनकी अहम भूमिका भी है. युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या भी है. इसी के चलते सबसे पहले शहडोल लोकसभा सीट के युवाओं से बात की और उनसे जानने की कोशिश की, क्या बेरोगारी इस बार के चुनाव को प्रभावित कर सकती है.

युवा उत्कर्ष नाथ गर्ग कहते हैं कि 'इस बार के चुनाव में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि युवा भविष्य के बारे में सोच ही नहीं पा रहा है और गुलाम की मानसिकता से जी रहा है. युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, अगर रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो सड़कों पर आना चाहिए, अपने रोजगार की बात करनी चाहिए' इसके अलावा भी कुछ ऐसे युवाओं जो पहली बार वोट देने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण काम करते हैं और फिर पढ़ाई करने जाते हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से मेहनत करके वो पढ़ाई कर रहे हैं ये वही जानते हैं. ऐसे में बेरोजगारी उनके लिये इस बार के चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा.

जातिवाद का चुनाव पर कितना असर..?
केशव कोल की माने तो यहां चुनाव में जातिवाद का यहां कोई असर नहीं पड़ता है, यहां जाती के आधार पर कोई मतदान नहीं करता है, केशव कहते हैं कि 'मैं खुद कोल समाज का हूं, कोल समाज की बैठकों में रहता हूं और समाज के बीच उठना बैठना भी होता है और में देखता हूं कि जाति के आधार पर वोट देने की कभी भी चर्चा नहीं होती, थोड़ा बहुत क्षेत्रीयता का असर जरूर होता है.'

शहडोल के मतदाताओं की राय


शहडोल लोकसभा क्षेत्र में जातिवाद इतना प्रभाव नहीं डालेगा लेकिन इस बार बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहेगा और ऐसे में क्षेत्र के युवाओं के एक बड़े वर्ग का साफ कहना है कि वो रोजगार को ध्यान में रखकर ही वोट करेंगे.

शहडोल। आदिवासी बहुल क्षेत्र शहडोल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सीटों का वर्चस्व देखने को मिलता है. इस बार भी यहां दोनों प्रमुख दलों के बीच घमासान होगा. 29 अप्रैल को यहां मतदान होना है, ऐसे में ईटीवी भारत ने बेरोजगारी और जातिवाद इस लोकसभा सीट के चुनाव को कितना प्रभावित करते हैं ये जानने के लिये यहां के मतदाताओं से बात की.

बेरोजगारी रहेगा अहम मुद्दा
युवा वोटर्स देश की असली ताकत हैं और इस बार के चुनाव में इनकी अहम भूमिका भी है. युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या भी है. इसी के चलते सबसे पहले शहडोल लोकसभा सीट के युवाओं से बात की और उनसे जानने की कोशिश की, क्या बेरोगारी इस बार के चुनाव को प्रभावित कर सकती है.

युवा उत्कर्ष नाथ गर्ग कहते हैं कि 'इस बार के चुनाव में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि युवा भविष्य के बारे में सोच ही नहीं पा रहा है और गुलाम की मानसिकता से जी रहा है. युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, अगर रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो सड़कों पर आना चाहिए, अपने रोजगार की बात करनी चाहिए' इसके अलावा भी कुछ ऐसे युवाओं जो पहली बार वोट देने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण काम करते हैं और फिर पढ़ाई करने जाते हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से मेहनत करके वो पढ़ाई कर रहे हैं ये वही जानते हैं. ऐसे में बेरोजगारी उनके लिये इस बार के चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा.

जातिवाद का चुनाव पर कितना असर..?
केशव कोल की माने तो यहां चुनाव में जातिवाद का यहां कोई असर नहीं पड़ता है, यहां जाती के आधार पर कोई मतदान नहीं करता है, केशव कहते हैं कि 'मैं खुद कोल समाज का हूं, कोल समाज की बैठकों में रहता हूं और समाज के बीच उठना बैठना भी होता है और में देखता हूं कि जाति के आधार पर वोट देने की कभी भी चर्चा नहीं होती, थोड़ा बहुत क्षेत्रीयता का असर जरूर होता है.'

शहडोल के मतदाताओं की राय


शहडोल लोकसभा क्षेत्र में जातिवाद इतना प्रभाव नहीं डालेगा लेकिन इस बार बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहेगा और ऐसे में क्षेत्र के युवाओं के एक बड़े वर्ग का साफ कहना है कि वो रोजगार को ध्यान में रखकर ही वोट करेंगे.

Intro:नोट- बाकी तो सभी युवाओं की बाईट है, एक बाईट केशव कोल की है जो कोल समाज का है जिस व्यक्ति के पीछे बड़ा सा पेड़ है और सांवले कलर का है उसका नाम केशव कोल है।


जानिए इस आदिवासी लोकसभा सीट को बेरोजगारी और जातिवाद कितना प्रभावित करेंगे ?

शहडोल- शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी सीट है, और यहां इस बार जबरदस्त घमासान है, ये एक ऐसी सीट है जहां बीजेपी और कांग्रेस दो ही पार्टियों का वर्चस्व देखने को मिलता है और इन दो पार्टियों के बीच ही असली घमासान है। 29 अप्रैल को यहां चुनाव होने हैं, चलिए जानते हैं बेरोजगारी और जातिवाद इस लोकसभा सीट के चुनाव को कितना प्रभावित करते हैं।


Body:बेरोजगारी का असर

युवा वोटर्स देश की असली ताकत हैं, और इस बार के चुनाव में इनका भी अहम रोल होना है, युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या भी है, हमने शहडोल लोकसभा सीट के कई युवाओं से बात की और उनसे जानने की कोशिश की, क्या बेरोगारी इस बार के चुनाव को प्रभावित कर सकता है क्या बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है, इसके लिए हम सीधे युवाओं तक पहुंचे और जो बात युवाओं के बीच से निकली वो किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए सही नहीं है।

युवा उत्कर्ष नाथ गर्ग कहते हैं कि इस बार के चुनाव में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि अगर हम सोच ही नहीं पा रहे हैं तो हमारा भविष्य हमारे देश का भविष्य, खतरे में है, और हम एक गुलाम की मानसिकता से जीना शुरू करेंगे तो बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है अगर रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो सड़कों पर
आना चाहिए, अपने रोजगार की बात करनी चाहिए क्योंकि टैक्स हम भी देते हैं, इसके अलावा भी कुछ ऐसे युवाओं से भी हमने बात की जो पहली बार वोट देने जा रहे हैं, तो वहीं कुछ ऐसे युवा भी मिले जो खुद काम करते हैं परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने पर काम करते हैं और फिर पढ़ाई करने जाते हैं उनका कहना है कि जिस तरह से मेहनत करके वो पढ़ाई कर रहे हैं वही जानते हैं इसलिए उनके लिए रोजगार इस बार के चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा।


जातिवाद का असर

शहडोल लोकसभा सीट में चुनाव में जातिवाद का यहां कोई असर नहीं पड़ता है, यहां जाती के आधार पर कोई मतदान नहीं करता है, केशव कोल से जब हमने जाना कि क्या उनके समाज में इस तरह की बातें निकल के आती हैं तो केशव कोल कहते हैं कि मैं खुद कोल समाज का हूँ, कोल समाज की बैठकों में रहता हूँ, समाज के बीच उठना बैठना है और मैं देखता हूँ कि जाति के आधार पर वोट देने की कभी भी चर्चा नहीं होती हैं थोड़ी बहुत क्षेत्रीयता का असर जरूर होता है लेकिन जाती का असर लोकसभा चुनाव पर नहीं पड़ता है।



Conclusion:गौरतलब है कि शहडोल लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस बीजेपी में किस पार्टी का कैंडिडेट जीत जाए कोई नहीं जानता है, ऐसा कई चुनाव से ये देखने को भी मिला है कि यहां कब किस प्रत्याशी को यहां की जनता चुन लें, क्षेत्र में जातिवाद की बात करें तो जाट के आधार पर तो वोटिंग नहीं होती है मतलब जातिवाद चुनाव को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन इस बार शहडोल लोकसभा सीट में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहेगा और क्षेत्र के युवाओं के एक बड़े वर्ग का साफ कहना है कि वो रोजगार को ध्यान में रखकर ही वोट करेंगे।
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