Holashtak 2023: हिंदू धर्म में सभी त्यौहारों का विशेष महत्व माना गया है और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सभी त्यौहार मनाए जाते हैं उनमें से एक है होली का त्यौहार, जिसका बड़ी ही बेसब्री से लोगों को इंतजार होता है. होली का त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन इसके कुछ दिन पहले से होलाष्टक भी शुरू हो जाते हैं. जहां बहुत कुछ सावधानी बरती जाती है. कहा तो यह भी जाता है कि सारे शुभ कार्य बंद हो जाते हैं.
कब से होलाष्टक: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार होलाष्टक 27 फरवरी से शुरू हो रहा है सोमवार के दिन से इसकी शुरुआत हो रही है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष से होलाष्टक की शुरुआत होती है जो कि इस बार 27 फरवरी से शुरू होकर 16 मार्च तक होलाष्टक रहेगा. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि होलाष्टक जैसे ही लगता है वैसे ही मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं. इसमें भी गंगा नदी के दक्षिण की ओर जितने भी जगह हैं प्रदेश हैं, गांव हैं शहर हैं कस्बा है या जो भी जगह हैं वहां पर होलाष्टक दोष नहीं लगता है. लेकिन गंगा नदी के उत्तर की ओर जितने भी प्रदेश हैं गांव हैं शहर हैं कस्बा हैं जैसे बिहार, गंगोत्री, यमुनोत्री की ओर होलाष्टक का प्रभाव रहता है.
होलाष्टक में वर्जित शुभ कार्य: होलाष्टक लग जाने से कोई भी मांगलिक कार्यक्रम शुभ कार्य जैसे विवाह है व्रतबन्ध, मुंडन, कर्ण छेदन, अन्नप्राशन, घर का उद्घाटन, नया जमीन लेना, नया वाहन लेना यह सभी वर्जित हो जाते हैं. हालांकि गंगा नदी के जितने भी दक्षिण दिशा में जगह हैं वहां पर होलाष्टक का दोस नहीं लगता है. इस दौरान भी पंचांग में बकायदे मुहूर्त बनाए जाते हैं. विवाह उपनयन सारे शुभ कार्यक्रम होते हैं और जहां जिस प्रदेश में जिस उत्तर दिशा में होलाष्टक दोष लागू होता है वहां होलाष्टक में कार्य नहीं होते हैं.
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होलाष्टक में भूलकर भी न करें ये कार्य: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जिन जगहों पर होलाष्टक के दोष माने जाते हैं वहां पर जिन मांगलिक कार्यों के प्रतिबंध होते हैं वह तो भूलकर भी नहीं करना चाहिए, नहीं तो इसके काफी दोष भी होते हैं. अगर होलाष्टक के समय में कोई शुभ कार्य करते हैं तो वह अशुभ हो सकता है, वह कार्य सफल नहीं होता है. साथ ही उसके काफी दोष भी आगे चलकर देखने को मिल सकते हैं. अगर विवाह करते हैं तो विवाह सफल नहीं होता है पति-पत्नी में आपस में मनमुटाव होता है. एक तरह से कहा जाए तो कोई भी शुभ कार्य इस होलाष्टक के समय में करने पर सफल नहीं होता है. इसलिए होलाष्टक के समय में जहां पर होलाष्टक के दोष मान्य हैं वहां शुभ कार्य मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए.