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शहडोल: तुर्री और धनौरा गांव में दर्जनों बच्चे बीमार, कलेक्टर ने भेजी स्वास्थ्य विभाग की टीम - खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेश मिश्रा

शहडोल में एक बार फिर से बच्चे बीमार हो गए, जिसकी जानकारी मिलते ही कलेक्टर ने तत्काल स्वास्थ्य कर्मियों को मौका स्थल के लिए रवाना कर दिया.

health workers were sent for children checkup
बच्चों के जांच के लिए भेजे गए स्वास्थ्यकर्मी
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Published : Dec 5, 2020, 7:22 AM IST

Updated : Dec 5, 2020, 7:47 AM IST

शहडोल। शहडोल जिला चिकित्सालय इन दिनों काफी सुर्खियों में बना हुआ है, जहां सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौतें हो रही हैं. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठ रहे हैं. अब ग्रामीण क्षेत्रों से भी बच्चों के बीमार होने की खबरें आ रही हैं. तुर्री और धनौरा गांव से ऐसी ही जानकारी कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह को मिली थी, जिस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए मौका स्थल पर एक चिकित्सकीय दल को भेजा गया.

कलेक्टर ने भेजी टीम

कलेक्टर डॉक्टर सतेंद्र सिंह को सूचना मिली थी कि, जिले के तुर्री और धनौरा गांव में कुछ बच्चे बीमार हैं. इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल बीएमओ सहित टीम को गांव के लिए रवाना किया गया, जहां बीमार बच्चों का उपचार हुआ.

15 बच्चों का हुआ इलाज

खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेश मिश्रा और उनकी टीम ने 15 बच्चों का इलाज किया. वहीं 1 बच्चे का स्वास्थ्य अधिक खराब होने पर उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. इस दौरान टीम ने चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान करते हुए कोरोना संक्रमण से बचाव, कुपोषण से बचाव सहित शिशुओं की बीमारी में सजग रहने की समझाइश दी.

पढ़े: नवजातों की मौत को लेकर कांग्रेस ने गठित की जांच टीम, कमलनाथ को सौपेंगी रिपोर्ट

जिला चिकित्सालय मामले में कांग्रेस ने गठित की जांच टीम

शहडोल में लगातार मासूम बच्चों की मौत को लेकर सियासत तेज हो गई है. अभी तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है. सरकार की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक जांच दल का गठन किया है. यह जांच दल शहडोल जिला चिकित्सालय जाकर घटना की जांच कर बच्चों की मौत की वजह जानने की कोशिश करेगा और रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को सौंपेगा.

पढ़े: शहडोल में 12 बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री का बयान, इलाज में नहीं हुई लापरवाही

इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई

स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि, बच्चों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है. उनहोंने कहा कि, यह गम्भीर मामला है, जहां बच्चों की मौत हो रही है. निमोनिया ज्यादा बढ़ रहा है. मंत्री ने कहा कि हमने निर्देश दिए हैं कि उस क्षेत्र में जाकर सर्वे किया जाये और देखा जाए कि कहीं कोई बच्चा पहले से पीड़ित तो नहीं है. क्योंकि सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले बढ़ जाते हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया पर फिर भी बच्चे नहीं बच पाए. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.

क्या है मामला

गौरतलब है कि जिला अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज एक बार फिर जिला अस्पताल में चार और बच्चों की मौत हो गई. 48 घंटों में चार बच्चे काल के गाल में समा गए. जिसके बाद मरने वाले नवजात बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. पिछले छह दिन के अंदर 12 बच्चें मौत की नींद सो गए. नवजात बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है.

जानकारी के मुताबिक बच्चें जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती थे. पाली से 7 माह के नवजात को गुरुवार की सुबह 11 बजे गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया था, जिसकी मौत निमोनिया से होना बताया जा रहा है. वहीं डिंडोरी से आये 1 माह 10 दिन के नवजात की मौत के पीछे कम वजन का होना बताया गया है. जिला अस्पताल में पिछले 1 हफ्ते के भीतर 12 बच्चों की मौत हो चुकी है.

शहडोल। शहडोल जिला चिकित्सालय इन दिनों काफी सुर्खियों में बना हुआ है, जहां सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौतें हो रही हैं. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठ रहे हैं. अब ग्रामीण क्षेत्रों से भी बच्चों के बीमार होने की खबरें आ रही हैं. तुर्री और धनौरा गांव से ऐसी ही जानकारी कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह को मिली थी, जिस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए मौका स्थल पर एक चिकित्सकीय दल को भेजा गया.

कलेक्टर ने भेजी टीम

कलेक्टर डॉक्टर सतेंद्र सिंह को सूचना मिली थी कि, जिले के तुर्री और धनौरा गांव में कुछ बच्चे बीमार हैं. इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल बीएमओ सहित टीम को गांव के लिए रवाना किया गया, जहां बीमार बच्चों का उपचार हुआ.

15 बच्चों का हुआ इलाज

खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेश मिश्रा और उनकी टीम ने 15 बच्चों का इलाज किया. वहीं 1 बच्चे का स्वास्थ्य अधिक खराब होने पर उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. इस दौरान टीम ने चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान करते हुए कोरोना संक्रमण से बचाव, कुपोषण से बचाव सहित शिशुओं की बीमारी में सजग रहने की समझाइश दी.

पढ़े: नवजातों की मौत को लेकर कांग्रेस ने गठित की जांच टीम, कमलनाथ को सौपेंगी रिपोर्ट

जिला चिकित्सालय मामले में कांग्रेस ने गठित की जांच टीम

शहडोल में लगातार मासूम बच्चों की मौत को लेकर सियासत तेज हो गई है. अभी तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है. सरकार की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक जांच दल का गठन किया है. यह जांच दल शहडोल जिला चिकित्सालय जाकर घटना की जांच कर बच्चों की मौत की वजह जानने की कोशिश करेगा और रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को सौंपेगा.

पढ़े: शहडोल में 12 बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री का बयान, इलाज में नहीं हुई लापरवाही

इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई

स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि, बच्चों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है. उनहोंने कहा कि, यह गम्भीर मामला है, जहां बच्चों की मौत हो रही है. निमोनिया ज्यादा बढ़ रहा है. मंत्री ने कहा कि हमने निर्देश दिए हैं कि उस क्षेत्र में जाकर सर्वे किया जाये और देखा जाए कि कहीं कोई बच्चा पहले से पीड़ित तो नहीं है. क्योंकि सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले बढ़ जाते हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया पर फिर भी बच्चे नहीं बच पाए. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.

क्या है मामला

गौरतलब है कि जिला अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज एक बार फिर जिला अस्पताल में चार और बच्चों की मौत हो गई. 48 घंटों में चार बच्चे काल के गाल में समा गए. जिसके बाद मरने वाले नवजात बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. पिछले छह दिन के अंदर 12 बच्चें मौत की नींद सो गए. नवजात बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है.

जानकारी के मुताबिक बच्चें जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती थे. पाली से 7 माह के नवजात को गुरुवार की सुबह 11 बजे गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया था, जिसकी मौत निमोनिया से होना बताया जा रहा है. वहीं डिंडोरी से आये 1 माह 10 दिन के नवजात की मौत के पीछे कम वजन का होना बताया गया है. जिला अस्पताल में पिछले 1 हफ्ते के भीतर 12 बच्चों की मौत हो चुकी है.

Last Updated : Dec 5, 2020, 7:47 AM IST
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