शहडोल। मौजूदा साल में जब बरसात के सीजन की शुरुआत हुई तो अचानक ही बारिश का दौर शुरू हुआ और इस तरह से झमाझम बरसात हुई की महीने भर से भी ज्यादा समय तक अच्छी बारिश होती रही. इस दौरान खेत, खलिहान, नदी, नाले सभी उफान पर आ गए और फिर उसके बाद अचानक से जब बारिश बंद हुई है तो पिछले 5-10 दिन से उस तरह से बारिश नहीं हुई.
अब तेज धूप हो रही है, जिससे उमस भरी गर्मी से लोगों का हाल बेहाल हैं. गर्मी से लोग परेशान हो रहे लोग तरह-तरह की मौसमी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं, ऐसे में क्या सावधानी रखनी चाहिए, जिससे बीमारी हमारे शरीर को पकड़ ही ना पाए. इसके अलावा इस मौसम में किस तरह की बीमारियां हो सकती हैं व कौन से घरेलू नुस्खे हैं, जिन्हें आजमाकर हम थोड़ी राहत पा सकते हैं. आइए जानते हैं आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव से-
इस मौसम में बरतें सावधानी: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "जिस तरह का मौसम अभी चल रहा है, उसे हम संस्कृत में ऋतु विपर्याय बोलते हैं. रितु विपर्याय का मतलब है, जब मौसम अपने प्राकृतिक लक्षणों को छोड़ कर के विकृत लक्षण शो करता है. जैसे कि अभी बारिश होनी चाहिए, जुलाई का अंत है और अगस्त का महीना शुरू होने जा रहा है लेकिन बारिश हो नहीं रही है. जो पहले बारिश हुई है, उससे जमीन में नमी आई थी, वह भी तेज धूप के कारण अब उमस में बदल रही है. ऐसे टाइम पर कम्युनिकेबल डिजीज संचारी रोगों के फैलने का बहुत ज्यादा चान्सेस होता है."
शरीर का संतुलन बिगड़ने के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसके चलते शरीर में बीमारियों के बढ़ने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. आमतौर पर उल्टी होना, दस्त होना, बुखार होना, सिर दर्द होना, हाथ-पैर और आंखों में जलन होना, डिहाइड्रेशन होना, डिप्रेशन होना और भूख ना लगना या खाने के प्रति रुचि ना होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. कुल मिलाकर मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है.
कैसे करें बदलते मौसम की बीमारियों से बचाव: इस मौसम में कोशिश ये करनी चाहिए कि ऐसे मौसम में हल्का सुपाच्य, सुपोषित भोजन करना चाहिए, बाहर के खाने पीने से बचें. बाहर के दूषित पानी पीने से बचें अगर कहीं पानी पीने का मन करता है तो कोशिश करें कि अपना पानी घर से ही लेकर जाएं. अपने आप को इस तरह के उमस से बचाकर रखें, कोशिश करें कि घर में कूलर का उपयोग फिर से शुरू कर दें. बॉडी को ज्यादा गर्म ना होने दें, नहीं तो उल्टी और मिचली जैसी समस्याएं शुरू हो जाएंगी, इसलिए हल्का सुपाच्य भोजन करें गरिष्ठ भोजन का त्याग करें.
इस समय नॉनवेज का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए, क्योंकि एक तो यह समय पशु पक्षियों के ब्रीडिंग का टाइम होता है और दूसरी बात यह कि जिस तरह से मनुष्य इस समय में बीमार पड़ते हैं वैसे ही पशु पक्षी भी इन दिनों में बीमार पड़ते हैं और बीमार का मांस सेवन करना शरीर के लिए अनुचित होता है. बरसात के मौसम में आई फ्लू की दिक्कत बढ़ जाती है, आंखों में लाल पन आ जाता है, जो वायरल इन्फेक्शन से फैलता है. इससे बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि अपने आप को सुरक्षित रखें और दूसरों से संपर्क में बहुत कम आएं. ऐसे इस बीमारी का बचाव हो सकता है.
मौसमी बीमारी के घरेलू नुस्खे: मौसमी बीमारी के आयुर्वेद नुस्खों के बारे में आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि हर बीमारी के लिए नुस्खे बदल जाते हैं. जैसे अगर आपको दस्त की दिक्कत आ रही है, तो प्राइमरी लेवल पर आप ओआरएस का घोल पी सकते हैं. अगर आपको उल्टी हो रही है एसिडिटी हो रही है तो भोजन के बाद में आप सौंफ चबाना शुरू कर दें. अगर भोजन में रुचि बिल्कुल नहीं हो रही है, खाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही है तो आप काली मिर्च का उपयोग कर सकते हैं, लौंग का उपयोग कर सकते हैं, अदरक को भी नमक के साथ में चाट सकते हैं.
इस मौसम में अगर सर दर्द हो रहा है तो मार्केट से ठंडा तेल वगैरह लाकर सर की मालिश कर सकते हैं, तो आराम मिलेगा. अगर आपको कंजेक्टिवाइटिस (आंखों की बीमारी) आती है, तो उसमें दूरी बनाकर रखें. उसके इस्तेमाल के कपड़ों को इस्तेमाल ना करें बचें, लेकिन अगर आपको थोड़ी भी तकलीफ बढ़ती है और घरेलू नुस्खों से आराम नहीं मिलता है तो आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें नहीं तो फिर बीमारी बढ़ सकती है.