शहडोल। किसानों को मालामाल और खाने में लाजवाब स्वाद देने वाले इस पौधे को इंग्लिश में 'रोजेला' कहा जाता है, जो हिबिस्कस ग्रुप का मालवेसिस फैमिली का पौधा है. इसकी खेती मुख्य रूप से खरीफ के सीजन में की जाती है. हालांकि, ये लोकल या फिर स्थानीय भाषा में 'अमरू' के नाम से प्रचलित है.
जानिए क्या हैं अमरू ?
अमरू जितना खूबसूरत है उतना ही लाजवाब. इसलिए अधिकतर ग्रामीण इसकी चटनी बड़े चाव से खाते हैं. इसे आम का रिप्लेसमेंट भी माना जाता है, जो स्वाद में खट्टा होता है. अमरू के बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि यह फाइबर क्रॉप में आता है.
बड़े काम का हैं अमरू
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि, अमरू का पूरा पौधा काम का होता है. इसके फूल का क्लेक्स खाया जाता है. वहीं पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है. साथ ही अचार भी बनाया जाता है. इस पौधे की खास बात ये है कि, विटामिन और मिनरल्स इसमें काफी प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं.
औषधीय महत्व का पौधा
अमरू का पौधा औषधीय महत्व का है. इसमें विटामिन और मिनरल्स काफी मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें मुख्य रूप से कई औषधीय गुण हैं, जो शरीर में एक्सेस वाटर फैट को निकालने का काम करता है. साथ ही जोड़ो के दर्द के अलावा भी कई बीमारियों में ये फायदेमंद होता है.
आसानी से कहीं भी उगने वाला पौधा
डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं, अमरू की खासियत ये है कि, यह पैधा कहीं भी उग सकता है. इसमें एस्कोर्बिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है. साथ ही मिनरल्स भी काफी मात्रा में होता हैं.
इस सीजन में करें खेती
अमरू की खेती के लिए ज्यादा ठंड नहीं होनी चाहिए. इसलिए इसकी बुवाई बरसात में की जाती हैं. इसमें बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है. सबसे अच्छी बात यह है कि, ये 3 से 4 महीने में तैयार हो जाता है.
बाड़ी बनाने के भी काम आ सकता हैं
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि, अमरू का यह पौधा बाड़ी बनाने के काम आ सकता है. खेत के चारों ओर लगाने से ये एक खूबसूरत बाड़ी का रूप ले सकता है. साथ ही इसका फायदा ये भी है कि, आवारा जानवरों के लिए ये खाने योग्य नहीं होता.
कैसे हो रहे किसान मालामाल!
अब इसको लेकर किसानों में जागरूकता भी आ रही है. कुछ किसान तो इसकी खेती भी कर रहे हैं. वहीं कुछ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां इसे खरीद रही हैं, जिससे काफी हद तक किसानों को मुनाफा हो रहा है. फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि, अमरू बंजर भूमि में भी उग जाता है. बहुत पहले इसका उपयोग खटाई के तौर पर किया जाता था, लेकिन आज के समय में इसका उपयोग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया जाता है. लगभग 100 से डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो के रेट पर इसे आसानी से खरीदा जाता है. फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ बताते हैं कि, अमरू की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इससे किसान मालामाल हो सकते हैं. बस उन्हें इसकी खेती और इसके महत्व को समझना होगा.