शहडोल। कोरोना वायरस ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है, जिसमें किसान भी शामिल हैं. कोरोना काल में किसानों ने बड़ी ही उम्मीद के साथ खेती शुरू की थी, लेकिन बारिश नहीं होने की वजह से किसान मुश्किल में नजर आ रहा है. किसान परेशान हैं कि क्या नर्सरी का ट्रांसप्लांट हो पाएगा या फिर नर्सरी खेत में ही बिना पानी ओवर एज हो जाएगी. किसानों का साफ कहना है कि पहले ही कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन से वो आर्थिक तंगी झेल रहे हैं और अब क्या इंद्रदेव भी इम्तिहान लेंगे. शहडोल जिले में बारिश तो समय से शुरू हुई और अभी भी बीच-बीच में होती रहती है, लेकिन थोड़ी बहुत ही बारिश होती है, जितनी बारिश की आवश्यकता किसानों को फसलों के लिए है, उतनी बारिश नहीं होती है. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं.
घने बदरा और फुहारों में बदली बारिश
आसमान में बादल तो छाए रहते हैं, लेकिन जब बारिश होती है तो वो फुहारों में बदल जाती है. आलम ये रहता है कि एक-दो दिन थोड़ी बहुत बारिश होती है और फिर दो-चार 10 दिन के लिए बदरा जैसे रूठ कर चले जाते हैं. इस तरह की बारिश किसानों के लिए बहुत ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर रही हैं.
चिंतित हुआ किसान
बदरा की बेरुखी से अब किसान चिंतित है क्योंकि अगस्त का महीना शुरु हो चुका है, एक दिन बाद ही रक्षाबंधन भी है और अभी तक धान की रोपाई नहीं हो पाई है, जबकि नर्सरी को सही समय पर ट्रांसप्लांट किया जाना चाहिए, लेकिन अब तक उस तरह की बारिश ही नहीं हुई है. जिससे किसानों की चिंता लगातार बढ़ रही है क्योंकि जितनी ज्यादा ओवरेज नर्सरी होंगी, फसल के उत्पादन पर भी उतना ज्यादा ही असर पड़ेगा.
जिले में प्रमुखता से होती है धान की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह कहते हैं, देखिए ऑन द रिकॉर्ड तो बारिश काफी हो चुकी है, किसी ब्लॉक में ज्यादा किसी ब्लॉक में कम. बारिश नहीं हो रही है ये कहना सही नहीं है. हां, चूंकि हमारे यहां सबसे ज्यादा रकबा धान का है, वो भी इसकी खेती हमारे यहां ट्रांसप्लांटिंग से करते हैं, धान की रोपाई करते हैं, उसके लिए खेत को मचाने की आवश्यकता होती है और मचाने लायक पानी कुछ इलाकों में अभी तक नहीं है.
इसलिए मुश्किल में किसान
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक जिले में धान का रकबा एक लाख 7 हजार हेक्टेयर के करीब है, इसमें 70% के आसपास रोपाई, बोवनी का काम हो चुका है. जिसमें 15 से 20 फीसदी सीधी बोवनी का एरिया है, बाकी में रोपाई होता है, मतलब नर्सरी ट्रांसप्लांट के जरिए. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो 70 परसेंट रोपाई का काम हो चुका है, 30 पर्सेंट बाकी है. जहां किसान लगे हैं, वो किसी तरह व्यवस्था करने में जुटे हैं.
मौसम विभाग की रिपोर्ट
एक ओर जहां किसान को धान की रोपाई के लिए तेज बारिश की जरूरत है, ऐसे में मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी कहते हैं कि शहडोल जिले को लेकर जो भारत मौसम विज्ञान केंद्र से अपडेट्स मिले हैं, उसके मुताबिक अगले 3 से 4 दिन में मध्यम से लेकर हल्की बारिश की संभावना जताई गई है, लेकिन जिस हिसाब से तेज बारिश की आवश्यकता है, उस तरह की बारिश का अनुमान अभी जो अपडेट्स हैं, उसमें तो बिल्कुल भी नहीं है, हल्की और मध्यम बारिश की संभावना जरूर है.
धान की फसल के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन इंद्रदेव का इस तरह से रूठना, मौसम बनने के बाद भी बारिश न होना, किसानों को चिंता में डाल रहा है क्योंकि अभी भी वर्षा पर आश्रित खेती करने वाले किसानों को बारिश का इंतजार है. आलम ये है कि ऐसे किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं और अगर रोपाई समय पर नहीं हुआ तो इसका प्रभाव फसल के उत्पादन पर भी पड़ेगा.