शहडोल। धरती का सीना चीरकर हर नागरिक के पेट की आग बुझाने का इंतजाम करने वाला किसान कितना मजबूर है. उसके कंधों पर आवाम का पेट भरने की जिम्मेदारी है, लेकिन उसके सहारे के लिए किसी का कंधा खाली ही नहीं है. शहडोल जिले के जमुनिहा टोला के लाचार किसान चैतू कोल को ईटीवी भारत ने अपने कंधे का सहारा दिया और 5 जुलाई को उनकी परेशानी को प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके दो दिन बाद ही 8 जुलाई को कलेक्टर ने किसान की हर समस्या का समाधान कर दिया.
65 साल के चैतू कोल के पास सवा एकड़ जमीन है, जिस पर खेती करके अपने परिवार का पेट भरते हैं. उनके पास खेती के आधुनिक संसाधन नहीं हैं, लिहाजा चैतू आज भी बैलों के सहारे ही खेती करते आ रहे हैं, गरीबी का आलम ये था कि एक अंधे बैल के सहारे खेती करने की मजबूरी थी, चैतू शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं फिर भी बैल को रास्ता दिखाने के लिए आगे रस्सी पकड़कर चलते थे और पीछे उनका बेटा हल संभालता था, तब जाकर खेत की जुताई हो पाती थी.
किसान की इस परेशानी पर ईटीवी भारत की नजर पड़ी तो हमारी टीम ने किसान के मुद्दे को प्रशासन की चौखट तक पहुंचाया, जिसके बाद प्रशासन खुद चलकर किसान की चौखट तक पहुंचा और किसान को बैल के अलावा जिन योजनाओं का लाभ मिल सकता था, उसके लिए आश्वस्त किया और 5 हजार रुपये नकद भी दिया. जिसके बाद किसान के चेहरे पर जो मुस्कान बिखरी उसे देखकर दिल को जो सुकून मिला, उसकी व्याख्या शब्दों में कर पाना मुश्किल है.