शहडोल। कुदरत भी कभी-कभी नाइंसाफी कर देता है. शहडोल जिले से 22 किलोमीटर दूर छाता गांव के रहने वाले एवन दास बैगा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. एवन दास बैगा कि शरीर की बनावट कुछ इस तरह है कि ना वो ठीक से बैठ पाते हैं और ना ही चल पाते हैं. उनका पूरा शरीर मुड़ा हुआ है. कुदरत के द्वारा की गई इस नाइंसाफी को भी एवन दास जिंदादिली तरीके से जीते हैं. एवन दास की बस एक ही ख्वाहिश है सरकारी नौकरी करना. उस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए एवन दास दिन रात एक कर रहे हैं.
दोस्त देते हैं हर वक्त साथ
25 साल के एवन दास बुढ़ार कॉलेज से बीए सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं. एवन दास के हाथ भले ही सीधे नहीं हैं, लेकिन अपने दोनों हाथ के इस्तेमाल से एवन दास लिखते हैं और पढाई करते हैं, इतना ही नहीं फोन भी इस्तेमाल करते हैं. एवन दास चल नहीं सकते तो क्या हुआ, उनके दोस्त बहुत काम आते हैं. हर वक्त एवन दास के साथ उनके दोस्त रहते हैं जो उन्हें गोद में उठाकर यहां से वहां ले जाते हैं, यहां तक कि कॉलेज भी अपने दोस्तों के सहारे ही जाते हैं.
सरकारी नौकरी है लक्ष्य
एवन दास बताते हैं कि बीच में वो कुछ साल के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने फिर से पढाई शुरू की है, क्योंकि वो सरकारी नौकरी करना चाहते हैं. एवन दास कहते हैं उनकी जिंदगी तभी खुशहाल रह पाएगी जब उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाएगी, इसी के लिए वो जमकर मेहनत भी कर रहे हैं.
काफी मश्क्कत के बाद मिली गाड़ी
एवन दास को अभी कुछ दिन पहले ही एक गाड़ी मिली है. जिसके लिए उनको काफी मशक्कत करनी पड़ी. एवन दास बताते हैं कि वो करीब डेढ़ साल से जिला मुख्यालय के चक्कर काट रहे थे.
एवन दास भले ही ठीक से चल नहीं सकते, बैठ नहीं पाते, लेकिन अपनी जिंदगी में रंग कैसे भरना है वो बखूबी जानते हैं. एवन कहते हैं कि कुदरत ने कुछ सोचकर ही उन्हें ऐसा बनाया है. उसके बारे में सोचकर समय खराब करने से क्या मतलब, जिंदगी मिली है तो वो उसे बिन्दास जीएंगे.