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शहडोल में मृतक नवजात के घर पहुंचा ETV भारत, परिवार ने सुनाई उस रात की आपबीती

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Published : Dec 5, 2020, 9:39 PM IST

Updated : Dec 5, 2020, 10:51 PM IST

शहडोल जिला चिकित्सालय में सिलसिलेवार तरीके से हो रही मौतों के बाद जहां एक ओर हड़कंप मचा हुआ है. वहीं पिछले दिनों मौत हुई जुड़वा बच्चों के घर ईटीवी भारत पहुंचा. जहां मृतक बच्चों के परिजनों से बात कर उनकी आपबीती जानी.

Kin of deceased twins
मृतक जुड़वा बच्चों के परिजन

शहडोल। जिला चिकित्सालय में सिलसिलेवार तरीके से हो रही मौतों के बाद जहां एक ओर हड़कंप मचा हुआ है. तो वहीं दूसरी ओर आज ईटीवी भारत वहां पहुंचा, जहां दो बच्चों की मौत हुई है. जहां एक तारीख से 4 तारीख के बीच में 2 बच्चों की मौत हुई है. जिन बच्चों की मौत हुई वे दोनों जुड़वा थे और दोनों 2 महीने के थे. उनमें से पहले 1 तारीख को बच्ची की मौत हुई. फिर 4 तारीख को एक बच्चे की मौत हुई. इनके पिता का नाम मथुरा प्रसाद बैगा है, ये कटकोना के रहने वाले हैं.

आखिर दोनों बच्चों की किस तरह से मौत हुई, क्या कुछ हुआ था किस तरह से इलाज हुआ. कहां-कहां गए और परिजनों का क्या कहना है. इन सारे सवालों के जवाब ईटीवी भारत ने परिजनों से ही जानें. जिन्होंने कई खुलासे किए. ईटीवी भारत ने उन बच्चों के दादाजी रामप्रसाद बैगा से बात की. जहां उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से बताया कि आखिर इन तीन-चार दिनों में उनके परिवार के साथ क्या कुछ घटा.

मृतक बच्चों घर पहुंचे ETV भारत

परिजन से जानें आख़िर 1 से 4 तारीख के बीच में क्या कुछ हुआ ?

रामप्रसाद बैगा ने बताया कि 1 दिसंबर को करीब 10 से 11 बजे के लगभग बच्ची की अचानक से तबीयत बिगड़ी और 108 एंबुलेंस के जरिए सीधे वे लोग जिला चिकित्सालय लेकर गए. बच्ची अचानक से रोने लगी थी, जब अस्पताल पहुंचे तो वहां तुरंत उसे एडमिट किया गया. लेकिन इलाज के दौरान ही 15 से 20 मिनट के अंदर उसे मृत घोषित कर दिया गया. उन्होंने बताया कि साथ में दूसरे जुड़वा बच्चे को भी लेकर गए थे. क्योंकि दोनों जुड़वा थे और वह भी वहीं एडमिट था. इलाज के दौरान जो जुड़वा बच्चा जो उस लड़की का भाई था, वह बिल्कुल स्वस्थ था और डॉक्टर ने भी उसे स्वस्थ घोषित किया था कि इसे कोई दिक्कत नहीं है.

पढ़ें:Child Killer Hospital: 48 घंटे में फिर चार बच्चों की मौत, एक प्री मेच्योर भी शामिल

बच्चे की अचानक बिगड़ने लगी तबियत

वहीं जिस 2 महीने की बच्ची की मौत हुई, उसे डॉक्टरों ने निमोनिया बताया. इसके बाद ये लोग घर आ गए. लेकिन अचानक 3 तारीख को 9:30 से 10 बजे के बीच 2 महीने का वह मासूम दूध की उल्टी करने लगा. गले में अजीब सी आवाज आने लगी. लिहाजा परिवार वाले डर गए थे. उन्होंने कहा कि दो दिन पहले उसी जिला अस्पताल में बच्ची की मौत हुई थी, इसलिए वे बच्चे को प्राइवेट अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टर ने उसको हल्का निमोनिया होने का शक बताया. एडमिट करने के 3 घंटे बाद डॉक्टरों ने उसे गंभीर हालत में बताना शुरू कर दिया.

11 बजे किया एडमिट शाम 4 बजे घर ले जाने कहा

रामप्रसाद ने बताया कि 3 तारीख की रात उन लोगों ने बमुश्किल काटी. डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की हालत बहुत गंभीर है, इसे जबलपुर ले जाओ. इसके बाद उन्होंने वेंटिलेटर ना होने की बात कहकर जिला अस्पताल ले जाने को कहा. जिला चिकित्सालय में जाते ही पता चला कि बच्चे की हालत गंभीर है, 99% कोई चांस नहीं है. ऐसा करके उन्होंने उसे एडमिट किया और वहां इलाज शुरू किया. उन्होंने बताया कि करीब 11 बजे उन्होंने बच्चे को एडमिट किया था और शाम को 4 बजे उनसे कहा गया कि बच्चे को घर ले जाइए.

पढ़ें:शहडोल जिला अस्पताल का निरीक्षण कर बोले कलेक्टर, कहा- प्रीमेच्योर बच्चे की डेथ से केवल डेथ नंबर ही काउंट होगा

प्राइवेट अस्पताल में हुई लापरवाही

लापरवाही को लेकर उन 2 बच्चों के दादा रामप्रसाद बैगा बताते हैं की जिला अस्पताल में तो वो यह नहीं समझते कि किसी तरह की लापरवाही हुई. क्योंकि वहां जाते ही उसका इलाज शुरू कर दिया गया था. उसे वेंटिलेटर पर रख दिया गया था और वह लोग पहले ही बता चुके थे कि काफी क्रिटिकल कंडीशन पर है. बचने के कम चांस हैं, लेकिन प्रयास करेंगे. रामप्रसाद का मानना है कि प्राइवेट अस्पताल में कहीं न कहीं लापरवाही हुई है. क्योंकि वे उन्हें केवल आश्वासन ही देते रह गए. अगर सही जानकारी दी जाती तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी.

गौरतलब है कि 13 जनवरी साल 2019 को उसी घर में एक 4 महीने के लड़के की भी मौत हुई थी. तब उस बच्चे का इलाज एक प्राइवेट क्लीनिक में चल रहा था. लेकिन जब अचानक से तबीयत बिगड़ी तो वह लोग अस्पताल तक नहीं पहुंच सके और वह मर गया. वहीं मैदानी अमले के बारे में परिजन बताते हैं कि वहां से कोई दिक्कत नहीं हुई है. वहां के लोग संपर्क में थे, जो भी आहार मिलता है सरकार की ओर से वो लगातार मिल रहा था. इसके अलावा उनके अमले के कर्मचारी भी अक्सर आते रहते थे और वह यही कहते थे कि अगर कोई जरूरत हो कहीं एडमिट कराना है तो हम करा देंगे.

शहडोल। जिला चिकित्सालय में सिलसिलेवार तरीके से हो रही मौतों के बाद जहां एक ओर हड़कंप मचा हुआ है. तो वहीं दूसरी ओर आज ईटीवी भारत वहां पहुंचा, जहां दो बच्चों की मौत हुई है. जहां एक तारीख से 4 तारीख के बीच में 2 बच्चों की मौत हुई है. जिन बच्चों की मौत हुई वे दोनों जुड़वा थे और दोनों 2 महीने के थे. उनमें से पहले 1 तारीख को बच्ची की मौत हुई. फिर 4 तारीख को एक बच्चे की मौत हुई. इनके पिता का नाम मथुरा प्रसाद बैगा है, ये कटकोना के रहने वाले हैं.

आखिर दोनों बच्चों की किस तरह से मौत हुई, क्या कुछ हुआ था किस तरह से इलाज हुआ. कहां-कहां गए और परिजनों का क्या कहना है. इन सारे सवालों के जवाब ईटीवी भारत ने परिजनों से ही जानें. जिन्होंने कई खुलासे किए. ईटीवी भारत ने उन बच्चों के दादाजी रामप्रसाद बैगा से बात की. जहां उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से बताया कि आखिर इन तीन-चार दिनों में उनके परिवार के साथ क्या कुछ घटा.

मृतक बच्चों घर पहुंचे ETV भारत

परिजन से जानें आख़िर 1 से 4 तारीख के बीच में क्या कुछ हुआ ?

रामप्रसाद बैगा ने बताया कि 1 दिसंबर को करीब 10 से 11 बजे के लगभग बच्ची की अचानक से तबीयत बिगड़ी और 108 एंबुलेंस के जरिए सीधे वे लोग जिला चिकित्सालय लेकर गए. बच्ची अचानक से रोने लगी थी, जब अस्पताल पहुंचे तो वहां तुरंत उसे एडमिट किया गया. लेकिन इलाज के दौरान ही 15 से 20 मिनट के अंदर उसे मृत घोषित कर दिया गया. उन्होंने बताया कि साथ में दूसरे जुड़वा बच्चे को भी लेकर गए थे. क्योंकि दोनों जुड़वा थे और वह भी वहीं एडमिट था. इलाज के दौरान जो जुड़वा बच्चा जो उस लड़की का भाई था, वह बिल्कुल स्वस्थ था और डॉक्टर ने भी उसे स्वस्थ घोषित किया था कि इसे कोई दिक्कत नहीं है.

पढ़ें:Child Killer Hospital: 48 घंटे में फिर चार बच्चों की मौत, एक प्री मेच्योर भी शामिल

बच्चे की अचानक बिगड़ने लगी तबियत

वहीं जिस 2 महीने की बच्ची की मौत हुई, उसे डॉक्टरों ने निमोनिया बताया. इसके बाद ये लोग घर आ गए. लेकिन अचानक 3 तारीख को 9:30 से 10 बजे के बीच 2 महीने का वह मासूम दूध की उल्टी करने लगा. गले में अजीब सी आवाज आने लगी. लिहाजा परिवार वाले डर गए थे. उन्होंने कहा कि दो दिन पहले उसी जिला अस्पताल में बच्ची की मौत हुई थी, इसलिए वे बच्चे को प्राइवेट अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टर ने उसको हल्का निमोनिया होने का शक बताया. एडमिट करने के 3 घंटे बाद डॉक्टरों ने उसे गंभीर हालत में बताना शुरू कर दिया.

11 बजे किया एडमिट शाम 4 बजे घर ले जाने कहा

रामप्रसाद ने बताया कि 3 तारीख की रात उन लोगों ने बमुश्किल काटी. डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की हालत बहुत गंभीर है, इसे जबलपुर ले जाओ. इसके बाद उन्होंने वेंटिलेटर ना होने की बात कहकर जिला अस्पताल ले जाने को कहा. जिला चिकित्सालय में जाते ही पता चला कि बच्चे की हालत गंभीर है, 99% कोई चांस नहीं है. ऐसा करके उन्होंने उसे एडमिट किया और वहां इलाज शुरू किया. उन्होंने बताया कि करीब 11 बजे उन्होंने बच्चे को एडमिट किया था और शाम को 4 बजे उनसे कहा गया कि बच्चे को घर ले जाइए.

पढ़ें:शहडोल जिला अस्पताल का निरीक्षण कर बोले कलेक्टर, कहा- प्रीमेच्योर बच्चे की डेथ से केवल डेथ नंबर ही काउंट होगा

प्राइवेट अस्पताल में हुई लापरवाही

लापरवाही को लेकर उन 2 बच्चों के दादा रामप्रसाद बैगा बताते हैं की जिला अस्पताल में तो वो यह नहीं समझते कि किसी तरह की लापरवाही हुई. क्योंकि वहां जाते ही उसका इलाज शुरू कर दिया गया था. उसे वेंटिलेटर पर रख दिया गया था और वह लोग पहले ही बता चुके थे कि काफी क्रिटिकल कंडीशन पर है. बचने के कम चांस हैं, लेकिन प्रयास करेंगे. रामप्रसाद का मानना है कि प्राइवेट अस्पताल में कहीं न कहीं लापरवाही हुई है. क्योंकि वे उन्हें केवल आश्वासन ही देते रह गए. अगर सही जानकारी दी जाती तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी.

गौरतलब है कि 13 जनवरी साल 2019 को उसी घर में एक 4 महीने के लड़के की भी मौत हुई थी. तब उस बच्चे का इलाज एक प्राइवेट क्लीनिक में चल रहा था. लेकिन जब अचानक से तबीयत बिगड़ी तो वह लोग अस्पताल तक नहीं पहुंच सके और वह मर गया. वहीं मैदानी अमले के बारे में परिजन बताते हैं कि वहां से कोई दिक्कत नहीं हुई है. वहां के लोग संपर्क में थे, जो भी आहार मिलता है सरकार की ओर से वो लगातार मिल रहा था. इसके अलावा उनके अमले के कर्मचारी भी अक्सर आते रहते थे और वह यही कहते थे कि अगर कोई जरूरत हो कहीं एडमिट कराना है तो हम करा देंगे.

Last Updated : Dec 5, 2020, 10:51 PM IST
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