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थम सकते हैं जिंदगी के पहिए, डीजल-पेट्रोल के दाम का हर वर्ग पर हो रहा बड़ा असर

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में गिरावट के बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है. एक ओर लॉकडाउन में काम बंद होने से लोगों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाई हुई है. तो दूसरी ओर अब पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ना लोगों पर भारी पढ़ रहा है.

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डीजल-पेट्रोल के दाम का असर
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Published : Jun 27, 2020, 1:55 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 3:53 PM IST

शहडोल। इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में पहिए शख्स को आगे पहुंचाने का एक अहम जरिया बन चुके हैं. चाहे कोई जल्द से जल्द सामान का आयात-निर्यात हो या खुद किसी आपातकालीन स्थिति में यहां से वहां जाना हो, गाड़ी बड़ी मददगार साबित होती है. लेकिन बिना पेट्रोल-डीजल के इन गाड़ियों को चलाना भी तो संभव नहीं है. लॉकडाउन के दौरान सभी आवाजाही पर रोक थी, अब अनलॉक तो हुआ है लेकिन अब भी पहिए थमे हुए हैं. लॉकडाउन ने पहले ही आर्थिक मार दी, उसके बाद अब रोजाना पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की जेब पर ऐसा असर डाला है कि उसकी रोजमर्रा की जिंदगी ही नहीं बल्कि मासिक बजट पर भी असर पड़ रहा है. अगर वक्त रहते ये दाम काबू में नही आए तो समाज का हर तबका महंगे पेट्रोल-डीजल की मार झेलने को मजबूर होगा.

डीजल-पेट्रोल के दाम का असर
पेट्रोल-डीजल के दाम में लगी आग


पेट्रोल-डीजल के दाम इन दिनों रोजाना बढ़ रहे हैं. आलम ये है कि शहड़ोल में पेट्रोल 89.66 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. वहीं डीजल भी 81.37 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. बता दें, पिछले 15 दिनों में डीजल के दामों में काफी तेजी से उछाल आया है जो कि अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़ रहे हैं कि अब इन दोनों के दामों ज्यादा अंतर ही नहीं बचा है.


पहले लॉकडाउन अब पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी


पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को लेकर लोग परेशान हैं. लोगों का कहना है कि पहले ही उनके पास कोरोनाकाल में लॉकडाउन की वजह से पैसे नहीं है और अब जब धीरे-धीरे जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, तो इस तरह की मार पड़ रही है. वहीं प्राइवेट कंपनी में कामकाजी लोगों का कहना है कि सैलरी में पहले ही कटौती हो चुकी है और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बजट पर असर पड़ने लगा है.
टैक्सी चालक कहते हैं कि डीजल के दाम बढ़ने से मुश्किल हो रही है. पहले ही कोरोनाकाल की वजह से कम सवारी बिठाना है, गाड़ी में भी सोशल डिस्टेंस मेनटेन करना है. ऊपर से डीजल इतना महंगा. अब तो सड़कों पर गाड़ी दौड़ाना मुश्किल साबित हो रहा है, जिसका असर हमारी रोजी-रोटी पर भी होगा.

ठगा सा महसूस हो रहा


प्रकाश द्विवेदी युवा व्यवसायी हैं. वो कहते हैं कि डीजल के दाम और पेट्रोल के दाम में अब बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. उन्होंने डीजल गाड़ी खरीदी थी कि ईंधन पेट्रोल से सस्ता पड़ेगा लेकिन यहां तो अब पेट्रोल और डीजल के दाम में ज्यादा फर्क ही नहीं है, अब तो ठगा सा महसूस हो रहा है.



डीजल बढ़ा महंगाई और बढ़ेगी


व्यापारी कहते हैं कि डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का चार्ज बढ़ेगा, क्योंकि हर सामान तो बाहर से ही आता है लोकल तो कुछ है नहीं. चाहे फिर किसी भी समान की बात करें यहां तक कि सब्जियां भी बाहर से आती है और वो सब ट्रक या फिर दूसरे वाहन से आते हैं. जिसमें डीजल तो लगेगा ही. ऐसे में इस डीजल के बढ़े दाम का असर ट्रांसपोर्ट में होगा. ट्रांसपोर्ट चार्ज बढे़गा तो फिर सामान के दाम भी बढ़ेंगे और दाम बढ़ेंगे तो महंगाई बढ़ेगी और महंगाई बढ़ेगी तो इसका असर आम इंसान के जेब पर पड़ेगा.

खेती की लागत बढ़ जाएगी


किसान पहले ही लॉकडाउन और कोरोना काल कि वजह से परेशान है. इस साल उसकी फसलों पर लगातार प्राकृतिक आपदा भी बहुत ज्यादा आई है. हर सीजन में हर तरह की फसलों का नुकसान हुआ है. अब खरीफ के सीजन की खेती शुरू है, किसान ज्यादातर खेती ट्रैक्टर, जैसे संसाधनों से करता है. ऐसे में डीजल के दाम बढ़ने से किसान के खेती की लागत बढ़ जाएगी क्योंकि डीजल के दाम बढ़ने से अब बीज-खाद से लेकर हर कुछ महंगा पड़ेगा. उसकी ढुलाई महंगी होगी. खेतों में उपयोग होने वाले संसाधनों में डीजल लगेगा. मतलब साफ है कि किसान पर भी इसकी आर्थिक मार पड़ने वाली है.

गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल के दाम ने आम आदमी के जेब पर बड़ा असर किया है. डीजल के बढ़ते दाम ने तो हर वर्ग की जेब ढीली कर दी है. कोरोना काल में पहले ही आम इंसान टूट चुका है और अब पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने लोगों को परेशान कर दिया है.

शहडोल। इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में पहिए शख्स को आगे पहुंचाने का एक अहम जरिया बन चुके हैं. चाहे कोई जल्द से जल्द सामान का आयात-निर्यात हो या खुद किसी आपातकालीन स्थिति में यहां से वहां जाना हो, गाड़ी बड़ी मददगार साबित होती है. लेकिन बिना पेट्रोल-डीजल के इन गाड़ियों को चलाना भी तो संभव नहीं है. लॉकडाउन के दौरान सभी आवाजाही पर रोक थी, अब अनलॉक तो हुआ है लेकिन अब भी पहिए थमे हुए हैं. लॉकडाउन ने पहले ही आर्थिक मार दी, उसके बाद अब रोजाना पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की जेब पर ऐसा असर डाला है कि उसकी रोजमर्रा की जिंदगी ही नहीं बल्कि मासिक बजट पर भी असर पड़ रहा है. अगर वक्त रहते ये दाम काबू में नही आए तो समाज का हर तबका महंगे पेट्रोल-डीजल की मार झेलने को मजबूर होगा.

डीजल-पेट्रोल के दाम का असर
पेट्रोल-डीजल के दाम में लगी आग


पेट्रोल-डीजल के दाम इन दिनों रोजाना बढ़ रहे हैं. आलम ये है कि शहड़ोल में पेट्रोल 89.66 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. वहीं डीजल भी 81.37 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. बता दें, पिछले 15 दिनों में डीजल के दामों में काफी तेजी से उछाल आया है जो कि अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़ रहे हैं कि अब इन दोनों के दामों ज्यादा अंतर ही नहीं बचा है.


पहले लॉकडाउन अब पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी


पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को लेकर लोग परेशान हैं. लोगों का कहना है कि पहले ही उनके पास कोरोनाकाल में लॉकडाउन की वजह से पैसे नहीं है और अब जब धीरे-धीरे जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, तो इस तरह की मार पड़ रही है. वहीं प्राइवेट कंपनी में कामकाजी लोगों का कहना है कि सैलरी में पहले ही कटौती हो चुकी है और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बजट पर असर पड़ने लगा है.
टैक्सी चालक कहते हैं कि डीजल के दाम बढ़ने से मुश्किल हो रही है. पहले ही कोरोनाकाल की वजह से कम सवारी बिठाना है, गाड़ी में भी सोशल डिस्टेंस मेनटेन करना है. ऊपर से डीजल इतना महंगा. अब तो सड़कों पर गाड़ी दौड़ाना मुश्किल साबित हो रहा है, जिसका असर हमारी रोजी-रोटी पर भी होगा.

ठगा सा महसूस हो रहा


प्रकाश द्विवेदी युवा व्यवसायी हैं. वो कहते हैं कि डीजल के दाम और पेट्रोल के दाम में अब बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. उन्होंने डीजल गाड़ी खरीदी थी कि ईंधन पेट्रोल से सस्ता पड़ेगा लेकिन यहां तो अब पेट्रोल और डीजल के दाम में ज्यादा फर्क ही नहीं है, अब तो ठगा सा महसूस हो रहा है.



डीजल बढ़ा महंगाई और बढ़ेगी


व्यापारी कहते हैं कि डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का चार्ज बढ़ेगा, क्योंकि हर सामान तो बाहर से ही आता है लोकल तो कुछ है नहीं. चाहे फिर किसी भी समान की बात करें यहां तक कि सब्जियां भी बाहर से आती है और वो सब ट्रक या फिर दूसरे वाहन से आते हैं. जिसमें डीजल तो लगेगा ही. ऐसे में इस डीजल के बढ़े दाम का असर ट्रांसपोर्ट में होगा. ट्रांसपोर्ट चार्ज बढे़गा तो फिर सामान के दाम भी बढ़ेंगे और दाम बढ़ेंगे तो महंगाई बढ़ेगी और महंगाई बढ़ेगी तो इसका असर आम इंसान के जेब पर पड़ेगा.

खेती की लागत बढ़ जाएगी


किसान पहले ही लॉकडाउन और कोरोना काल कि वजह से परेशान है. इस साल उसकी फसलों पर लगातार प्राकृतिक आपदा भी बहुत ज्यादा आई है. हर सीजन में हर तरह की फसलों का नुकसान हुआ है. अब खरीफ के सीजन की खेती शुरू है, किसान ज्यादातर खेती ट्रैक्टर, जैसे संसाधनों से करता है. ऐसे में डीजल के दाम बढ़ने से किसान के खेती की लागत बढ़ जाएगी क्योंकि डीजल के दाम बढ़ने से अब बीज-खाद से लेकर हर कुछ महंगा पड़ेगा. उसकी ढुलाई महंगी होगी. खेतों में उपयोग होने वाले संसाधनों में डीजल लगेगा. मतलब साफ है कि किसान पर भी इसकी आर्थिक मार पड़ने वाली है.

गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल के दाम ने आम आदमी के जेब पर बड़ा असर किया है. डीजल के बढ़ते दाम ने तो हर वर्ग की जेब ढीली कर दी है. कोरोना काल में पहले ही आम इंसान टूट चुका है और अब पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने लोगों को परेशान कर दिया है.

Last Updated : Jun 27, 2020, 3:53 PM IST
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