शहडोल। कोरोना काल ने हर वर्ग को प्रभावित किया है, जिसमें दिव्यांग वर्ग भी बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है. जिस हॉस्टल में दिव्यांग छात्र रहते थे, पढ़ाई करते थे, स्पेशल टीचर उन्हें स्पेशल तरीके से पढ़ाते थे, हर दिन दिव्यांग छात्र अलग-अलग एक्टिविटी सीखते थे, लेकिन अफसोस इस कोरोना काल में उस छात्रावास में सन्नाटा पसरा हुआ है. लॉकडाउन होने के बाद हॉस्टल प्रबंधन ने बच्चों को उनके घर भेज दिया है.
ऐसे बच्चों का हो रहा नुकसान
सीडब्ल्यूएसएन दिव्यांग छात्रावास को प्रेरणा फाउंडेशन संचालित करता है और इसकी राशि जिला शिक्षा केन्द्र जारी करता है. प्रेरणा फाउंडेशन की सचिव एवं हॉस्टल के संचालन की देखरेख करने वाली मधु श्री रॉय बताती हैं कि, लॉकडाउन के शुरू होने के दो दिन पहले ही बच्चों को छुट्टी देकर उनके घर भेज दिया गया था. तब से वो अपने घरों पर हैं और उनकी कोई पढ़ाई नहीं हो पा रही है.
मधु श्री रॉय कहती हैं कि, यहां उन बच्चों के लिए स्पेशल टीचर की व्यवस्था है. संभाग में स्पेशल स्कूल की व्यवस्था नहीं है, तो वो नॉर्मल स्कूल में ही पढ़ाई करने के लिए जाते थे, लेकिन हॉस्टल में स्पेशल टीचर की व्यवस्था पूरे टाइम बनी रहती है और स्पेशल टीचर के माध्यम से अलग-अलग बच्चों को अलग-अलग तरह से कोर्स कवर कराया जाता था. उन्हें हर एक्टिविटी के लिए तैयार किया जाता था. जिसका फायदा उनको जीवनकाल में मिलता था.
बाकी के लिए ऑनलाइन व्यवस्था, इनके लिए क्या ?
मधु श्री रॉय बताती हैं कि, इन बच्चों के साथ ऑनलाइन क्लास कैसे करेंगे, एक तो ये गरीब घरों के बच्चे हैं, इनके घरों में मोबाइल भी नहीं है. इतना ही नहीं ये बहुत कम तादाद में हैं, जैसे किसी एक गांव में एक, तो इनके लिए अलग से ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था भी नहीं हो सकती. मधु श्री रॉय कहती हैं कि, ऐसे स्पेशल बच्चों की ऑनलाइन क्लास करानी है तो पंचायतों में व्यवस्था की जानी चाहिए. ऑनलाइन से अगर स्पेशल टीचर पढ़ाएं, तो व्यवस्था बन सकती है, जो बोलते- सुनते नहीं हैं, जब स्पेशल टीचर पढ़ाएंगे, तो देख के सीख सकते हैं और जो देखते नहीं हैं, सुन के पढ़ाई कर सकते हैं. कम से कम रेगुलरिटी तो बनी रहेगी.
कोरोना काल में दिव्यांगों का कितना नुकसान
मधु श्री रॉय दिव्यांगों के लिए उनकी शिक्षा, रोजगार के लिए अलग-अलग तरीके से उनसे जुड़ी रहती हैं. वो बताती हैं कि, कोरोना काल ने दिव्यागों का बहुत नुकसान किया है. बच्चे जो पढ़ाई कर रहे हैं, उनका नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही कुछ न कुछ काम कर रहे थे, अपने निजीकाम कर रहे थे, कुछ हाथ से बना रहे थे, अगरबत्ती, मोमबत्ती बना रहे थे, मिट्टी के आइटम बना रहे थे, अब उनके साथ तो ये स्थिति हो गई है कि, सरकार भी कहती है कि दिव्यांगजन बाहर न निकलें और वो खुद भी नहीं निकल पाते.
गौरतलब है कि, इस कोरोना काल ने ऐसे दिव्यांग बच्चों का भी बहुत ज्यादा नुकसान किया है, जो गरीब बच्चे कहीं ना कहीं से हॉस्टल में रहकर शिक्षा दीक्षा हासिल कर रहे थे. स्पेशल एजुकेटर से पढ़ाई कर रहे थे. अब अपने घरों में बैठे हुए हैं, जहां उन्हें किसी भी तरह की कोई शिक्षा नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा जो थोड़ा बहुत काम कर लेते थे, सेल्फ मेड कुछ सामान बना लेते थे और उसे बाजार में बेच लेते थे. अब वो सब भी बंद हो चुका है. मतलब साफ है, इस कोरोना काल ने दिव्यांगों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है.