शहडोल। प्रदेश के साथ-साथ जिले में बारिश का दौर जारी है, हर साल की तरह जिले में इस बार भी धान मक्का उड़द तिल की खेती प्रमुखता से की गई है. हलांकि जिले में धान की फसल तो सबसे ज्यादा रकबे में की जाती है. वहीं दूसरी सबसे बड़ी फसल की जगह में इस बार जिले में मक्के को तरजीह दी गई है, उसका रकबा भी बढ़ा है. इन फसलों में कई तरह के रोग भी लगते हैं, जिससे किसान परेशान हो जाता है, किसान की इसी समस्या के निदान के लिए हमने बात की कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह से, जिन्होंने बताया किस तरह से इन फसलों को रोगों से सूरक्षित रखा जा सकता है.
खाद को छिड़काव का सही समय
हमेशा ये देखा जाता है कि, किसान को खाद छिड़काव की जानकारी नहीं होती, तो वो गलत समय में खाद डाल देता है, इस लिए कई बार किसान को घाटा भी सहना पड़ता है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह ने बताया की, अगर धान की रोपाई हो चुकी है और उसे करीब- करीब 15 से 20 दिन हो चुके हों, तो उसमें 25 किलो बीजीए डाले जो एक बोरी यूरिया का काम करता है. मृगेंद सिंह ने कहा कि, अगर बीजीए नहीं है, तो 25 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसान टॉप ड्रेसिंग कर सकते हैं.
धान के इस रोग से सावधान
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह के मुताबिक धान की फसल में कहीं कहीं ब्लास्ट रोग दिख रहा है, जिसे झुलसा रोग भी कहते हैं, इस रोग के लिए ट्राईसाईक्लाजोल 0.6 एमएल पर लीटर के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है. धान में एक और बिमारी कीट के रूप में आती है, जिसे तना छेदक कहते हैं, इसके लिए बाजार में कई दानेदार दवाएं हैं, किसान इसका उपयोग कर सकते हैं. हलांकि इससे पहले जानकारों की सलाह जरूर लेना चाहिए.
मक्के की फसल में 'फॉल ऑफ आर्मी वर्म' का प्रकोप
जिले में इस बार सोयाबीन की फसल की जगह मक्के का रकबा बढ़ा है, लेकिन मक्के की फसल में भी फॉल ऑफ आर्मी वर्म का कुछ प्रकोप देखने को मिला है, जिससे किसान थोड़ा परेशान हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह ने बताया कि, इससे बचाव के लिए किसान इमा बेंजोएट का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा इससे बचाव के लिए देशी तरीके भी अपना सकते हैं, जैसे दानेदार बालू को मक्के की पोंगड़ी में डालना या गुड़ के घोल में चावल और इंसेक्टिसाइड मिलाकर मक्के की पोंगड़ी में डालना आदि.
'फॉल ऑफ आर्मी वर्म' की पहचान
'फॉल ऑफ आर्मी वर्म' या फौजी कीट को पहचानने के लिए यह जान लें की, ये कीट मक्के के पत्तों को काटता है और पोंगड़ी में घुस जाता है. अगर मक्के की फसल के पत्ते को कोई काट रहा है, तो आप उसके पोंगड़ी को खोल कर देखेंगे तो उसमें कीट मिलेगा, जो फॉल आर्मी वर्म कहलाता है, यह काफी तेजी से फैलता है. इसलिए समय से इसका निदान जरूरी है.
तिलहन किसान रखें विशेष ध्यान
कृषि वैज्ञानिक डॉ सिंह ने तिलहन किसानों को सलाह दिया है कि, खेत में पानी का जमाव ना होने दें. किसान ध्यान दे कि, फसल में पानी रूके ना, पानी निकलता रहे, नहीं तो दलहनी फसलें जैसे उड़द, मूंग, अरहर को नुकसान हो सकता है. जिले में कुछ जगह फसल फूल की अवस्था में आ गया है, रस चूसक कीट की भी समस्या फसल में आ सकती है, इसके लिए भी किसान सावधान रहें और समय-समय पर दवा का छिड़काव करें.
अच्छी बारिश की उम्मीद
जिले में इस साल अच्छी बारिश हो रही है. जिले में 24 अगस्त 2020 तक औसत 747.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जिसमें सोहागपुर में 734.0 मिलीमीटर, बुढार में 685.5 मिलीमीटर, गोहपारू में 812.0 मिलीमीटर, जयपुर में 1033.0 मिलीमीटर, ब्यौहारी में 719.0 मिलीमीटर और जयसिंह नगर में 520.5 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो जिले में आगे और बारिश की संभावना बनी हुई है.