शहडोल। शहडोल में अचानक मौसम में आए बदलाव की वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. ठंड ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया है. जिस तरह से अचानक तापमान में गिरावट दर्ज की गई है, उसके बाद लोगों का हाल बेहाल है. जिस तरह से अचानक पारा बहुत ज्यादा लुढ़का है, उसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि ज्यादा तापमान गिरने से किसानों की फसलों पर पाला पड़ेगा जिससे फसल खराब होने की संभावना है.
जारी है ठंड का कहर
इन दिनों ठंड का कहर जारी है, अचानक पारा गिरने से लोगों का हाल बेहाल है. सुबह उठते ही घास में ओस की परतें जमी हुई मिलती है. मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों के तापमान पर नजर डाली जाए तो 18 दिसंबर को जिले के कल्याणपुर केंद्र में मैक्सिमम 28 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान रहा तो न्यूनतम 8.7 डिग्री सेंटीग्रेड, 19 दिसंबर को मिनिमम 0.8 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान रहा, और अधिकतम 22.7 तो वही 20 तारीख को मिनिमम 0.2 डिग्री सेंटीग्रेड पारा रहा, और मैक्सिमम 21.9 डिग्री सेंटीग्रेट, तापमान रहा, 21 दिसंबर को न्यूनतम 0.9 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान रहा.
Frost and Cold : बचाना है अपनी फसल को शीतलहर और पाले से, करें ये तैयारी और उपाय
जिस तरह से लगातार तापमान लुढ़क रहा है और शीतलहर की चेतावनी जारी की जा रही है. उसके बाद से न केवल आम लोग चिंतित है, क्योंकि इस ठंड के कोहराम ने लोगों को हाल बेहाल कर दिया है. तो वहीं किसानों की चिंता और बढ़ गई है, क्योंकि अगर लगातार तापमान इसी तरह गिरता रहा तो किसानों की फसलों पर पाला पड़ने की आशंका है और किसानों की मेहनत बर्बाद हो सकती है.
सब्जी की फसल को हो रहा नुकसान
शहडोल के कल्याणपुर में लगातार पारा गिर रहा है, 0.2 तक यहां का तापमान लुढ़का है. कल्याणपुर में सब्जी की खेती करने वाले किसान खूबचंद बताते हैं कि उन्होंने मौजूदा साल लगभग 14 से 15 एकड़ जमीन पर सब्जी की फसल लगाई है. जिसमें ठंड में नुकसान होने वाली जो सब्जी की फसल है, वह लगभग 5 एकड़ में लगी हुई है. बैगन, मिर्च, सेम और टमाटर जैसी फसलों पर ठंड का ज्यादा असर होता है जिससे कि नुकसान की संभावना भी ज्यादा होती है. किसान खूबचंद कहते हैं कि उनकी करीब 30 से 35 प्रतिशत फसल पाले से नष्ट हो चुकी है और अगर इसी तरह तापमान गिरता रहा तो और फसल नष्ट हो सकती है जिस वजह से किसान बहुत चिंतित हैं.
पाला से फसलों को ऐसे बचाएं
अचानक पारा लुढ़कने की वजह से फसल बर्बाद हो रही है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं की रबी सीजन की फसलों के लिए ठंड की भी आवश्यकता होती है. क्योंकि ठंड पड़ने से फसल में कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप कम होगा, साथ ही गेहूं मटर जैसी फसलों में फ्लावरिंग इन्हेन्स होगी. आप देखोगे कि पिछले साल ठंड इतनी ज्यादा नहीं पड़ी तो गेहूं की फसल दाने पतले और कमजोर हो गए, इसलिए फसल के लिए ठंड की भी आवश्यकता है. चूंकि मौसम ने अचानक से करवट बदली है और टेंपरेचर बहुत ज्यादा डाउन हुआ है. ऐसे में किसानों को सजग रहकर फसलों की देखरेख करनी पड़ेगी. जब मौसम साफ रहता है और हवा चलती है, अचानक से टेंपरेचर 5 डिग्री से नीचे गिर जाता है और पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. पाला हमेशा ऊंचाई वाले क्षेत्र में नहीं पड़ता, बल्कि नीचे के क्षेत्र में भी पड़ता है.
पाला क्या है? जानें
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं, जब पत्तियों पर ओस गिरता और टेंपरेचर डाउन होता है तो वह पत्तियों में ही जम जाता है और नुकसान पहुंचाता है. पत्तियां ऐसी दिखने लगती हैं मानों वो आग से झुलस गई हों, कई जगहों पर तो फूल और फल भी झड़ने की संभावना बन जाती है. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि अगर लगातार तापमान गिर रहा है तो फसलों को पाले से बचाने के लिए खेत में हल्की सिंचाई करें. जिससे भूमि एवं फसलों में सूक्ष्म वातावरण का तापमान बढ़ सके. खेत के चारों ओर मेढ़ पर भोर में 3 से 4 बजे के बीच धुआं करें और घुलनशील सल्फर 30 ग्राम प्लस बोरेक्स 10 ग्राम प्लस, थायो यूरिया 30 ग्राम प्रति पंप शाम के समय छिड़काव करें. अथवा साइकोसिस 40ml प्रति पंप (400ml) प्रति एकड़ घोल का छिड़काव करें.
MP में शीतलहर और पाला से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका
जिस तरह से अचानक से तापमान लगातार जिले में गिर रहा है उसके बाद से लोगों का आम जनजीवन अस्त व्यस्त तो हो ही गया है क्योंकि अभी इतनी तेज ठंड नहीं पड़ रही थी, लेकिन अचानक ही जब ठंड पड़नी शुरू हुई तो पारा 0 डिग्री पर पहुंच गया है ऐसे में लोग इस बदले मौसम में ढल नहीं पा रहे हैं और दूसरी ओर जिस तरह से तापमान लगातार 5 डिग्री के नीचे जा रहा है उससे किसानों को भी चिंता सता रही है कि कहीं उनके खड़ी फसल पर पाला ना पड़ जाए नहीं तो उन्हें आर्थिक नुकसान भी झेलनी पड़ेगी।