शहडोल। विंध्य अंचल की शहडोल लोकसभा सीट पर भी इस बार बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर दिख रही है. यहां बीजेपी की तरफ से हिंमाद्रि सिंह प्रत्याशी थी. तो कांग्रेस ने प्रमिला सिंह पर दांव लगाया था. देखा जाए तो इस लोकसभा सीट से सांसद कोई भी बने लेकिन उसके लिए पांच साल का कार्यकाल चुनौतियों से भरा रहेगा. क्योंकि इस संसदीय क्षेत्र में चुनौतियां कई हैं, और इनसे पार पाने की चुनौती जीतने वाले नए सांसद के सामने होगी.
शहडोल में दोनों पार्टियों के प्रत्याशी ऐसे थे जो कई कभी एक दूसरे के विपक्षी दल में शामिल थे. बीजेपी प्रत्याशी हिंमाद्रि सिंह जहां आखिरी वक्त में पार्टी में शामिल हुई थी. तो प्रमिला सिंह भी विधानसभा चुनाव के वक्त ही कांग्रेस में आई थी. लेकिन दोनों पार्टियों ने नेताओं पर भरोसा जताया था. आदिवासी बाहुल्य शहडोल संसदीय क्षेत्र में पलायन, रोजगार, स्वास्थ्य, रेल, परिवहन शिक्षा जैसे कई मुद्दे हैं, जिनकी लचर व्यवस्थाओं को ठीक करने की चुनौती नए सांसद के सामने होगी.
लोगों का भी यही मानना है कि पूरे शहडोल लोकसभा सीट पर कई चुनौतियां हैं जिससे पार पाना किसी भी सांसद के लिए इतना आसान नहीं होगा, फिर चाहे वो बीजेपी का प्रत्याशी जीते या कांग्रेस या फिर निर्दलीय, उसके सामने आज के इस बदलते भारत में काम करने की चुनौती होगी. स्थानीय लोग कहते है कि सांसद के पिछले कार्यकाल का आकलन करें तो सांसद की क्षेत्र में जो गतिविधियां रहीं वो बिल्कुल कम थी, खासकर जनता से जुड़े मुद्दों पर वर्तमान सांसद उतने प्रभावी नजर नहीं आए थे. उनका मानना है सबसे पहले शहडोल से नागपुर तक के लिए सीधी ट्रेन सुविधा होनी चाहिए. दूसरा रोजगार के लिए सबसे पहले काम किया जाए. इसलिए यहां के नए सांसद को शहडोल संसदीय क्षेत्र के मुद्दों को संसद में मज़बूती के साथ उठाने की चुनौती भी रहेगी जिससे रष्ट्रीय लेवल पर यहां की समस्याएं लोगों की नज़र में आ सकें और इन पर काम हो सके.