शहडोल। दो नवंबर को अक्षय नवमी है. अक्षय नवमी का ये दिन सौभाग्यवती महिलाओं के लिए विशेष होता है, क्योंकि इस विशेष दिन महिलाएं व्रत करती हैं, पूजा पाठ करती हैं और आंवला के पेड़ के नीचे भोजन करने का विधान है. आखिर इस महत्तवपूर्ण दिन ये सब करने का क्या है महत्व, क्यों किया जाता है, और इसका शुभ मुहूर्त कब है? इस सब के बारे में शहडोल के पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए. (akshay navami 2022) (akshay navami 2022 god vishnu worship)
अक्षय नवमी कब, क्या है शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक अक्षय नवमीं कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमीं दिन बुधवार 2 नवंबर को मनाया जा रहा है. अक्षय नवमी का विशेष महत्व इसलिए भी होता है, क्योंकि ये साल में एक बार ही होता है, और सुबह 7:00 बजे से लेकर के दोपहर 1:00 बजे तक इसके पूजन का विधान होता है. जैसे ही सूर्य ढलने लगे तो व्रत समाप्त करने का विधान है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक अक्षय नवमी के दिन सौभाग्यवती महिलाएं व्रत करती हैं.
महिला मंडल ने मनाई आंवला नवमी, आंवले के पेड़ की पूजा कर खाया खाना
आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और भोजन का विधान: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि अक्षय नवमी के दिन सौभाग्यवती महिलाएं सुबह-सुबह स्नान ध्यान करती हैं, और अच्छा अच्छा पकवान बनाती हैं. पकवान बनाने के बाद आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर के पहले तो आंवला के वृक्ष की पूजा करती हैं, इसके बाद उसमें धागा लेकर के सात बार घूमकर के वृक्ष में धागा बांधती हैं. ऐसा करने का विधान है, क्योंकि अगर उनके पति के ऊपर कोई अल्प घात है, कोई बीमारी है या फिर कोई दुश्मन अटैक करने वाला है तो वो इस बंधन में बंध जाते हैं, और आयु पूर्ण हो जाती है. सुहाग की रक्षा होती है, साथ में जिनके संतान हैं संतान की रक्षा होती है. संतान के लिए, पति की उम्र के लिए, और उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए अक्षय नवमी का व्रत किया जाता है. जो भोजन पकवान बनाकर महिलाएं वहां ले जाती हैं, उसे लेकर आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करने का भी विधान है. आंवला के वृक्ष के नीचे सपरिवार भी भोजन कर सकते हैं. परिवार के लोग अगर ना भी जाएं तो वहां सभी महिलाएं पूजा करके भोजन करें. सब एक दूसरे के गले मिलें, प्रसाद बांटे, और पूजा पाठ करने के बाद भोजन के बाद जब वहां से चले तो आंवला को प्रणाम कर लें, इससे बहुत पुण्य मिलता है सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. (akshay navami importance of eating under amla tree)
इन देवताओं का होता है वास: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक आंवला के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की छत्रछाया रहती है. भगवान ब्रह्मा की रहती है, शंकर भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग का हाथ ऊपर रहता है. आंवला का पूजा कर देने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है. सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और रक्षा होती है.
दान पुण्य का विशेष महत्व: पंडितों की मानें तो अक्षय नवमी के दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व होता है. इस विशेष दिन व्रत करके पूजा पाठ करके जो दान पुण्य करते हैं, उसका पुण्य एक लाख गुना बराबर होता है. अगर कोई एक किलो चावल का दान करे या फिर एक रुपए का दान करें तो एक लाख रुपये दान के बराबर होता है वो कभी नष्ट नहीं होता है. (akshay navami importance)