ETV Bharat / state

सिवनीः जंगल के बीच स्थित है माता बंजारी का मंदिर, भक्त करते हैं मनोकामना कलश की स्थापना - situated amidst forests

शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही नव दुर्गा की आराधना शुरू हो गई है. देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लग रहा है. छपारा तहसील के मुख्य मार्ग पर स्थित बंजारी माता के मंदिर में भक्त मनोकामना कलश की स्थापना करते हैं.

जंगल के बीच स्थित है माता बंजारी का मंदिर
author img

By

Published : Oct 1, 2019, 7:54 PM IST

सिवनी। नवरात्रि के मौके पर माता रानी के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. जिसमें आस्था के साथ- साथ विश्वास भी झलकता है. एक ऐसा ही मंदिर है बंजारी माता का जो जंगल के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित है. जहां से गुजरने वाले सभी यात्री माता के दरबार में शीश झुकाने पहुंच रहे हैं.

जंगल के बीच स्थित है माता बंजारी का मंदिर

बंजारों ने की है बंजारी माता की स्थापना-
सिवनी से जबलपुर मार्ग पर छपारा तहसील से 8 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग पर माता बंजारी का मंदिर स्थापित है. वैसे तो बंजारी माता का मंदिर हर शहर और जिले से बाहर निकलने वाले मार्गों पर मिलेंगे, लेकिन बताया जाता है कि बंजारी माता के मंदिरों की स्थापना बंजारे एक गांव से दूसर गांव जाने के समय करते थे.

जंगल-घाटी में दुर्घटनाओं से बचाने के लिए करते थे माता की स्थापना-
बंजारे जंगल-घाटी में दुर्घटनाओं से बचाने के लिए माता की स्थापना करते थे, इसलिए इन्हें बंजारी माता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि माता का आशीर्वाद लेकर घाटी-जंगल से गुजरने पर माता दुर्घटनाओं से अपने भक्तों की रक्षा करती है.

भक्त करते है मनोकामना कलश की स्थापना-
शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही नव दुर्गा की आराधना शुरू हो गई है. देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लग रहा है. छपारा और लखनादौन के बीच गणेशगंज के पास जंगलों पर विराजित माता बंजारी मंदिर में घट स्थापना कर मनोकामना कलश की स्थापना की गई है. इस साल बंजारी माता के दरबार में 1980 कलश तेल के और 39 कलश घी से प्रज्ज्वलित की गई हैं. जिसमें जिले सहित अन्य जिलों के भक्तों ने मनोकामना ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं. जिनका विसर्जन नवमी के दिन विशाल भंडारा प्रसाद वितरण कर किया जाएगा.

सिवनी। नवरात्रि के मौके पर माता रानी के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. जिसमें आस्था के साथ- साथ विश्वास भी झलकता है. एक ऐसा ही मंदिर है बंजारी माता का जो जंगल के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित है. जहां से गुजरने वाले सभी यात्री माता के दरबार में शीश झुकाने पहुंच रहे हैं.

जंगल के बीच स्थित है माता बंजारी का मंदिर

बंजारों ने की है बंजारी माता की स्थापना-
सिवनी से जबलपुर मार्ग पर छपारा तहसील से 8 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग पर माता बंजारी का मंदिर स्थापित है. वैसे तो बंजारी माता का मंदिर हर शहर और जिले से बाहर निकलने वाले मार्गों पर मिलेंगे, लेकिन बताया जाता है कि बंजारी माता के मंदिरों की स्थापना बंजारे एक गांव से दूसर गांव जाने के समय करते थे.

जंगल-घाटी में दुर्घटनाओं से बचाने के लिए करते थे माता की स्थापना-
बंजारे जंगल-घाटी में दुर्घटनाओं से बचाने के लिए माता की स्थापना करते थे, इसलिए इन्हें बंजारी माता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि माता का आशीर्वाद लेकर घाटी-जंगल से गुजरने पर माता दुर्घटनाओं से अपने भक्तों की रक्षा करती है.

भक्त करते है मनोकामना कलश की स्थापना-
शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही नव दुर्गा की आराधना शुरू हो गई है. देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लग रहा है. छपारा और लखनादौन के बीच गणेशगंज के पास जंगलों पर विराजित माता बंजारी मंदिर में घट स्थापना कर मनोकामना कलश की स्थापना की गई है. इस साल बंजारी माता के दरबार में 1980 कलश तेल के और 39 कलश घी से प्रज्ज्वलित की गई हैं. जिसमें जिले सहित अन्य जिलों के भक्तों ने मनोकामना ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं. जिनका विसर्जन नवमी के दिन विशाल भंडारा प्रसाद वितरण कर किया जाएगा.

Intro:यहां से बगैर शीश झुकाए आगे नहीं बढ़ता कोई,,
यहां हर मनोकामना होती है पूरी,
देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं कलश प्रज्वलित करने


Body:सिवनी:-
माता के जितने मंदिर उतनी ही कहानियां मौजूद हैं जिनमें आस्था के साथ साथ विश्वास भी झलकता है एक ऐसा ही मंदिर है बंजारी माता का जो जंगलों के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे विराजमान है जो भी यात्री चाहे वह पैदल जा रहा हो अथवा ट्रक बस कार आदि से सफर कर रहा है बिना माता के दरबार में शीश झुकाए आगे नहीं बढ़ता है।

सिवनी से जबलपुर मार्ग पर छपारा तहसील से 8 किलोमीटर दूर जहां मुख्य मार्ग पर माता बंजारी का मंदिर स्थापित है वैसे तो बंजारी माता के मंदिर हर शहर व जिले से बाहर निकलने वाले मार्गों पर मिलेंगे बताया जाता है कि इन मंदिरों की स्थापना बंजारो द्वारा तब की गई थी जब वे एक गांव से दूसरे गांव जाया करते थे बीच में जंगल घाटी आदि होने पर दुर्घटनाओं से स्वयं व बंजारों को बचाने के लिए माता की स्थापना करते हुए चला करते थे इसलिए इन्हें बंजारी माता कहा जाता है बंजारों की काल से चली आई यह परंपरा आज भी कायम है इन मंदिरों में हर धर्म जाति के लोग श्रद्धाभावो के साथ आकर शीश नवाते हैं ऐसी मान्यता है माता का आशीर्वाद लेकर घाटी जंगल आदि से गुजरने पर दुर्घटना नहीं होने देती और अपने भक्तों की रक्षा भी करती हैं खासकर बारात व दुल्हन की विदाई करा कर यहां से गुजरने वाले यात्री जरूर रुकते हैं और माता का आशीर्वाद दिलाने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।

शारदेय नवरात्र प्रारंभ होते ही नव दुर्गा की आराधना शुरू हो गई है देवी मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लग रहा है छपारा और लखनादौन के बीच गणेशगंज के पास जंगलों पर विराजित मां बंजारी मंदिर में घट स्थापना कर मनोकामना कलश की स्थापना की गई है मंदिर से मिली जानकारी अनुसार शारदेय नवरात्र में मां बंजारी माता के दरबार में भक्तों के द्वारा 1980 कलश तेल की एवं 39 कलश घी से प्रज्ज्वलित की गई है जिसमें जिले सहित अन्य जिलों बालाघाट छिंदवाड़ा नरसिंहपुर मंडला जबलपुर सागर होशंगाबाद भोपाल इंदौर विदिशा रायसेन एवं बेतूल और अन्य प्रदेशों के जिलों के भक्तों द्वारा मनोकामना ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं जिनका विसर्जन नवमी के दिन विशाल भंडारा प्रसाद वितरण किया जाएगा।


बाइट-1-हरिशंकर यादव श्रद्धालु सिवनी
बाइट-2-जंग बहादुर सिंह श्रद्धालु जबलपुर
बाइट-3- उमेश परवानी श्रद्धालु जबलपुर



Conclusion:नोट:-
आदरणीय सर मंदिर के किसी भी पुजारी ने बाइट नही दिया क्योंकि मंदिर के संचालक ने सभी को मना कर रखा है और जिसके द्वारा यह मंदिर स्थापित किया गया था वो नागपुर में रहते हैं उनसे मेरी फोन में बात भी हुई पर उन्होंने पुजारियों से बाइट लेने के लिए मना कर दिया।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.