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सिवनी में पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना को अधिकारी लगा रहे पलीता, ये है पूरा मामला

सिवनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 मई 2018 को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग 94 करोड़ 95 लाख की लागत से 1,212 आवासों का भूमिपूजन किया था. लेकिन सिवनी नगर पालिका के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से 116 मकान का खंडहर में तब्दील हो गए हैं.

Houses turning into ruins
खंडहर में तब्दील हो रहे मकान
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Published : Oct 1, 2020, 5:32 PM IST

सिवनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मध्यप्रदेश में बने पौने दो लाख मकानों का वर्चुअल कार्यक्रम के तहत लोकार्पण करते हुए हितग्राहियों को सौंपा. इस मौके पीएम मोदी ने कहा था कि, हर किसी को छत देने के लिए केंद्र सरकार दृढ़ संकल्पित है, लेकिन पीएम के इस संकल्प को किस तरह से पलीता लगाया जा रहा है, इसका उदाहरण सिवनी नगर पालिका परिषद में देखने को मिल रहा है.

खंडहर में तब्दील हो रहे मकान

सिवनी नगर पालिका क्षेत्र में बनने वाली ' प्रधानमंत्री आवास योजना' और 'सबके लिए आवास 2022 शहरी योजना' के तहत बनने वाले मकानों को नगर पालिका क्षेत्र में ना बनाते हुए ग्राम पंचायत क्षेत्र में बनने की अनुमति दी गई. शहर से करीब 7 किलो दूर होने की वजह से हितग्राहियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई और मकान की बुकिंग नहीं हो पाई. जिसके बाद निर्माण कार्य को अधूरा छोड़कर कंपनी भाग गई. जिसके कारण करोड़ों की लागत से बनने वाले मकान खंडहर में तब्दील हो गए हैं.

2018 में मुख्यमंत्री ने किया था भूमिपूजन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 मई 2018 को प्रधानमंत्री आवास योजना 'सबके लिए आवास 2020' योजना के तहत लगभग 94 करोड़ 95 लाख की लागत से 1212 आवास बनाए जाने के लिए भूमिपूजन किया था. जिस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भूमिपूजन करने के लिए पहुंचे थे, तब 24 में से 23 पार्षदों ने इस भूमिपूजन कार्यक्रम का विरोध किया था. शहर में बनने वाली आवास योजना का काम ग्रामीण क्षेत्र में किया जा रहा था. पार्षदों का कहना था कि, शहर में रहने वाले हितग्राही गांव में जाकर कैसे रहेंगे. बावजूद इसके तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती आरती अशोक शुक्ला ने भूमिपूजन करवा दिया.

कितने बनने थे मकान

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर पालिका परिषद सिवनी सीमा में 94 करोड़ 95 लाख की लागत से ईडब्ल्यूएस के 850, एलआइजी के 240 और एमआईजी के 120 इस तरह कुल 1212 मकान स्वीकृत किए गए थे. मकानों को बनाने का ठेका अहमदाबाद की मोंटो कार्लो लिमिटेड कंपनी को दिया गया था. पूरे प्रोजक्ट का आर्किटेक आभा सिस्टम एंड कंसलटेंसी सागर को नियुक्त किया गया था. भूमिपूजन के बाद मोंटो कार्लो कंपनी ने काम प्रारंभ किया और कंपनी के द्वारा लगभग 116 मकान का निर्माण कार्य शुरू किया गया. बाद में आश्चर्यजनक तरीके से कंपनी ने करोड़ों का काम छोड़ दिया और फरार हो गई. जिसके बाद से ही करोड़ों की लागत से बनने वाले मकान अधूरे पड़े हुए हैं, जो वर्तमान में खंडहर में तब्दील हो गए हैं. जहां रात के समय असामाजिक तत्व अपना डेरा जमाए हुए हैं.

करोड़ों की लागत से बनने वाले इस प्रोजक्ट को अब तक पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन अधिकारियों और नगर पालिका परिषद से जुड़े जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना ने सिवनी में दम तोड़ दिया है.

20-20 हजार रुपए जमा करवाने का नगर पालिका ने किया था प्रयास

शुरुआती दौर में 116 मकानों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था, जिसके लिए नगरीय निकाय के द्वारा चयनित हितग्राहियों से अपील की गई थी कि, वो 1 अगस्त 2018 तक आवास आवंटन के लिए 20-20 हजार रुपए की राशि नगर पालिका परिषद के पास जमा कर दें. नगर पालिका परिषद की अपील के बाद कुछ लोग राशि जमा करने पहुंच भी और काफी लोगों ने राशि जमा करने से इसलिए परहेज किया, क्योंकि ये मकान ग्राम पंचायत में बन रहे थे और लोग शहर छोड़कर ग्राम पंचायत में नहीं रहना चाहते थे.

लापरवाही छिपाने की कोशिश कर रहे अधिकारी

हालांकि नगर पालिका CMO नवनीत पांडेय इस मामले में लापरवाही छिपाने की कोशिश कर रहे है. पांडेय का कहना है कि, वहां पर फिलहाल 116 मकानों की छत ढल चुकी है और अभी रेनोवेशन का काम किया जा रहा है. उनका कहना है कि, 116 लोगों को चिन्हित किया गया है, उनके लिए लोन का प्रोसेस भी आगे बढ़ाया गया है.

सिवनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मध्यप्रदेश में बने पौने दो लाख मकानों का वर्चुअल कार्यक्रम के तहत लोकार्पण करते हुए हितग्राहियों को सौंपा. इस मौके पीएम मोदी ने कहा था कि, हर किसी को छत देने के लिए केंद्र सरकार दृढ़ संकल्पित है, लेकिन पीएम के इस संकल्प को किस तरह से पलीता लगाया जा रहा है, इसका उदाहरण सिवनी नगर पालिका परिषद में देखने को मिल रहा है.

खंडहर में तब्दील हो रहे मकान

सिवनी नगर पालिका क्षेत्र में बनने वाली ' प्रधानमंत्री आवास योजना' और 'सबके लिए आवास 2022 शहरी योजना' के तहत बनने वाले मकानों को नगर पालिका क्षेत्र में ना बनाते हुए ग्राम पंचायत क्षेत्र में बनने की अनुमति दी गई. शहर से करीब 7 किलो दूर होने की वजह से हितग्राहियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई और मकान की बुकिंग नहीं हो पाई. जिसके बाद निर्माण कार्य को अधूरा छोड़कर कंपनी भाग गई. जिसके कारण करोड़ों की लागत से बनने वाले मकान खंडहर में तब्दील हो गए हैं.

2018 में मुख्यमंत्री ने किया था भूमिपूजन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 मई 2018 को प्रधानमंत्री आवास योजना 'सबके लिए आवास 2020' योजना के तहत लगभग 94 करोड़ 95 लाख की लागत से 1212 आवास बनाए जाने के लिए भूमिपूजन किया था. जिस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भूमिपूजन करने के लिए पहुंचे थे, तब 24 में से 23 पार्षदों ने इस भूमिपूजन कार्यक्रम का विरोध किया था. शहर में बनने वाली आवास योजना का काम ग्रामीण क्षेत्र में किया जा रहा था. पार्षदों का कहना था कि, शहर में रहने वाले हितग्राही गांव में जाकर कैसे रहेंगे. बावजूद इसके तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती आरती अशोक शुक्ला ने भूमिपूजन करवा दिया.

कितने बनने थे मकान

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर पालिका परिषद सिवनी सीमा में 94 करोड़ 95 लाख की लागत से ईडब्ल्यूएस के 850, एलआइजी के 240 और एमआईजी के 120 इस तरह कुल 1212 मकान स्वीकृत किए गए थे. मकानों को बनाने का ठेका अहमदाबाद की मोंटो कार्लो लिमिटेड कंपनी को दिया गया था. पूरे प्रोजक्ट का आर्किटेक आभा सिस्टम एंड कंसलटेंसी सागर को नियुक्त किया गया था. भूमिपूजन के बाद मोंटो कार्लो कंपनी ने काम प्रारंभ किया और कंपनी के द्वारा लगभग 116 मकान का निर्माण कार्य शुरू किया गया. बाद में आश्चर्यजनक तरीके से कंपनी ने करोड़ों का काम छोड़ दिया और फरार हो गई. जिसके बाद से ही करोड़ों की लागत से बनने वाले मकान अधूरे पड़े हुए हैं, जो वर्तमान में खंडहर में तब्दील हो गए हैं. जहां रात के समय असामाजिक तत्व अपना डेरा जमाए हुए हैं.

करोड़ों की लागत से बनने वाले इस प्रोजक्ट को अब तक पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन अधिकारियों और नगर पालिका परिषद से जुड़े जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना ने सिवनी में दम तोड़ दिया है.

20-20 हजार रुपए जमा करवाने का नगर पालिका ने किया था प्रयास

शुरुआती दौर में 116 मकानों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था, जिसके लिए नगरीय निकाय के द्वारा चयनित हितग्राहियों से अपील की गई थी कि, वो 1 अगस्त 2018 तक आवास आवंटन के लिए 20-20 हजार रुपए की राशि नगर पालिका परिषद के पास जमा कर दें. नगर पालिका परिषद की अपील के बाद कुछ लोग राशि जमा करने पहुंच भी और काफी लोगों ने राशि जमा करने से इसलिए परहेज किया, क्योंकि ये मकान ग्राम पंचायत में बन रहे थे और लोग शहर छोड़कर ग्राम पंचायत में नहीं रहना चाहते थे.

लापरवाही छिपाने की कोशिश कर रहे अधिकारी

हालांकि नगर पालिका CMO नवनीत पांडेय इस मामले में लापरवाही छिपाने की कोशिश कर रहे है. पांडेय का कहना है कि, वहां पर फिलहाल 116 मकानों की छत ढल चुकी है और अभी रेनोवेशन का काम किया जा रहा है. उनका कहना है कि, 116 लोगों को चिन्हित किया गया है, उनके लिए लोन का प्रोसेस भी आगे बढ़ाया गया है.

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