सिवनी। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-बीजेपी तैयारियों में जुटा हुआ है. दोनों ही पार्टियों के नेता लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं. दिग्गजों का दौरा भी एमपी में शुरु हो चुका है. ईटीवी भारत आपको सीट स्कैन के जरिए मध्यप्रदेश की एक-एक सीट के विश्लेषण के बारे में बता रहा है. आज हम आपको सिवनी विधानसभा सीट के बारे में बताएंगे. सिवनी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने हर बार जी तोड़ मेहनत की, लेकिन अपना विधायक बनाने में कामयाब नहीं हो सकी. आलम यह रहा कि या तो भाजपा ने जीत का परचम फ़हराया या फिर निर्दलीय ने बाजी मार ली, लेकिन कांग्रेस को निराशा ही हाथ लगी. 1990 से सिवनी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस लगातार हार रही है.
कांग्रेस के लिए कठिन रही यह सीट: अनारक्षित विधानसभा सीट सिवनी में कुल 2,65,807 वोटर हैं. जिसमें से 1,34,548 पुरुष तो वहीं 1,31,254 महिला वोटर हैं. 5 अन्य हैं. अब तक सिवनी विधानसभा के मतदाताओं ने या तो भाजपा के पक्ष में विश्वास जताया है या फिर निर्दलीय उम्मीदवार को भी यहां से विधानसभा में भेजा है, लेकिन कांग्रेस को पसंद नहीं किया है. क्योंकि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश राय मुनमुन चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे.
2008 और 2013 में तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस: सिवनी विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणामों पर अगर नजर डालें तो साल 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की थी. दरअसल 2013 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक दिनेश राय मुनमुन ने बीजेपी में आकर चुनाव लड़ा और वे फिर से चुनाव जीत गए थे, इस चुनाव में भाजपा के दिनेश राय मुनमुन को 99576 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस की मोहन सिंह चंदेल को 77568 वोट मिले थे. इस तरह बीजेपी 22008 वोटों से जीती थी. तो वहीं साल 2013 में सिवनी विधानसभा से निर्दलीय मैदान में उतरे दिनेश राय मुनमुन ने 65400 वोट लेकर भाजपा के नरेश दिवाकर को 20916 वोटों से हराया था. यहां पर भाजपा के नरेश दिवाकर को 44486 वोट मिले थे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी.
अन्य पिछड़ा वर्ग का है दबदबा: सिवनी विधानसभा क्षेत्र में अगर जातिगत मतदाताओं की बात करें तो अन्य पिछड़ा वर्ग का दबदबा है, लेकिन निर्णायक भूमिका में हमेशा जनजाति समाज रहती है. विधानसभा क्षेत्र में करीब 19 हजार कुर्मी मतदाता हैं तो वहीं 14 हजार कलार वोटर हैं. इसी प्रकार परधान 17 हजार, यादव 9 हजार और मुस्लिम करीब 7 हजार है, लेकिन पूरे विधानसभा में करीब 40 हजार जनजाति वर्ग से मतदाता है.
पेंच नेशनल पार्क यहां की पहचान खेती है मुख्य आधार: सिवनी विधानसभा के मुख्य पहचान पेंच टाइगर रिजर्व पार्क है. टाइगर रिजर्व का कुछ भाग सिवनी विधानसभा क्षेत्र की सीमा में भी आता है. इसके साथ ही यहां की आर्थिक गतिविधि कृषि पर आधारित है. इस विधानसभा क्षेत्र में मक्के की फसल के अलावा धान की खेती बहुतायत मात्रा में की जाती है.
1990 से कांग्रेस में नहीं खोला सिवनी विधानसभा में खाता: सिवनी विधानसभा क्षेत्र में 1990 में दिग्गज कांग्रेसी ठाकुर हरवंश सिंह ने चुनाव लड़ा था और वे चुनाव हार गए. 1993 में भाजपा के महेश शुक्ला से आशुतोष वर्मा चुनाव हारे तो वहीं 1998 में आशुतोष वर्मा को फिर से भाजपा के नरेश दिवाकर ने चुनाव हराया. साल 2013 में वर्तमान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजकुमार खुराना को एक बार फिर से भाजपा के नरेश दिवाकर ने हरा दिया, तो वहीं साल 2008 में भाजपा की नीता पटेरिया ने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू को हराया और 2013 में कांग्रेस ने एक बार फिर राजकुमार खुराना को मौका दिया, लेकिन इस बार कांग्रेस यहां पर तीसरे नंबर पर चली गई और निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय मुनमुन चुनाव जीत गए. फिर 2018 में भाजपा का दामन थाम कर दिनेश राय मुनमुन ने चुनाव लड़ा और एक बार फिर विधायक बन गए.
तीन पंचवर्षीय में सिवनी विधानसभा क्षेत्र के चुनावी परिणाम:
साल 2008 का विधानसभा चुनाव: साल 2008 में बीजेपी नीता पटेरिया को टिकर देकर चुनावी मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू पर भरोसा जताया. चुनावी परिणाम में बीजेपी की नीता पटेरिया ने 12,484 वोट हासिल की. जबकि दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय मुनमुन रहे. कांग्रेस तीसरे नंबर पर ही.
साल 2013 का विधानसभा चुनाव: साल 2013 में बीजेपी नरेश दिवाकर को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस राजकुमार खुराना को चुनावी मैदान में उतारा. हालांकि चुनावी परिणाम में कांग्रेस और बीजेपी को पीछे छोड़ निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय ने 20,916 जीत हासिल की. इस बार भी कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही और दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रत्याशी नरेश दिवाकर रहे.
साल 2018 का विधानसभा चुनाव: साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दिनेश राय मुनमुन ने बीजेपी का दामन थामा और चुनाव लड़ा. इस बार कांग्रेस ने मोहन सिंह को टिकट दिया. इस बार भी चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई, लेकिन संतोषजनक स्थिति यह रही कि इस बार कांग्रेस दूसरे नंबर पर ही. इस चुनाव में बीजेपी से दिनेश राय मुनमुन ने जीत हासिल की.
क्या खत्म होगा सूखा: वर्तमान भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन का कहना है कि सिवनी विधानसभा में मेडिकल कॉलेज और माचागोरा डैम का पानी हमारी सरकार ने दिया है. ब्रॉडगेज हमारी देन है, इंजीनियरिंग कॉलेज कृषि महाविद्यालय की जरूरत है. सिंचाई से छूटे क्षेत्रों को सुविधा मुहैया कराना उनका प्रमुख उद्देश्य है. जनता की जितनी जरूरतें हैं, उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा, लेकिन मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से जनता को बेहद फायदा हो रहा है. वहीं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पप्पू खराना का कहना है कि सिवनी की जनता ने कमलनाथ सरकार के 15 महीनों का काम देखा है. 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है और हम 33 साल का सूखा सिवनी विधानसभा में खत्म करेंगे और इस बार सिवनी में कांग्रेस का विधायक होगा.
जिला एक लेकिन 2 लोकसभा में हुआ विभाजित: सिवनी जिला में हमेशा ही विकास बड़ा मुद्दा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सिवनी जिला तो है लेकिन दो लोकसभाओं में विभाजित है. परिसीमन के दौरान सिवनी जिले का कुछ विधानसभा क्षेत्र बालाघाट लोकसभा क्षेत्र और कुछ विधानसभा क्षेत्र मंडला लोकसभा क्षेत्र में समाहित कर दिया गया है. इस कारण से यहां पर केंद्र में प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं की कमी हो गई है. विधानसभा क्षेत्र में खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था रोजगार के लिए उद्योगों की जरूरत और शिक्षा के लिए अच्छे संस्थानों की मांग प्रमुख मुद्दा है.
कांग्रेस और बीजेपी के प्रमुख टिकट के दावेदार: सत्ताधारी दल भाजपा में जहां प्रमुख दावेदारों में वर्तमान विधायक दिनेश राय मुनमुन है तो वहीं पूर्व विधायक नरेश दिवाकर, नीता पटेरिया, सांसद ढालसिंह बिसेन, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौशम बिसेन भाजपा के जिला अध्यक्ष आलोक दुबे हैं तो वहीं कांग्रेस में 2018 का चुनाव लड़ चुके मोहन सिंह चंदेल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजकुमार पप्पू खुराना प्रमुख दावेदार हैं.