सिवनी। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. ये लॉकडाउन मजदूर वर्ग पर दोहरा कहर बनकर बरपा है. जिसमें एक तरफ तो उनका रोजगार छिन गया है. दूसरी तरफ रोजी-रोटी छिन जाने के बाद पैदल ही अपने आशियानों की तरफ निकल चुके हैं. जिससे इन पर संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है. कुछ ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश बॉर्डर पर आए इन मजदूरों की. इनमें कोई ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर हैं, लेकिन कोरोना के कहर ने इनसे सबकुछ छीन लिया. अब बस ये यहीं चाहते हैं कि किसी भी तरह से अपने गांव पहुंच जाएं. जिसके लिए वो सैकड़ों किलोमीटर पैदल ही यहां तक आ गए हैं.
इन मजदूरों में कोई छत्तीसगढ़ से आया है, तो कोई पुणे और दिल्ली से. किसी को नीमच जाना है तो किसी को चंबल. प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा कोना हो जहां के मजदूर इस जगह मौजूद ना हों. इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. जो रास्तों की तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए यहां पहुंचे हैं.
आलम ये है कि पेट की आग के सामने कोरोना जैसी महामारी का खतरा भी इन मजदूरों को बौना लग रहा है और जान की परवाह किए बिना ही घर की तरफ बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं ने पलायन कर रहे इन मजदूरों की काफी मदद की है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें इनका हेल्थ चेकअप कर रही हैं. इस दौरान भी इन मजदूरों के जहन में बस एक बात चल रही है कि बस कैसे भी वो अपने आशियाने तक पहुंच जाएं.