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मेंढक-मेंढकी की अनोखी शादी, इंद्रदेव को खुश करने की कोशिश

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Published : Jul 15, 2019, 3:45 PM IST

ग्रामीण इलाकों में बारिश के लिए टोटकों का दौर भी शुरू हो गया है. जिले के चन्दौरी खुर्द में छोटे बच्चों ने बारात निकालकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराई. इस आयोजन के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से इलाके में अच्छी बारिश होती है.

मेंढक-मेंढकी की अनोखी शादी

सिवनी। 'मेंढक रानी पानी दे..धान..कोदो पकन दे..मेंढक रानी पानी दे..पानी दे.. गुड़धानी दे' इस पारपंरिक गीत के जरिए गांववाले अच्छी बारिश के लिए इंद्रदेव को प्रसन्न कर रहे हैं. मानसून सीजन होने के बावजूद प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी है. जिसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में बारिश के लिए टोटकों का दौर भी शुरू हो गया है. जिले के चन्दौरी खुर्द में छोटे बच्चों ने बारात निकालकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराई. इस आयोजन के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से इलाके में अच्छी बारिश होती है.

मेंढक-मेंढकी की अनोखी शादी

बच्चों ने मूसल में मेंढक-मेंढकी बांधकर बारात निकाली और गांव के हर घर में ले जाकर भीख मांगी. ग्रामीणों द्वारा उनको चावल, आटा, दाल सहित दान में कुछ रुपए दिये जाते हैं. इस परंपरा के पीछे की मान्यता है कि ऐसा करने से मूसलाधार बारिश होती है. लोगों का कहना है कि मूसल बांधने से मेंढक-मेंढकी अधिक टरटराते हैं, जिसे देखकर भगवान इंद्रदेव मूसलाधार बारिश करते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में यह परपंरा सदियों से चली आ रही है. जब भी बारिश नहीं होती है, तो लोग एकत्र होकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराते हैं. ऐसे आयोजन से निश्चित तौर पर इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और तेज बारिश होती है. साल 2008 में भी इसी तरह का आयोजन किया गया था.

सिवनी। 'मेंढक रानी पानी दे..धान..कोदो पकन दे..मेंढक रानी पानी दे..पानी दे.. गुड़धानी दे' इस पारपंरिक गीत के जरिए गांववाले अच्छी बारिश के लिए इंद्रदेव को प्रसन्न कर रहे हैं. मानसून सीजन होने के बावजूद प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी है. जिसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में बारिश के लिए टोटकों का दौर भी शुरू हो गया है. जिले के चन्दौरी खुर्द में छोटे बच्चों ने बारात निकालकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराई. इस आयोजन के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से इलाके में अच्छी बारिश होती है.

मेंढक-मेंढकी की अनोखी शादी

बच्चों ने मूसल में मेंढक-मेंढकी बांधकर बारात निकाली और गांव के हर घर में ले जाकर भीख मांगी. ग्रामीणों द्वारा उनको चावल, आटा, दाल सहित दान में कुछ रुपए दिये जाते हैं. इस परंपरा के पीछे की मान्यता है कि ऐसा करने से मूसलाधार बारिश होती है. लोगों का कहना है कि मूसल बांधने से मेंढक-मेंढकी अधिक टरटराते हैं, जिसे देखकर भगवान इंद्रदेव मूसलाधार बारिश करते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में यह परपंरा सदियों से चली आ रही है. जब भी बारिश नहीं होती है, तो लोग एकत्र होकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराते हैं. ऐसे आयोजन से निश्चित तौर पर इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और तेज बारिश होती है. साल 2008 में भी इसी तरह का आयोजन किया गया था.

Intro:मेंढक की बारात

बारिश न होने से लड़कियों ने धान के मूसर में मेंढक और मेंढकी को बांधकर निकाली बारात...Body:मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में लगभग 15 दिनों से बारिश नहीं होने से किसानों के माथे में चिंता की लकीर खिंच गई है, और परेशान किसान अब रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए टोना टोटके का सहारा ले रहे है।सिवनी जिले के चन्दौरी खुर्द की पांच छोटी बच्चियों ने धान के मूसर में मेंढक और मेंढकी को रस्सी से बांधकर मेंढक रानी पानी दे...धान, कोदो पकन दे...मेंढक रानी पानी दे पानी दे, गुड़धानी दे, कहावत कहकर बारात निकाली। इन पांचो बच्चियों द्वारा मूसर व मेंढक-मेंढकी को प्रत्येक ग्रामीणों के घर ले जाकर भीख मांगी जाती है,जहां ग्रामीणों द्वारा उनको चावल,आटा, दाल सहित दान में कुछ रुपये दिये जाते है।मान्यता है,कि मूसर में मेंढक-मेंढकी को बांधकर उनकी शादी कराने से मूसलाधार बारिश होती है। मेंढक-मेंढकी को मूसर में बांधने से जहां वह अधिक तड़पता है। वहीं उसे देखकर भगवान इंद्रदेव मूसलाधार बारिश करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में यह परपंरा सदियों से चली आ रही है।जब भी भी बारिश नहीं होती है,उस वर्ष इस तरह का आयोजन किया जाता है।जिससे मूसलाधार बारिश हो जाती है।

V.O.1 : यह परपंरा ग्राम में सदियों से चली आ रही है। जिस वर्ष भी बारिश नहीं होती, उस वर्ष ग्राम के सभी लोग एकत्र होकर मेंढक-मेंढकी की शादी कराते हैं। ऐसे आयोजन से निश्चित तौर पर इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और तेज बारिश होती है। वर्ष 2008 में भी इसी तरह का आयोजन किया गया था।

BYTE :1- बसंत सिंह राजपूत (किसान)

BYTE : 2- बच्चीConclusion:
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