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20 बिस्तरों के अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं, कैसे हो इलाज ?

सीहोर जिले के बुधनी के लाड़कुई गांव में वैसे तो 20 बिस्तरों का अस्पताल सालों से बना हुआ है लेकिन यहां डॉक्टर एक भी नहीं है. आप सोचिए इस अस्पताल के भरोसे 40-45 गांवों के लोग हैं लेकिन किसी को सुध नहीं. वैसे आपको बता दें कि ये इलाका पूर्व सीएम शिवराज का है.

Doctor not in hospital
अस्पताल तो है लेकिन डॉक्टर नहीं
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Published : Dec 6, 2019, 9:32 PM IST

सीहोर। प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं जहां अस्पताल तो हैं लेकिन उनमें डॉक्टर नहीं. बुधनी के लाड़कुई गांव में भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां 20 बिस्तरों का अस्पताल तो काफी दिनों से है लेकिन यहां एक भी डॉक्टर नहीं है जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मरीजों को अपने इलाज के लिए झोलाझाप डॉक्टरों के भरोसे रहना पड़ता है.

अस्पताल तो है लेकिन डॉक्टर नहीं

अस्पताल को कब मिलेगा डॉक्टर ?
लाड़कुई क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर आदिवासी समाज के लगभग 40-45 गांव लगे हुए हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को बने हुए 8-10 साल हो गए हैं लेकिन यहां हमेशा ही डॉक्टरों की रहती है, यहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य खराब होने पर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे था अस्पताल
पहले अस्पताल में एक डॉक्टर पदस्थ था. जो अस्पतालत में महज 6 घंटे ही रहता था. उसके बाद ये अस्पताल भगवान भरोसे चलता था. अगर इस बीच कोई अनहोनी हो जाए तो झोलाझाप डॉक्टर ही एक मात्र सहारा है. नहीं तो कई किलोमीटर दूर नसरुल्लागंज स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है.

पूर्व सीएम शिवराज पर भी उठ रहे सवाल
ये क्षेत्र पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का है जो प्रदेश में विकास का बखान करते रहे लेकिन अपने ही क्षेत्र का विकास नहीं करा पाए. इसी तरह वर्तमान सरकार और वहां के प्रशासन पर भी सवाल उठता है कि वो इस मामले को सज्ञांन में क्यों नहीं ले रहा हैं.

नसरुल्लागंज ब्लॉक सीएमओ मनीष सारस्वत ने बताया कि हम डॉक्टरों की व्यवस्था कर रहे हैं. सरकार यूं तो आदिवासिओं को लेकर लाखों घोषणाएं करती है, कई वादे करती है लेकिन जमीनी हकीकत देखी जाए तो जीरो साबित हो रहे हैं.

सीहोर। प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं जहां अस्पताल तो हैं लेकिन उनमें डॉक्टर नहीं. बुधनी के लाड़कुई गांव में भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां 20 बिस्तरों का अस्पताल तो काफी दिनों से है लेकिन यहां एक भी डॉक्टर नहीं है जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मरीजों को अपने इलाज के लिए झोलाझाप डॉक्टरों के भरोसे रहना पड़ता है.

अस्पताल तो है लेकिन डॉक्टर नहीं

अस्पताल को कब मिलेगा डॉक्टर ?
लाड़कुई क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर आदिवासी समाज के लगभग 40-45 गांव लगे हुए हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को बने हुए 8-10 साल हो गए हैं लेकिन यहां हमेशा ही डॉक्टरों की रहती है, यहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य खराब होने पर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे था अस्पताल
पहले अस्पताल में एक डॉक्टर पदस्थ था. जो अस्पतालत में महज 6 घंटे ही रहता था. उसके बाद ये अस्पताल भगवान भरोसे चलता था. अगर इस बीच कोई अनहोनी हो जाए तो झोलाझाप डॉक्टर ही एक मात्र सहारा है. नहीं तो कई किलोमीटर दूर नसरुल्लागंज स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है.

पूर्व सीएम शिवराज पर भी उठ रहे सवाल
ये क्षेत्र पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का है जो प्रदेश में विकास का बखान करते रहे लेकिन अपने ही क्षेत्र का विकास नहीं करा पाए. इसी तरह वर्तमान सरकार और वहां के प्रशासन पर भी सवाल उठता है कि वो इस मामले को सज्ञांन में क्यों नहीं ले रहा हैं.

नसरुल्लागंज ब्लॉक सीएमओ मनीष सारस्वत ने बताया कि हम डॉक्टरों की व्यवस्था कर रहे हैं. सरकार यूं तो आदिवासिओं को लेकर लाखों घोषणाएं करती है, कई वादे करती है लेकिन जमीनी हकीकत देखी जाए तो जीरो साबित हो रहे हैं.

Intro:बुधनी के नसरुल्लागंज ब्लाक के ग्राम लाड़कुई में बेसे तो बीस बिस्तार बेड का हॉस्पिटल है और यह बुधनी विधानसभा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी का छेत्र है पर सुविधाओं के लिये अभी भी अभाव है जहाँ 13 साल मुख्यमंत्री छेत्र होने के बाद भीBody:बुधनी
मुकेश मेहता
लाडकुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं डॉक्टर, ग्रामीण हो रहे परेशान...
आदिवासी क्षेत्र कहे जाने वाले लाडकुई के लगभग 40 से 45 ग्रामो का एक मात्र सहारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है जहां पर नहीं मिलते डॉक्टर...
Anchor/v/b- नसरुल्लागंज क्षेत्र के ग्राम लाडकुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कई बार डॉक्टरों के अभाव में चर्चाओं में रहा है। जहां मरीजों को झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ा है। 
        गौरतलब है कि करोड़ों की लागत से बना 20 बैड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाडकुई एक बार फिर डॉक्टरों के अभाव में चर्चाओं में है कई दिनों से डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लाडकुई क्षेत्र आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र है, जहां पर आदिवासी समाज के लगभग 40-45 गांव लगे हुए हैं, जिनका एकमात्र सहारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को बने हुए 08-10 वर्ष हो गए हैं लेकिन यहां पर हमेशा ही डॉक्टरों का अभाव के कारण चर्चा में रहा है यहां के ग्रामीण को स्वास्थ्य खराब होने पर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा हैं। 
       लेकिन चार-पांच दिनों से कोई भी डॉक्टर नहीं होने के बावजूद व पूर्व में एक डॉक्टर पदस्थ थे, जो सीहोर से अप डाउन करते थे जो सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक ही अस्पताल में उपलब्ध रहते थे बाकी समय में अगर किसी के साथ कुछ अनहोनी होती थी या तो उन्हें झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे रहना पड़ता था या नसरुल्लागंज स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है अभी 5 दिन से कोई भी डॉक्टर लाडकुई स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध नहीं है जानकारी लेने में पता चला कि डॉक्टर लंबी छुट्टी पर गए हैं डॉक्टर के अवकाश पर जाने के बाद तुरंत किसी अन्य डॉक्टरों की व्यवस्था क्यों नहीं की गई यह बड़ा सवाल है।
जब इस बात को लेकर नसरुल्लागंज ब्लॉक सीएमओ मनीष सारस्वत से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया हम डॉक्टरों की व्यवस्था कर रहे हैं सरकार यू तो आदिवासीओ को लेकर लाखों घोषणा करती है, कई वादे करती है परंतु जमीनी हकीकत देखी जाए तो जीरो साबित हो रहे हैं।
बाईट - ग्रामीण
बाईट - बीएमओ, मनीष सारस्वत नसरुल्लागंजConclusion:
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