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आशा ने हौसले से बदली किस्मत : पढ़ाई छोड़ने के 7 साल बाद फिर गईं स्कूल , अब बन गईं Lab Technician

अगर दिल में कुछ करने का जज्बा हो, तो नामुमकिन कुछ भी नहीं. सीहोर की आशा इसकी मिसाल हैं. जिन्होंने पढ़ाई से सात साल बाद नाता जोड़ा और परिवार को गर्व करने का सुनहरा मौका भी दिया.

Asha's story became an inspiration for others
आशा की कहानी बनी दूसरों के लिए प्रेरणा
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Published : Jun 11, 2021, 5:22 PM IST

सीहोर। छोटे-भाई बहनों की देखभाल और परिवार की आर्थिक तंगी के चलते जिस आशा बरखाने ने सात साल पहले पढ़ाई छोड़ दी थी, आज वही आशा पूरे परिवार का सहारा और भविष्य की आशा बन गई है. पढ़ाई छोड़ चुकी आशा की दोबारा पढ़ाई शुरू करने की जिद और माता-पिता को इसके लिए राजी करना काफी मुश्किल काम था. इस छोटी सी कोशिश ने आशा के जीवन की तस्वीर बदल दी .

साल 2013 में छोड़ी थी पढ़ाई

साल 2013 में छठी क्लास से पढ़ाई छोड़ने के बाद आशा के मन में यह कसक थी कि, वो भी औरों की तरह पढ़ाई पूरी करे. आशा ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और अपने नाम के अर्थ को सार्थक करते हुए दोबारा सरकारी स्कूल में कक्षा 8वीं में दाखिला लिया. आशा ने पूरी लगन के साथ परिश्रम किया और आगे बढ़ते हुए 12 वीं के बाद भोपाल से लैब टैक्निशियन का डिप्लोमा (Lab Technician Diploma Course) किया. आशा आज भोपाल के एक निजी अस्पताल में लैब टैक्निशियन है. आशा की मां ममता और पिता मनोहर बरखाने अपनी बेटी की कामयाबी पर गर्व करते हैं.

पारिवारिक समस्याओं के कारण छूटी थी पढ़ाई

नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम सुकरवास निवासी आशा बरखाने को पारिवारिक समस्याओं के चलते पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. स्कूल जाना बंद होने के बाद आशा अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल और घर के काम करती थी. माता-पिता के दिहाड़ी मजदूरी के लिये जाने के बाद आशा हर रोज नियमित समय पर छोटे-भाई बहनों को लेकर गांव की आंगनबाड़ी जाती और वापस साथ लेकर आती थी. आंगनबाड़ी में दिन में भोजन मिल जाता था और छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई भी हो जाती थी. आंगनबाड़ी में छोटे भाई बहनों और अन्य बच्चों को पढ़ता देख आशा के में मन में पढ़ने की इच्छा तो होती, लेकिन वो बेबस थी. यह सिलसिला चलता रहा. लेकिन जब महिला एवं बाल विकास विभाग के शौर्य दल को जब यह पता चला कि आंगनबाड़ी आने-जाने वाली आशा ने कई सालों से पढ़ाई छोड़ दी है. तब आशा की पढ़ने की ललक को देखते हुए शौर्य दल की महिलाओं ने उसे फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिये प्रेरित किया. साथ ही उसके माता-पिता को पढ़ाई का महत्व बताया.फिर आशा को की पढ़ाई दोबारा शुरू कराेने के लिए राजी कर लिया.

Lab Technician का किया Course

आशा की योग्यता को देखते हुए कक्षा 7वीं से प्रमोट कराकर नसरूल्लागंज कन्या शाला में कक्षा 8वीं में दाखिला कराया गया. यहां से 12 वी कक्षा पास करने के बाद आशा ने भोपाल से 2020 में लैब टैक्निशियन का कोर्स किया. आशा अब भोपाल के एक निजी अस्पताल में लैब टैक्निशिन है. और अपनी सेवाएं दे रही है. जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रफुल्ल खत्री ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हेमा कहार और पर्यवेक्षक शाजिया परवीन की कोशिश ने आशा के जीवन की तस्वीर बदल दी.

सीहोर। छोटे-भाई बहनों की देखभाल और परिवार की आर्थिक तंगी के चलते जिस आशा बरखाने ने सात साल पहले पढ़ाई छोड़ दी थी, आज वही आशा पूरे परिवार का सहारा और भविष्य की आशा बन गई है. पढ़ाई छोड़ चुकी आशा की दोबारा पढ़ाई शुरू करने की जिद और माता-पिता को इसके लिए राजी करना काफी मुश्किल काम था. इस छोटी सी कोशिश ने आशा के जीवन की तस्वीर बदल दी .

साल 2013 में छोड़ी थी पढ़ाई

साल 2013 में छठी क्लास से पढ़ाई छोड़ने के बाद आशा के मन में यह कसक थी कि, वो भी औरों की तरह पढ़ाई पूरी करे. आशा ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और अपने नाम के अर्थ को सार्थक करते हुए दोबारा सरकारी स्कूल में कक्षा 8वीं में दाखिला लिया. आशा ने पूरी लगन के साथ परिश्रम किया और आगे बढ़ते हुए 12 वीं के बाद भोपाल से लैब टैक्निशियन का डिप्लोमा (Lab Technician Diploma Course) किया. आशा आज भोपाल के एक निजी अस्पताल में लैब टैक्निशियन है. आशा की मां ममता और पिता मनोहर बरखाने अपनी बेटी की कामयाबी पर गर्व करते हैं.

पारिवारिक समस्याओं के कारण छूटी थी पढ़ाई

नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम सुकरवास निवासी आशा बरखाने को पारिवारिक समस्याओं के चलते पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. स्कूल जाना बंद होने के बाद आशा अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल और घर के काम करती थी. माता-पिता के दिहाड़ी मजदूरी के लिये जाने के बाद आशा हर रोज नियमित समय पर छोटे-भाई बहनों को लेकर गांव की आंगनबाड़ी जाती और वापस साथ लेकर आती थी. आंगनबाड़ी में दिन में भोजन मिल जाता था और छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई भी हो जाती थी. आंगनबाड़ी में छोटे भाई बहनों और अन्य बच्चों को पढ़ता देख आशा के में मन में पढ़ने की इच्छा तो होती, लेकिन वो बेबस थी. यह सिलसिला चलता रहा. लेकिन जब महिला एवं बाल विकास विभाग के शौर्य दल को जब यह पता चला कि आंगनबाड़ी आने-जाने वाली आशा ने कई सालों से पढ़ाई छोड़ दी है. तब आशा की पढ़ने की ललक को देखते हुए शौर्य दल की महिलाओं ने उसे फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिये प्रेरित किया. साथ ही उसके माता-पिता को पढ़ाई का महत्व बताया.फिर आशा को की पढ़ाई दोबारा शुरू कराेने के लिए राजी कर लिया.

Lab Technician का किया Course

आशा की योग्यता को देखते हुए कक्षा 7वीं से प्रमोट कराकर नसरूल्लागंज कन्या शाला में कक्षा 8वीं में दाखिला कराया गया. यहां से 12 वी कक्षा पास करने के बाद आशा ने भोपाल से 2020 में लैब टैक्निशियन का कोर्स किया. आशा अब भोपाल के एक निजी अस्पताल में लैब टैक्निशिन है. और अपनी सेवाएं दे रही है. जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रफुल्ल खत्री ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हेमा कहार और पर्यवेक्षक शाजिया परवीन की कोशिश ने आशा के जीवन की तस्वीर बदल दी.

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