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सीहोर-श्यामपुर को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण में FDR तकनीक का इस्तेमाल, सस्ती और टिकाऊ होगी सड़कें

श्यामपुर को सीहोर से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण एफडीआर तकनीक से किया जा रहा है. यह स्टेट की पहली सड़क है. सड़क बनाने में इसकी लागत 40 से 50 फीसदी कम होती है. सड़कें मजबूत होती है. एफडीआर तकनीक से उत्तरप्रदेश और तेलंगाना में काम हो चुका है.

sehore shyampur connecting road construction
सीहोर श्यामपुर सड़कों में मिलेगी FDR तकनीक का यूज
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Published : May 2, 2023, 10:16 PM IST

सीहोर। श्यामपुर-सीहोर को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से किया जा रहा है. इस तकनीक से बनने वाली यह राज्य की पहली सड़क है. सामान्य तकनीक से 6 मीटर चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में करीब सवा करोड़ रुपए का खर्च आता है, जबकि एफडीआर पद्धति से सड़क के निर्माण में 40 से 50 फीसदी कम लागत आती है और यह सामान्य से दो गुना मजबूत भी होती है.

सीहोर के कई गांव को मिलेगा लाभ: बताया गया है कि शीघ्र ही इस सड़क के आने वाले अनेक ग्रामों के अप्रोच रोड भी 30 मीटर बनेगी. जिससे ग्राम राजूखेड़ी, मानपुरा, रोला ,शेखपुरा ,मगर खेड़ा, बड़ी खजूरिया, सिराडी, निवारिया, दुपाड़िया, खंडवा, छोटा खजुरिया, आदमपुर, मुंज खेड़ा और गुलखेड़ी के ग्रामीणों को भी लाभ होगा. सीहोर श्यामपुर के बीच 24.30 किमी लंबी और 6 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. सड़क निर्माण में करीब 29 करोड़ रुपए की लागत आएगी. एफडीआर पद्धति से सड़क के निर्माण में 40 से 50 फीसदी लागत कम आती है. एक किमी लंबी 6 मीटर चौड़ाई वाली सामान्य सड़क को बनाने में जहां करीब सवा करोड़ रुपए की लागत आती है. वहीं इस पद्धति में 50 लाख रुपए तक का खर्च आता है. यह सड़क सामान्य सड़क से अधिक मजबूत होती है. सामान्य सड़क की उम्र 5 साल की होती है, जबकि इसकी उम्र 10 साल होगी.

एफडीआर तकनीक क्या है: फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइकिलिंग सिस्टम है. इसमें सीमित संसाधनों में मजबूत सड़कें बनाई जा सकती है. कच्ची सड़क को उखाड़कर सड़क में से निकलने वाले मटेरियल को प्लांट पर ले जाया जाता है. यहां पर सड़क के खराब मटेरियल में केमिकल व आवश्यक सामग्री के साथ मिलाकर नया मटेरियल तैयार कर लिया जाता है. उसे सड़क पर बिछाकर डाला जाता है. सड़क को हवा के प्रेशर से धूल साफ कर लिया जाता है. उस पर फैब्रिक कपड़े को बिछाया जाता है, ताकि वह मॉइश्चराइजर्स को समाहित कर सके. उसके ऊपर डामर के लेप का छिड़काव किया जाता है. फिर मटेरियल को उस पर डालकर रोलर को घुमाया जाता है. इसके लिए मशीन की जरूरत होती है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

उत्तरप्रदेश और तेलंगाना में हो चुका है एफडीआर तकनीक: सामान्य सड़क इस तरह बनती है. सीहोर- श्यामपुर के बीच बनाई जा रही 24.30 किमी लंबी इस सड़क को बनाने में 29 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसे फुल डेप्थ रिक्लेमेशन यानि एफडीआर तकनीक से बनाया जा रहा है. यह सड़क इस तकनीक से बनने वाली प्रदेश की पहली सड़क है. इससे पहले उत्तरप्रदेश और तेलंगाना में इस पद्धति से कुछ सड़कें बनाई गई हैं.

सीहोर। श्यामपुर-सीहोर को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से किया जा रहा है. इस तकनीक से बनने वाली यह राज्य की पहली सड़क है. सामान्य तकनीक से 6 मीटर चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में करीब सवा करोड़ रुपए का खर्च आता है, जबकि एफडीआर पद्धति से सड़क के निर्माण में 40 से 50 फीसदी कम लागत आती है और यह सामान्य से दो गुना मजबूत भी होती है.

सीहोर के कई गांव को मिलेगा लाभ: बताया गया है कि शीघ्र ही इस सड़क के आने वाले अनेक ग्रामों के अप्रोच रोड भी 30 मीटर बनेगी. जिससे ग्राम राजूखेड़ी, मानपुरा, रोला ,शेखपुरा ,मगर खेड़ा, बड़ी खजूरिया, सिराडी, निवारिया, दुपाड़िया, खंडवा, छोटा खजुरिया, आदमपुर, मुंज खेड़ा और गुलखेड़ी के ग्रामीणों को भी लाभ होगा. सीहोर श्यामपुर के बीच 24.30 किमी लंबी और 6 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. सड़क निर्माण में करीब 29 करोड़ रुपए की लागत आएगी. एफडीआर पद्धति से सड़क के निर्माण में 40 से 50 फीसदी लागत कम आती है. एक किमी लंबी 6 मीटर चौड़ाई वाली सामान्य सड़क को बनाने में जहां करीब सवा करोड़ रुपए की लागत आती है. वहीं इस पद्धति में 50 लाख रुपए तक का खर्च आता है. यह सड़क सामान्य सड़क से अधिक मजबूत होती है. सामान्य सड़क की उम्र 5 साल की होती है, जबकि इसकी उम्र 10 साल होगी.

एफडीआर तकनीक क्या है: फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइकिलिंग सिस्टम है. इसमें सीमित संसाधनों में मजबूत सड़कें बनाई जा सकती है. कच्ची सड़क को उखाड़कर सड़क में से निकलने वाले मटेरियल को प्लांट पर ले जाया जाता है. यहां पर सड़क के खराब मटेरियल में केमिकल व आवश्यक सामग्री के साथ मिलाकर नया मटेरियल तैयार कर लिया जाता है. उसे सड़क पर बिछाकर डाला जाता है. सड़क को हवा के प्रेशर से धूल साफ कर लिया जाता है. उस पर फैब्रिक कपड़े को बिछाया जाता है, ताकि वह मॉइश्चराइजर्स को समाहित कर सके. उसके ऊपर डामर के लेप का छिड़काव किया जाता है. फिर मटेरियल को उस पर डालकर रोलर को घुमाया जाता है. इसके लिए मशीन की जरूरत होती है.

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उत्तरप्रदेश और तेलंगाना में हो चुका है एफडीआर तकनीक: सामान्य सड़क इस तरह बनती है. सीहोर- श्यामपुर के बीच बनाई जा रही 24.30 किमी लंबी इस सड़क को बनाने में 29 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसे फुल डेप्थ रिक्लेमेशन यानि एफडीआर तकनीक से बनाया जा रहा है. यह सड़क इस तकनीक से बनने वाली प्रदेश की पहली सड़क है. इससे पहले उत्तरप्रदेश और तेलंगाना में इस पद्धति से कुछ सड़कें बनाई गई हैं.

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