सीहोर: जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर धाम पर भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में होलिका दहन का आयोजन हुआ. श्रद्धालुओं ने होलिका दहन से पहले पूजा और परिक्रमा की. होलिका दहन के लिए सूखी लकड़ियां, टहनियां और गोबर के उपले एकत्र किए गए. होलिका जलाने से पहले उसमें धागा बांधकर परिक्रमा की गई. होली दहन से पहले यहां पर श्रद्धालुओं ने परिसर में रंगोली आदि बनाई थी. इस मौके पर भागवत भूषण पंडित मिश्रा ने होलिका दहन के महत्व के बारे में उपस्थित लोगों को बताया. होलिका दहन से पहले श्रद्धालुओं ने अपने बच्चों की लंबी आयु, स्वास्थ्य आयु के लिए पूजा अर्चना की दहन के बाद गुलाब के फूलों की होली खेली गई.
होली का संदेश: धाम पर होलिका दहन अनूठे तरीके से मनाया गया. पंडित मिश्रा ने कहा कि बुराई चाहे जितनी भी बड़ी हो वह सच्चाई को खत्म नहीं कर सकती. होली का त्योहार स्पष्ट संदेश देता है कि ईश्वर से बढ़कर कोई नहीं होता. सारे देवता, दानव, पितर और मानव उसी के अधीन है. जो उस परमतत्व को छोड़कर अन्य में मन रमाता है वह होली के त्योहार के संदेश को नहीं समझता. ऐसा व्यक्ति संसार की आग में जलता रहता है और उसे बचाने वाला कोई नहीं है.
खरगोन में गाड़ा खिंचाई का आयोजन: मध्यप्रदेश के खरगोन बड़वानी सीमा पर बसी नगर पंचायत ठिकरी में चैत्र माह की पड़वा तिथि (धुलण्डी ) के दिन खण्डेराव महाराज का गाड़ा खिचाई का आयोजन हुआ, जिसमें खरगोन बड़वानी सहित मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के हजारों श्रद्धालु शामिल हुए. गाड़ा खिंचाई परम्परा को लेकर पुजारी ने बताया कि "आज से 820 साल पूर्व विक्रम संवत 1251 मे मां नर्मदा के स्नान के लिए महाराष्ट्र से आते थे. इसी दौरान वे यहां ठिकरी में जलपान के लिए रुके. उन्होंने यहां गाड़ा खिंचाई परम्परा की शुरुआत की. गाड़ा खिंचाई के लिए 35 गाड़ो को एक दूसरे से बांध कर बड़वा (पुजारी ) पूजन अर्चन के बाद लोगों के कंधो पर सवार होकर जाते हैं.
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6 दिन की लगती है हल्दी: बड़वा एडू यादव ने बताया कि "जिस प्रकार विवाह में 5 दिन की दूल्हे को हल्दी लगती है. उसी तरह 5 दिंन तक हल्दी लगाई जाती है. उसके बाद गाड़ा खिंचाई होती है. गाड़ा खिंचाई के दौरान खण्डेराव मंदिर मे पूजन कर कंधे पर बैठा कर गाड़ा खिचाई स्थल तक लाया जाता है. उसके बाद कन्धा लगते ही सैकड़ों लोगों से भरे गाडे अपने आप चलने लगते है.