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श्रद्धालुओं के लिए इसलिए खास है ये गणेश मंदिर, जानिए इसके बारे में क्या कहता है इतिहास - Ganesh Utsav 2020

देशभर में इन दिनों गणेश उत्सव का पर्व चल रहा है. लोग गणपति बप्पा के उत्सव में लीन हैं, हालांकि इस साल कोरोना महामारी के चलते त्योहार में वो रौनक देखने को नहीं मिल रही है जो हर साल देखने को मिलती थी.

SEHORE TEMPLE
सीहोर गणेश मंदिर
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Published : Aug 24, 2020, 5:46 PM IST

सीहोर। मध्यप्रदेश में कुछ ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परंपराएं रोचक तो हैं ही ये श्रद्धालुओं को चौकाती भी हैं. जिला मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर देशभर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है. इतना ही नहीं जानकारों की मानें तो उनका ये भी कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण बाजीराव पेशवा प्रथम ने कराया था.

जानिए इस मंदिर के बारे में क्या कहता है इतिहास

चिंतामन गणेश मंदिर की 4 प्रतिमाएं

चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है. चिंतामन सिद्ध भगवान गणेश की देश में चार स्वयंभू प्रतिमाएं हैं. इनमें से एक सवाई माधोपुर राजस्थान दूसरी उज्जैन में स्थित अवंतिका तीसरी गुजरात में सिद्ध पुर और चौथी सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर में विराजित है.

इसलिए आधी जमीन में धंसी है प्रतिमा

कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य सीवन नदी से कमल पुष्प के रूप में प्रकट हुए भगवान गणेश को रथ में लेकर जा रहे थे, सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया, और रात में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा प्रतिमा जमीन में धंसने लगी, इसके बाद इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है.

उल्टा स्वास्तिक का ये है महत्व

मान्यता तो ये भी है कि श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अपनी मन्नत के लिए मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, और मन्नतें पूरी होने के बाद स्वास्तिक सीधा बना देते हैं. चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दौरान 10 दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं

इसलिए हर साल होता है भंडारा

कहा जाता है कि कई साल पहले देश में एक बीमारी फैल गई थी, जिसके बाद यहां पर एक भक्त ने बीमारी खत्म हो इसके लिए मंदिर में भंडारा कराने का संकल्प लेते हुए मन्नतें मांगी, और मन्नत के कुछ ही दिन बाद यह बीमारी जब खत्म हो गई, उसके बाद से ही यहां पर हर साल भंडारा कराया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते सीमित स्तर पर ही यह भंडारा होगा.

मंदिर के जीर्णोद्धार का काम होना जरूरी

सीहोर का चिंतामन गणेश मंदिर देशभर में अपनी अलग पहचान बनाया है. यहां गणेश उत्सव के अलावा भी हमेशा भक्त पहुंचते हैं. प्रदेश के अलावा भी यहां देशभर से भक्त पहुंचते हैं. इतिहासकार की मानें तो उनका कहना है कि इस मंदिर में 15 सालों में काफी काम हुआ है, लेकिन अभी भी मंदिर के जीर्णोद्धार का काम बाकि है और मेले को जो सही रूप दिया जाना चाहिए वह नहीं दिया गया है, लेकिन इस मेले को सही स्वरूप देने की बहुत आवश्यकता है.

खैर, देशभर में इन दिनों गणेश उत्सव का पर्व चल रहा है. लोग गणपति बप्पा के उत्सव में लीन हैं, हालांकि इस साल कोरोना महामारी के चलते त्यौहार में वो रौनक देखने को नहीं मिल रही हैं, जो हर साल देखने को मिलता था.

सीहोर। मध्यप्रदेश में कुछ ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परंपराएं रोचक तो हैं ही ये श्रद्धालुओं को चौकाती भी हैं. जिला मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर देशभर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है. इतना ही नहीं जानकारों की मानें तो उनका ये भी कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण बाजीराव पेशवा प्रथम ने कराया था.

जानिए इस मंदिर के बारे में क्या कहता है इतिहास

चिंतामन गणेश मंदिर की 4 प्रतिमाएं

चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है. चिंतामन सिद्ध भगवान गणेश की देश में चार स्वयंभू प्रतिमाएं हैं. इनमें से एक सवाई माधोपुर राजस्थान दूसरी उज्जैन में स्थित अवंतिका तीसरी गुजरात में सिद्ध पुर और चौथी सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर में विराजित है.

इसलिए आधी जमीन में धंसी है प्रतिमा

कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य सीवन नदी से कमल पुष्प के रूप में प्रकट हुए भगवान गणेश को रथ में लेकर जा रहे थे, सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया, और रात में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा प्रतिमा जमीन में धंसने लगी, इसके बाद इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है.

उल्टा स्वास्तिक का ये है महत्व

मान्यता तो ये भी है कि श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अपनी मन्नत के लिए मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, और मन्नतें पूरी होने के बाद स्वास्तिक सीधा बना देते हैं. चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दौरान 10 दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं

इसलिए हर साल होता है भंडारा

कहा जाता है कि कई साल पहले देश में एक बीमारी फैल गई थी, जिसके बाद यहां पर एक भक्त ने बीमारी खत्म हो इसके लिए मंदिर में भंडारा कराने का संकल्प लेते हुए मन्नतें मांगी, और मन्नत के कुछ ही दिन बाद यह बीमारी जब खत्म हो गई, उसके बाद से ही यहां पर हर साल भंडारा कराया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते सीमित स्तर पर ही यह भंडारा होगा.

मंदिर के जीर्णोद्धार का काम होना जरूरी

सीहोर का चिंतामन गणेश मंदिर देशभर में अपनी अलग पहचान बनाया है. यहां गणेश उत्सव के अलावा भी हमेशा भक्त पहुंचते हैं. प्रदेश के अलावा भी यहां देशभर से भक्त पहुंचते हैं. इतिहासकार की मानें तो उनका कहना है कि इस मंदिर में 15 सालों में काफी काम हुआ है, लेकिन अभी भी मंदिर के जीर्णोद्धार का काम बाकि है और मेले को जो सही रूप दिया जाना चाहिए वह नहीं दिया गया है, लेकिन इस मेले को सही स्वरूप देने की बहुत आवश्यकता है.

खैर, देशभर में इन दिनों गणेश उत्सव का पर्व चल रहा है. लोग गणपति बप्पा के उत्सव में लीन हैं, हालांकि इस साल कोरोना महामारी के चलते त्यौहार में वो रौनक देखने को नहीं मिल रही हैं, जो हर साल देखने को मिलता था.

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