सीहोर। इस लॉकडाउन में वन उपज के माध्यम से दूरस्थ आदिवासी अंचलों में लोगों को रोजगार मिल रहा है. तेंदूपत्ता और महुआ का संग्रहण ग्रामीणों के लिए आय का स्त्रोत साबित हुआ है. जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य समाप्त हो चुका है और 20 हजार संग्राहकों को 5 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जाएगी. साथ ही संग्राहकों के खाते में 1.99 करोड़ रूपए का बोनस भी डाला जाएगा. ज्ञात हो कि जिले के बुदनी, नसरूल्लागंज, रेहटी, लाड़कुई क्षेत्र में तेंदूपत्ता और महुआ संग्रहण जैसी वन उपज पाई जाती है जो आदिवासियों की आजीविका का बड़ा साधन है.
चर्चा के दौरान डीएफओ रमेश गवाना ने बताया कि तेंदूपत्ता संघ के माध्यम से ये कार्य किया जाता है. सीहोर जिले में 21 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है. संग्रहण कार्य 20 से 27 मई तक किया गया जो जिले के बुदनी, नसरूल्लागंज, रेहटी, बकतरा क्षेत्र में 20 हजार संग्राहकों ने संग्रहण का काम किया है. जिन्हें 5.25 करोड रूपए की नगद राशि बांटना शुरू हो चुका है. इसके अलावा वर्ष 2019 में 51 परिवारों को 30 लाख रूपए तेंदूपत्ता संग्राहक कल्याण योजना एवं 67 विद्यार्थियों को 6.63 लाख रुपए एकलव्य शिक्षा योजना के तहत प्रदान किए गए हैं. रमेश गनावा ने कहा कि वर्ष 2020 में 1.99 करोड़ रुपए का बोनस भी संग्राहकों के खातों में डाला जाएगा.
लॉकडाउन में महुआ ने दिया रोजगार, 8.23 लाख का हुआ भुगतान
क्षेत्र में महुआ काफी मात्रा में होता है. लॉकडाउन की अवधि में भी महुआ बीनकर ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हुआ. वनमंडल अधिकारी सीहोर रमेश गनावा ने बताया कि वन विभाग ने 235 क्विटंल महुआ 3500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदकर 8.23 लाख रुपए का नगद भुगतान किया. विभाग द्वारा महुआ खरीदने के फलस्वरूप व्यापारियों ने 4 हजार से लेकर 4500 रुपए प्रति क्विंटल से महुआ खरीदा. जिसके चलते महुआ बीनने वालों को लाभ हुआ है.
कोरोना महामारी में भी वन उपज से मिला रोजगार
लॉकडाउन के दौरान जब शहर रोजगार संकट से जूझ रहे हैं तो ऐसे में वन विभाग ने लघु वनोपज के माध्यम से दूरस्थ्य अंचलों में रहने वाले आदिवासियों को रोजगार उपलब्ध कराया. डीएफओ गनावा ने कहा कि हमें वनों से सदा लाभ भी मिलेगा, यह रोजगार के अच्छे साधन हैं. हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. कई समुदाय ऐसे हैं जो वनों पर आधारित हैं. वन उपज ही उनकी आजीविका का साधन है. पारंपरिक वनों को बचा कर ऐसे समुदायों की आय बढ़ा सकते हैं.
बुदनी DFO के द्वारा तेंदूपत्ता समितियों को मास्क भी वितरित किए गए, साथ ही निरीक्षण के दौरान DFO के साथ ACF भी मौजूद रहीं. उन्होंने बताया कि तेंदुपत्ता पांच चरणों में होता है. पहले शाखाकार्तन, दूसरा कलेक्शन, तीसरा लम्बे समय के लिए बोरे में भरना, चौथा हितग्राहियों को पैसा देना, पांचवां गोदामीकरण गोदाम में रखना.