सीहोर। दीपावली का त्योहार नजदीक है. लोगों के घरों में दिवाली की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. दीपावली दीपों का पर्व कहलाता है. दिवाली पर सबसे ज्यादा महत्व दीयों की होता है. वहीं इस बार की दीवाली में दीयों की कीमत थोड़ी बढ़ गई है. वहीं ज्यादा बारिश के चलते कुम्हारों को मिट्टी महंगी मिलने से उनके व्यापार को भी नुकसान उठाना पड़ा है. (sehore one lamp cost one rupee) (Diwali 2021 ) (Diyas costly in sehore) (potters suffer losses in business of lamps)
महंगी और मुश्किल से मिली मिट्टी: दरअसल, रोशनी के पर्व पर दीया काफी महत्व रखता है. हर साल दस रुपए के पच्चीस मिलने वाले दीये पर भी महंगाई की मार का असर पड़ गया है.
सोना हो गई है कच्ची मिट्टी, जी हां इस साल सीहोर में लगभग सोलह सौ एमएम रिकॉर्ड बारिश मानसून सीजन में दर्ज हुई. परिणाम यह हुआ कि मिट्टी के दीये बनाने में उपयोगी काली और कच्ची मिट्टी बहुत मुश्किल से मिली और मिली भी तो महंगी. इतना ही नहीं दीये बनाने में उयोगी अन्य सामान भी महंगा मिला है, लेकिन दीये बनाने वाले हाथों से कच्चे सामान की कम उपलब्धता के बाबजूद दीये बनाना नही छोड़ा और दूसरों के घरों को रोशन करने उन्होंने इस साल भी दीये बनाए.
इस बार दीयों पर महंगाई की मार: बताया जा रहा है कि कि दीये बनाने उन्हें सुखाने और पकाने के लिए मौसम ने भी इस साल ज्यादा साथ नहीं दिया. अब विपरित परिस्थितियों में भी दीये बनकर तैयार हैं. हालांकि एक दीया इस साल कम से कम एक रुपए में मिलेगा. सीहोर में परंपरागत रूप से अनेक लोग दीये बनाने का कार्य करते हैं, उनके दीये खरीदने दूर दूर से लोग आते हैं. कई लोग मिट्टी के दीये बनाने के साथ मिट्टी के खिलौने व अन्य सामान भी बनाते हैं, जिनकी दीप पर्व पर खासी डिमांड रहती है. कई लोगों के रोजगार का यह अहम हिस्सा भी है. इस सीजनल व्यापार पर भी इस साल महंगाई का असर पड़ गया है, जो अब तक इससे दूर था. (sehore one lamp cost one rupee) (Diwali 2021 ) (Diyas costly in sehore) (potters suffer losses in business of lamps)