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ग्रामीण अंचलों में मिड डे मील की हालत खराब, बच्चों को नहीं दिया जाता भरपेट खाना

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Published : Nov 21, 2019, 8:34 AM IST

Updated : Nov 21, 2019, 8:41 AM IST

सीहोर जिले के ग्रामीण इलाकों में मध्याह्न भोजन की हालत बेहद गंभीर है. नसरुल्लागंज क्षेत्र के ग्राम छापरी के स्कूली बच्चों ने बताया कि भोजन कराते समय खाना खत्म हो जाता है और उन्हें मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता.

बच्चों को नहीं दिया जा रहा भरपेट खाना

सीहोर। गरीब बच्चों को भरपेट भोजन मिले, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल पहुंचें और उन्हें भूखा नहीं रहना पड़े, इसी मकसद से मिड डे मील योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन कर्मचारियों-अधिकारियों की अनदेखी के चलते इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. सीहोर जिले के ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में मिड डे मील की हालत बेहद खराब है. बच्चों का कहना है कि उन्हें भरपेट खाना नहीं मिल रहा और बीच में ही खाना खत्म हो जाता है.

नसरुल्लागंज क्षेत्र के ग्राम छापरी में बच्चों ने बताया कि भोजन कराते समय खाना खत्म हो जाता है और उन्हें मेन्यू के अनुसार भोजन भी नहीं दिया जाता. बच्चों का कहना है कि 15 अगस्त के बाद आज तक उन्हें खीर-पुरी नहीं दी गई, वहीं भोजन में पानी वाली सब्जियां परोसी जाती हैं. एक बार भोजन परोसने के बाद किसी बच्चे को और चाहिए तो दूसरी बार खाना नहीं दिया जाता, जिसके कारण कई बच्चों को खाली पेट उठना पड़ता है.

बच्चों को नहीं दिया जा रहा भरपेट खाना

स्कूल के माध्यम से पता चला कि कई महीनों से यहां कोई भी अधिकारी-कर्मचारी मध्याह्न भोजन चेक करने तक नहीं आता, जिसके कारण समूह चलाने वाली महिलाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो बच्चों के हिस्से का राशन खुद डकार जाती हैं. सरकार जहां गरीब बच्चों को भरपेट खाना देने के लिए करोड़ों रुपए का बजट देती है, वहीं स्थानी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण गरीबों का निवाला उन तक नहीं पहुंच पाता.

जिला शिक्षा अधिकारी से इस विषय पर बात की, तो उन्होंने कहा कि ये मामला मीडिया के द्वारा संज्ञान में आया है और वो जल्द ही इसकी जांच कराएंगे. अब देखने वाली बात ये है कि बच्चों के हिस्से का भोजन उन्हें मिलता है या फिर आधे पेट रह कर ही बच्चे अपनी शिक्षा जारी रखेंगे.

सीहोर। गरीब बच्चों को भरपेट भोजन मिले, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल पहुंचें और उन्हें भूखा नहीं रहना पड़े, इसी मकसद से मिड डे मील योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन कर्मचारियों-अधिकारियों की अनदेखी के चलते इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. सीहोर जिले के ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में मिड डे मील की हालत बेहद खराब है. बच्चों का कहना है कि उन्हें भरपेट खाना नहीं मिल रहा और बीच में ही खाना खत्म हो जाता है.

नसरुल्लागंज क्षेत्र के ग्राम छापरी में बच्चों ने बताया कि भोजन कराते समय खाना खत्म हो जाता है और उन्हें मेन्यू के अनुसार भोजन भी नहीं दिया जाता. बच्चों का कहना है कि 15 अगस्त के बाद आज तक उन्हें खीर-पुरी नहीं दी गई, वहीं भोजन में पानी वाली सब्जियां परोसी जाती हैं. एक बार भोजन परोसने के बाद किसी बच्चे को और चाहिए तो दूसरी बार खाना नहीं दिया जाता, जिसके कारण कई बच्चों को खाली पेट उठना पड़ता है.

बच्चों को नहीं दिया जा रहा भरपेट खाना

स्कूल के माध्यम से पता चला कि कई महीनों से यहां कोई भी अधिकारी-कर्मचारी मध्याह्न भोजन चेक करने तक नहीं आता, जिसके कारण समूह चलाने वाली महिलाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो बच्चों के हिस्से का राशन खुद डकार जाती हैं. सरकार जहां गरीब बच्चों को भरपेट खाना देने के लिए करोड़ों रुपए का बजट देती है, वहीं स्थानी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण गरीबों का निवाला उन तक नहीं पहुंच पाता.

जिला शिक्षा अधिकारी से इस विषय पर बात की, तो उन्होंने कहा कि ये मामला मीडिया के द्वारा संज्ञान में आया है और वो जल्द ही इसकी जांच कराएंगे. अब देखने वाली बात ये है कि बच्चों के हिस्से का भोजन उन्हें मिलता है या फिर आधे पेट रह कर ही बच्चे अपनी शिक्षा जारी रखेंगे.

Intro:सीहोर- मध्यान भोजन की हालत ग्रामीण अंचलों में खराब,
मध्यान भोजन में नहीं दिया जाता भर पेट खाना... 

ग्राम छापरी के माध्यमिक स्कूल में मध्यान भोजन में अनियमितताएं ....

Anchor/v/b- गरीब बच्चों को भरपेट भोजन मिले जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल पहुंचे और उन्हें भूखा ना रहना पड़े वहीं कर्मचारी अधिकारियों की अनदेखी के कारण मध्यान भोजन में बच्चों को नहीं दिया जाता भरपेट खाना समूह चलाने वाले बच्चों के हक का अनाज खुद डकार रहे हैं।
       एक ऐसा ही मामला नसरुल्लागंज क्षेत्र के ग्राम छापरी में देखने को मिला, जहाँ बच्चों ने बताया कि भोजन कराते समय भोजन खत्म हो जाता है और मीनू के अनुसार भोजन भी नहीं दिया जाता, मंगलवार के दिन खीर पुरी देना अनिवार्य है, परंतु बच्चों का कहना है कि 15 अगस्त के बाद आज तक उन्हें खीर पुरी नही दी गई, तो वही भोजन में पानी वाली सब्जियां परोसी जाती है। एक बार भोजन परोसने के बाद किसी बच्चे को और चाहिए तो डबल नहीं दिया जाता, जिसके कारण कई बच्चों को खाली पेट उठना पड़ता है।

      Body: जानकारी लेने पर स्कूल के माध्यम से पता चला कई महीनों से यहाँ कोई भी अधिकारी कर्मचारी मध्यान भोजन चेक करने तक नहीं आया, जिसके कारण समूह चलाने वाली महिलाओं के हौसले बुलंद है, सरकार जहां गरीब बच्चों को भरपेट देने के लिए करोड़ों रुपए का बजट देती है वहीं स्थानी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण गरीबों का निवाला उन तक नहीं पहुंच रहा है। 

मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से इस विषय पर बात की तो उन्होंने कहा कि यह मामला आपके द्वारा मेरे संज्ञान में आया है जल्दी ही में इसकी जांच कराता हूँ। अब देखने वाली बात यह है कि बच्चों के हिस्से का भोजन उन्हें मिलता है या फिर आधे पेट रह कर ही बच्चे अपनी शिक्षा जारी रखेंगे।

बाईट - मीडिया से चर्चा करती हुई छात्र-छात्रा
बाईट - एस.एस. बिसेन, जिला शिक्षा अधिकारी सीहोरConclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 8:41 AM IST
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