सतना। ये महिलाएं और युवतियां गांव में अनूठे डंबल के साथ पसीना बहा रही हैं. वो भी गांव के बगीचे में देसी जुगाड़ से बने जिम में. थोड़ा देखकर अटपटा लगता हैं. मगर सतना में उचेहरा तहसील के गोबरांवखुर्द गांव के युवाओं ने बगीचे के खुले वातावरण में हरे-भरे पेड़ों के बीच देशी जिम बनाया है, जहां आसपास के गांवों के बच्चे, बड़े बुजुर्ग महिलाएं, बेटियां और युवा जिम में पसीना बहाने आते हैं. इस जिम में इस्तेमाल होने वाले सारे इक्विपमेंट्स देसी जुगाड़ वाले हैं. महामारी के दौर में फैलते संक्रमण की वजह से हेल्थ क्लब और जिम कई महीनों से बंद हैं. ऐसे में सतना के युवाओं ने फिट रहने के लिए जुगाड़ ढूंढ निकाला है.
सतना जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर बना है ये देशी जिम. यह जिम आत्मनिर्भरता अभियान का भी उदाहरण है, क्योंकि इस देसी जिम में इस्तेमाल किए जाने वाले सारे इक्विपमेंट बांस बल्ली, ईट्ट,पत्थर, रस्सी और खराब ट्रायर से तैयार किए गए हैं. इस जिम में एमपी पुलिस और सेना में भर्ती होने की तैयारी करने वाले युवक-युवतियां भी आकर अपने आप को फिट कर रहे हैं, यह जिम बिल्कुल फ्री है.
छात्र विकास सिंह ने बताया कि लॉकडाउन में शहरों से पढ़ाई कर रहे युवा गांव आ गए. इस दौरान जिम बंद होने से लोगों को काफी परेशानी होने लगी. ऐसे में युवाओं ने सोचा कि क्यों ना गांव में ही जिम बनाया जाए. जिसके बाद धीरे-धीरे कर युवाओं ने देसी जिम की शुरुआत की और अब बड़े पैमाने पर इस जिम का संचालन किया जा रहा है. कोरोना काल में इस जिम का फायदा यह हुआ कि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही लोग स्वस्थ्य हो रहे हैं. महिलाओं के लिए एक अलग स्लॉट बनाया गया है. इस जिम में आस-पास के गांव के लोग भी आते हैं. गांव से युव आत्मनिर्भर हो गए है, क्योंकि जिम के लिए उन्हें कही और नहीं जाना पड़ता है.
छात्र कर्ण वीर सिंह का कहना है कि वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है और फिजिकल की तैयारी के लिए उसे हर दिन कसरत करनी पड़ती है. लेकिन लॉकडाउन में जिम बंद हो जाने से उसे तैयारी करने में मुश्किल आ रही थी. जिसके बाद दोस्तों के साथ मिलकर जनभागीदारी से देसी जिम बनाई गई. वहीं ग्रामीण संजय सोनी का कहना है कि जब युवाओं ने यहां देसी जिम की शुरुआत की तो पहले उन्हें थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन जब कोरोना काल में इस देसी जिम के शुरू होने से युवाओं के साथ ही बड़े-बुजुर्गों को भी बहुत फायदा हुआ है. संजय सोनी का कहना है कि वह खुद इस जिम में आते हैं और उनको यहां आने से कई स्वास्थ्य लाभ मिला है.
जिम संचालक नृपेंद्र सिंह का कहना है कि हमारी जरूरत ही इस जिम की शुरूआत की वजह बनी. तीन-चार लड़कों के साथ मिलकर खाली पड़े बगीचे में इसकी शुरुआत हुई. जब लोगों को धीरे धीरे इस जिम के बारे में पता लगा तो साथ मिलता गया और फिर जन सहयोग से हम इस जिम को चला रहे हैं. नृपेंद्र सिंह का कहना है कि कोरोना काल में लोग बेरोजगार हो गए. ऐसे में देसी संसाधनों बांस, बल्ली, लकड़ी, ईंट, पत्थर, सीमेंट, लोहा, टायर, ट्यूब, बोरा थैली, बालू, मिट्टी से कसरत करने के सभी उपकरण तैयार किए और लोगों के निशुल्क जिम तैयार किया.
इस देसी जिम को बनाने में तकरीबन 15 दिन का समय लगा. अब यहां प्रतिदिन 50 के करीब लोग एक्सरसाइज करने आते हैं. जिम के गांव के अंदर बन जाने से लोगों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है.