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बुजुर्ग महिला की मौत के बाद नहीं मिला शव वाहन, रिक्शे पर शव ले जाने को मजबूर परिजन

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Published : May 7, 2020, 1:37 PM IST

Updated : May 7, 2020, 2:37 PM IST

सतना जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां एक आदिवासी परिवार अपने बुजुर्ग मां का शव रिक्शे में घर तक ले जाने को मजबूर हुआ, जिनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया.

Dead body was not found after the death of an elderly woman
बुजुर्ग महिला की मौत के बाद नहीं मिला शव वाहन

सतना। मैहर नगर पालिका के सराय मोहल्ले की रहने वाली 85 वर्षीय नन्ही बाई को सिविल अस्पताल में दस्त के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, जिसकी उपचार के दौरान ही मौत हो गई. शव अस्पताल में दो घण्टे तक पड़ा रहा, लेकिन ना किसी समाजसेवी ने शव वाहन उपलब्ध कराया और ना ही अस्पताल प्रबंधन ने. परेशान आदिवासी परिवार रिक्शे में शव ले जाने को मजबूर हुआ.

बुजुर्ग महिला की मौत के बाद नहीं मिला शव वाहन

मृतका की दो बेटियां है, जबकि पति की वर्षों पहले मौत हो चुकी थी. बेटियां ससुराल में रहती हैं. नन्ही घर में अकेली रहती थी, जो अपना जीवनयापन विधवा पेंशन के मिलने से कर रही थी, लंबे दिनों से रहे लॉकडाउन की वजह से दो माह से नन्ही को पेंशन भी नहीं मिल रही थी. वह अपनी बेटी के साथ बैंक पहुंची, जहां से वापस घर लौटते ही बीमार हो गई, जिसे सिविल अस्पताल लेकर जाया गया. उल्टी-दस्त की वजह से महिला की मौत हो गई. मौत के बाद अदिवासी परिवार की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. शव वाहन का प्रबंध नहीं किया गया. परिवार रिक्शे में शव घर तक ले जाने को मजबूर हो गया.

हालांकि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में शव वाहन की उपलब्धता नहीं है. मैहर के समाजसेवी ऐसे जरूरतमंदों को शव वाहन उपलब्ध कराते थे, मगर अब वो भी इस दौरान नहीं हो पा रहा है. इस तरह के मामले लगातार सामने आते रहते हैं, जहां अस्पताल में मरीजों सहित परिवार को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, वहीं सरकार बदलने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

सतना। मैहर नगर पालिका के सराय मोहल्ले की रहने वाली 85 वर्षीय नन्ही बाई को सिविल अस्पताल में दस्त के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, जिसकी उपचार के दौरान ही मौत हो गई. शव अस्पताल में दो घण्टे तक पड़ा रहा, लेकिन ना किसी समाजसेवी ने शव वाहन उपलब्ध कराया और ना ही अस्पताल प्रबंधन ने. परेशान आदिवासी परिवार रिक्शे में शव ले जाने को मजबूर हुआ.

बुजुर्ग महिला की मौत के बाद नहीं मिला शव वाहन

मृतका की दो बेटियां है, जबकि पति की वर्षों पहले मौत हो चुकी थी. बेटियां ससुराल में रहती हैं. नन्ही घर में अकेली रहती थी, जो अपना जीवनयापन विधवा पेंशन के मिलने से कर रही थी, लंबे दिनों से रहे लॉकडाउन की वजह से दो माह से नन्ही को पेंशन भी नहीं मिल रही थी. वह अपनी बेटी के साथ बैंक पहुंची, जहां से वापस घर लौटते ही बीमार हो गई, जिसे सिविल अस्पताल लेकर जाया गया. उल्टी-दस्त की वजह से महिला की मौत हो गई. मौत के बाद अदिवासी परिवार की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. शव वाहन का प्रबंध नहीं किया गया. परिवार रिक्शे में शव घर तक ले जाने को मजबूर हो गया.

हालांकि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में शव वाहन की उपलब्धता नहीं है. मैहर के समाजसेवी ऐसे जरूरतमंदों को शव वाहन उपलब्ध कराते थे, मगर अब वो भी इस दौरान नहीं हो पा रहा है. इस तरह के मामले लगातार सामने आते रहते हैं, जहां अस्पताल में मरीजों सहित परिवार को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, वहीं सरकार बदलने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

Last Updated : May 7, 2020, 2:37 PM IST
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