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VIDEO: नौकरी बहाल कराने पहुंचे मास्टर जी, 17 का पहाड़ा सुनाने के नाम पर उड़ गए होश

जनसुनवाई में शिकायत लेकर पहुंचे एक अतिथि शिक्षक से कलेक्टर ने 17 का पहाड़ा पूछ लिया. यह सुनकर शिक्षक के साथ वहां मौजूद अधिकारियों के होश उड़ गए.

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Published : Mar 5, 2019, 10:48 PM IST

सतना। पहाड़ा न सुना पाने पर शिक्षक छात्रों को क्लास से बाहर निकाल देते हैं, ये तो आम बात है. लेकिन, क्या कभी आपने देखा है कि पहाड़ा न सुना पाने पर किसी शिक्षक की ही क्लास लग गई हो. ऐसा ही कुछ हुआ धवारी की जनसुनवाई में, जहां 17 का पहाड़ा न सुना पाने पर एक शिक्षक को बाहर का रास्ता देखना पड़ा.

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शिक्षक

जनसुनवाई में एक पूर्व अतिथि शिक्षक पहुंचे थे. उनका कहना था कि वो जिस स्कूल में पिछले 7 सालों से अतिथि शिक्षक के पद पर हैं, उस स्कूल में द्वेष भावना से इस बार उनका चयन नहीं किया गया है. जैसे ही मास्टरजी ने यह बात कलेक्टर को बताई, कलेक्टर ने उनसे 17 का पहाड़ा पूछ लिया. ये सुनते ही मास्टर जी के होश उड़ गए. कलेक्टर साहब के बार-बार बोलने पर मास्टर जी ने पहाड़ा सुनाना शुरू किया. 17 एकम 17, 17 दुनी 34 लड़खड़ाती जुबान से वो 17 पंजे 85 तक तो पहुंचे, लेकिन उसके आगे न उनका दिमाग चला न ही उनकी जुबान.

हाथ मलते हुए मास्टरजी ने दिमाग पर बहुत जोर डाला, लेकिन उनकी याददाश्त ने उनका साथ नहीं दिया. कलेक्टर की पैनी नजरों से बचने के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें बुखार है, इसलिए वो पहाड़ा भूल गए हैं. इस पर कलेक्टर ने यह कह कर उनका आवेदन निरस्त कर दिया कि स्कूल ने ठीक किया जो शिक्षक के पद पर तुम्हें नहीं रखा.

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धवारी की जनसुनवाई का ये वीडियो जमकर वायरल हो रहा है और लोग इसे देखकर खिलखिला भी रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि अतिथि शिक्षक की इस हालत का जिम्मेदार कौन है. अतिथि शिक्षक उम्र के उस पड़ाव पर है जहां उसके लिए रोजगार का दूसरा साधन तलाशना बेहद मुश्किल होगा. अगर वो पहली बार ही अतिथि शिक्षक के पद पर नियुक्त न किया जाता तो शायद उसका और सात साल में उसके पढ़ाए हुए छात्रों का भविष्य बेहतर हो सकता था.

सतना। पहाड़ा न सुना पाने पर शिक्षक छात्रों को क्लास से बाहर निकाल देते हैं, ये तो आम बात है. लेकिन, क्या कभी आपने देखा है कि पहाड़ा न सुना पाने पर किसी शिक्षक की ही क्लास लग गई हो. ऐसा ही कुछ हुआ धवारी की जनसुनवाई में, जहां 17 का पहाड़ा न सुना पाने पर एक शिक्षक को बाहर का रास्ता देखना पड़ा.

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जनसुनवाई में एक पूर्व अतिथि शिक्षक पहुंचे थे. उनका कहना था कि वो जिस स्कूल में पिछले 7 सालों से अतिथि शिक्षक के पद पर हैं, उस स्कूल में द्वेष भावना से इस बार उनका चयन नहीं किया गया है. जैसे ही मास्टरजी ने यह बात कलेक्टर को बताई, कलेक्टर ने उनसे 17 का पहाड़ा पूछ लिया. ये सुनते ही मास्टर जी के होश उड़ गए. कलेक्टर साहब के बार-बार बोलने पर मास्टर जी ने पहाड़ा सुनाना शुरू किया. 17 एकम 17, 17 दुनी 34 लड़खड़ाती जुबान से वो 17 पंजे 85 तक तो पहुंचे, लेकिन उसके आगे न उनका दिमाग चला न ही उनकी जुबान.

हाथ मलते हुए मास्टरजी ने दिमाग पर बहुत जोर डाला, लेकिन उनकी याददाश्त ने उनका साथ नहीं दिया. कलेक्टर की पैनी नजरों से बचने के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें बुखार है, इसलिए वो पहाड़ा भूल गए हैं. इस पर कलेक्टर ने यह कह कर उनका आवेदन निरस्त कर दिया कि स्कूल ने ठीक किया जो शिक्षक के पद पर तुम्हें नहीं रखा.

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धवारी की जनसुनवाई का ये वीडियो जमकर वायरल हो रहा है और लोग इसे देखकर खिलखिला भी रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि अतिथि शिक्षक की इस हालत का जिम्मेदार कौन है. अतिथि शिक्षक उम्र के उस पड़ाव पर है जहां उसके लिए रोजगार का दूसरा साधन तलाशना बेहद मुश्किल होगा. अगर वो पहली बार ही अतिथि शिक्षक के पद पर नियुक्त न किया जाता तो शायद उसका और सात साल में उसके पढ़ाए हुए छात्रों का भविष्य बेहतर हो सकता था.
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VIDEO: नौकरी बहाल कराने पहुंचे मास्टर जी, 17 का पहाड़ा सुनाने के नाम पर उड़ गए होश





सतना। पहाड़ा न सुना पाने पर शिक्षक छात्रों को क्लास से बाहर निकाल देते हैं, ये तो आम बात है. लेकिन, क्या कभी आपने देखा है कि पहाड़ा न सुना पाने पर किसी शिक्षक की ही क्लास लग गई हो. ऐसा ही कुछ हुआ धवारी की जनसुनवाई में, जहां 17 का पहाड़ा न सुना पाने पर एक शिक्षक को बाहर का रास्ता देखना पड़ा. 

जनसुनवाई में एक पूर्व अतिथि शिक्षक पहुंचे थे. उनका कहना था कि वो जिस स्कूल में पिछले 7 सालों से अतिथि शिक्षक के पद पर हैं, उस स्कूल में द्वेष भावना से इस बार उनका चयन नहीं किया गया है. जैसे ही मास्टरजी ने यह बात कलेक्टर को बताई, कलेक्टर ने उनसे 17 का पहाड़ा पूछ लिया. ये सुनते ही मास्टर जी के होश उड़ गए. कलेक्टर साहब के बार-बार बोलने पर मास्टर जी ने पहाड़ा सुनाना शुरू किया. 17 एकम 17, 17 दुनी 34 लड़खड़ाती जुबान से वो 17 पंजे 85 तक तो पहुंचे, लेकिन उसके आगे न उनका दिमाग चला न ही उनकी जुबान. 

हाथ मलते हुए मास्टरजी ने दिमाग पर बहुत जोर डाला, लेकिन उनकी याददाश्त ने उनका साथ नहीं दिया. कलेक्टर की पैनी नजरों से बचने के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें बुखार है, इसलिए वो पहाड़ा भूल गए हैं. इस पर कलेक्टर ने यह कह कर उनका आवेदन निरस्त कर दिया कि स्कूल ने ठीक किया जो शिक्षक के पद पर तुम्हें नहीं रखा. 

धवारी की जनसुनवाई का ये वीडियो जमकर वायरल हो रहा है और लोग इसे देखकर खिलखिला भी रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि अतिथि शिक्षक की इस हालत का जिम्मेदार कौन है. अतिथि शिक्षक उम्र के उस पड़ाव पर है जहां उसके लिए रोजगार का दूसरा साधन तलाशना बेहद मुश्किल होगा. अगर वो पहली बार ही अतिथि शिक्षक के पद पर नियुक्त न किया जाता तो शायद उसका और सात साल में उसके पढ़ाए हुए छात्रों का भविष्य बेहतर हो सकता था. 


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