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पवित्र संगम की दो नदियां खोती जा रहीं अपना अस्तित्व, नाले में हो रहीं तब्दील

चित्रकूट को कभी तीन नदियों का संगम जाना जाता था, लेकिन प्रदूषण के चलते सरयू-पयस्वनी नदियां नाले में तब्दील हो गई हैं और प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा है.

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Published : Oct 20, 2019, 11:54 PM IST

Updated : Oct 21, 2019, 6:15 PM IST

सरयू और पयस्वनी बदली नाले में में

चित्रकूट। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट जहां का कण-कण भगवान की गौरव गाथा कहता है, जिसमें बहने वाली नदियां कभी श्रीराम के चरण पखारा करती थी, लेकिन दोनों नदियां अब प्रदूषण का शिकार होकर अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. पयस्वनी और सरयू नदी देखते ही देखते नाले में तब्दील होते जा रही है, लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बन कर बैठा है.

सरयू और पयस्वनी बदली नाले में में

चित्रकूट कभी तीन नदियों का संगम स्थल कहा जाता था. यहां मंदाकिनी, सरयू और पयस्वनी तीन नदियां बहती थी. जो कभी लोगों की आस्था का प्रतीक थी लेकिन प्रदूषण के कारण यहां मंदाकिनी ही शेष बची है और बाकि दो नदियां नालों में बदल गई हैं.

यहां से होता था इन नदियों का उद्गम
ऐसी मान्यता है कि मंदाकिनी में मिलने वाली सरयू नदी का उद्गम कामदगिरि पर्वत के पूर्वी तट पर स्थित प्राचीन ब्रह्म कुंड से एक धारा के रूप हुआ था. वहीं दूसरी ओर श्री कामदगिरि पर्वत से दूर ब्रह्मकुंड से पयस्वनी नदी का उद्गम हुआ था. दोनों नदियां मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित राघवघाट पर आकर मंदाकिनी में मिलती हैं.
राघवघाट पर हुआ था दशरथ का श्राद्ध और तर्पण
मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के मुताबिक चित्रकूट के राघवघाट पर वनवासी भगवान राम ने अपने पिता दशरथ की मृत्यु के बाद श्राद्ध और तर्पण किया था.
सरयू और पयस्वनी का अस्तित्व खतरें में
ऐसी पवित्र नदियां आज नालों में तब्दील हो गई है. लेकिन शासन और प्रशासन ने दोनों मूक दर्शक बन कर बैठे हैं. लोगों का कहना है कि इस बारे में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक सबको अवगत कराया जा चुका है, लेकिन आज तक इस ओर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए. वहीं प्रशासन का कहना है कि जल्दी ही इस ओर प्रयास किए जाएंगे और दोनों नदियों के अस्तित्व को बचाया जाएगा.

चित्रकूट। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट जहां का कण-कण भगवान की गौरव गाथा कहता है, जिसमें बहने वाली नदियां कभी श्रीराम के चरण पखारा करती थी, लेकिन दोनों नदियां अब प्रदूषण का शिकार होकर अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. पयस्वनी और सरयू नदी देखते ही देखते नाले में तब्दील होते जा रही है, लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बन कर बैठा है.

सरयू और पयस्वनी बदली नाले में में

चित्रकूट कभी तीन नदियों का संगम स्थल कहा जाता था. यहां मंदाकिनी, सरयू और पयस्वनी तीन नदियां बहती थी. जो कभी लोगों की आस्था का प्रतीक थी लेकिन प्रदूषण के कारण यहां मंदाकिनी ही शेष बची है और बाकि दो नदियां नालों में बदल गई हैं.

यहां से होता था इन नदियों का उद्गम
ऐसी मान्यता है कि मंदाकिनी में मिलने वाली सरयू नदी का उद्गम कामदगिरि पर्वत के पूर्वी तट पर स्थित प्राचीन ब्रह्म कुंड से एक धारा के रूप हुआ था. वहीं दूसरी ओर श्री कामदगिरि पर्वत से दूर ब्रह्मकुंड से पयस्वनी नदी का उद्गम हुआ था. दोनों नदियां मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित राघवघाट पर आकर मंदाकिनी में मिलती हैं.
राघवघाट पर हुआ था दशरथ का श्राद्ध और तर्पण
मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के मुताबिक चित्रकूट के राघवघाट पर वनवासी भगवान राम ने अपने पिता दशरथ की मृत्यु के बाद श्राद्ध और तर्पण किया था.
सरयू और पयस्वनी का अस्तित्व खतरें में
ऐसी पवित्र नदियां आज नालों में तब्दील हो गई है. लेकिन शासन और प्रशासन ने दोनों मूक दर्शक बन कर बैठे हैं. लोगों का कहना है कि इस बारे में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक सबको अवगत कराया जा चुका है, लेकिन आज तक इस ओर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए. वहीं प्रशासन का कहना है कि जल्दी ही इस ओर प्रयास किए जाएंगे और दोनों नदियों के अस्तित्व को बचाया जाएगा.

Intro:"गंदे नाले की तब्दील हुई चित्रकूट की दो पावन नदियां"

एंकर --
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में कभी सदानीरा रही दो पावन नदियां- पयस्वनी और सरयू देखते ही देखते नाले की शक्ल में तब्दील हो गई. वक्त के साथ बढ़ते प्रदूषण बेजा अतिक्रमण दो गज जमीन को भी बेच खाने में भूमाफिया की अंतहीन भूख इन दो पावन नदियों को निगल गई. चित्रकूट में अब यही चुनौती मोक्ष दायिनी मां मंदाकिनी के सामने हैं. मंदाकिनी को जीवनदान के लिए सभी को मिलकर बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए ।


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सतना जिले के भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक समय था कि यहां पर तीन नदियों का संगम होता था. मंदाकिनी, पयस्वनी, सरयू यह नदियां यहां की पावन नदियां माने जाती थी. लेकिन अब सिर्फ यहां पर मां मंदाकिनी ही शेष रह गई मां की 2 नदियां नाले की शक्ल में तब्दील हो चुकी है. नालों में तब्दील हो चुकी पयस्वनी और सरयू नदियों में से सरयू नदी जहां श्री कामदगिरि पर्वत के पूर्वी तट पर स्थित प्राचीन ब्रह्म कुंड से एक धारा के रूप में उद्गमित होती थी. वहीं दूसरी ओर श्री कामदगिरि पर्वत से दूर ब्रह्मकुंड से पयस्वनी नदी उद्गमित होती थी. दोनों नदियां एमपी यूपी की सरहद पर मां मंदाकिनी गंगा के राघवप्रयाग घाट पर मिलकर संगम बनाती थी. यानी तीन पवित्र नदियों का परस्पर संगम कभी इसी राघव प्रयाग घाट पर था. ऐसा जन विश्वास है कि इसी राघव प्रयाग घाट में त्रेता युग के बनवासी श्रीराम ने अपने दिवंगत पिता राजा दशरथ की शांति के लिए पिंडदान कर तर्पण और अन्य कर्मकांड किए थे. आज मंदाकिनी के तट पर साक्षी राघव प्रयाग घाट तो है लेकिन ना तो सरयू रही और न ही पयस्वनी. इनकी जगह अब दो गंदे नाले के मुहाने की शक्ल पर रह गई है. मंदाकिनी नदी यमुना की अंतिम नदी मानी जाती है. जिसका यमुना नदी में सबसे अंतिम संगम होता है. मंदाकिनी नदी का रामघाट में भगवान श्री राम और माता सीता स्नान करते थे. कई सरकारें आई और चली गई. इस बारे में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक अवगत कराया जा चुका है लेकिन आज तक इस ओर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए. वही प्रशासन का कहना है कि जल्दी ही इस ओर प्रयास किए जाएंगे और दोनों नदियों को पुनः तैयार किया जाएगा।


Conclusion:byte --
मदनगोपालदास -- संत चित्रकूट सतना ।
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विश्वतारा दूसरे -- वरिष्ठ पत्रकार सतना ।
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रमाकांत शुक्ला -- सीएमओ चित्रकूट सतना ।
Last Updated : Oct 21, 2019, 6:15 PM IST
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