सतना। जहां पूरे देश में दशहरा के दिन रावण को बुराई का प्रतीक मान उसके दहन किया जातै है और राम की पूजा कर बुराई पर सच्चाई की जीत का जश्न मनाया जाता है, वहीं सतना जिले में कोठी कस्बे से कुछ दूर रनेही गांव है, जहां रावण की पूजा की जाती है.
पिछले 40 सालों से कोठी थाने परिसर में बनी वर्षो पुरानी रावण के प्रतिमा पर रनेही निवासी रमेश मिश्रा और उनका परिवार पूजा करता चला आ रहा है. रमेश मिश्रा और उनके परिवार का कहना है कि वह सभी रावण के वंसज है, इस लिए उनकी पूजा करते है. इनके अलावा भी गांव के काफी लोग खुद को रावण का रिस्तेदार मानते हैं.
रमेश मिश्रा ने कहा कि रावण सबसे ज्ञानी थे, जिन्होंने ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवताओं को अपनी तपस्या से खुश किया था. उन्हींके लिए रामजी की लीला रची गई और रावण का अंत किया गया. रावण में अहंकार भले रहा हो पर उनकी भक्ती, तप और ज्ञान पूजने लायक है.