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लॉकडाउन वाली ईद ने तोड़ी आस, गरीबों को नहीं मिली फूटी कौड़ी - poor people unhappy

लॉकडाउन वाली ईद ने गरीबों को बेहद निराश कर दिया है, हर साल मस्जिदों के बाहर बैठे भिखारी और जरुरतमंदों को नमाजी अपने जकात के हिस्से से दान करते थे, लेकिन इस बार नमाजी घर से बाहर ही नहीं निकल पाए, जिससे गरीबों की उम्मीद की कटोरी खाली रह गई.

needy people unhappy
ईद में गरीब निराश
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Published : May 25, 2020, 4:39 PM IST

सतना। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के बीच ईद मनाई जा रहा है, लॉकडाउन के चलते मस्जिद में नमाजियों के जमा होने पर पाबंदी है, एक समय में पांच से ज्यादा लोग मस्जिद में इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. यही वजह है कि ईद के मौके पर भी लोग अपने घरों में ही नमाज पढ़े, कोई घर से बाहर नहीं निकला, जिसका खामियाजा उन गरीबों को भुगतना पड़ा, जो ईदी की आस में ईद का इंतजार करते थे. जिनकी कटोरी पर लॉकडाउन ने ताला जड़ दिया.

ईद में गरीब निराश

ईद के दिन मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग कुछ पाने की आस में बैठे रहते थे, जिन्हें नमाजी अपने जकात से कुछ न कुछ देकर ही जाते थे, लेकिन इस बार नमाजी मस्जिद तक ही नहीं पहुंचे, जिससे गरीबों की आस टूट गई, शहर के नूरी मस्जिद कंपनी बाग की तस्वीरें गरीबों की दास्तां बयां कर रही हैं. किस तरीके से गरीब आस में बैठे हैं कि शायद कुछ मिल जाए, लेकिन दोपहर बाद तक उनकी कटोरी में फूटी कौड़ी भी नहीं आई.

सतना। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के बीच ईद मनाई जा रहा है, लॉकडाउन के चलते मस्जिद में नमाजियों के जमा होने पर पाबंदी है, एक समय में पांच से ज्यादा लोग मस्जिद में इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. यही वजह है कि ईद के मौके पर भी लोग अपने घरों में ही नमाज पढ़े, कोई घर से बाहर नहीं निकला, जिसका खामियाजा उन गरीबों को भुगतना पड़ा, जो ईदी की आस में ईद का इंतजार करते थे. जिनकी कटोरी पर लॉकडाउन ने ताला जड़ दिया.

ईद में गरीब निराश

ईद के दिन मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग कुछ पाने की आस में बैठे रहते थे, जिन्हें नमाजी अपने जकात से कुछ न कुछ देकर ही जाते थे, लेकिन इस बार नमाजी मस्जिद तक ही नहीं पहुंचे, जिससे गरीबों की आस टूट गई, शहर के नूरी मस्जिद कंपनी बाग की तस्वीरें गरीबों की दास्तां बयां कर रही हैं. किस तरीके से गरीब आस में बैठे हैं कि शायद कुछ मिल जाए, लेकिन दोपहर बाद तक उनकी कटोरी में फूटी कौड़ी भी नहीं आई.

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